• November 14, 2016

भावनात्मक ब्लैकमेल -जनहित से खिलवाड़ पर अडिग रहने की हठ न करें- सुश्री मायावती

भावनात्मक ब्लैकमेल -जनहित से खिलवाड़ पर अडिग रहने की हठ न करें- सुश्री मायावती

नई दिल्ली—बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर 500 व 1000 रूपये के नोटों पर अचानक पाबन्दी के मुद्दे पर लोगों को भावनात्मक ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुये कहा कि अगर श्री मोदी ने अपना घर-परिवार सब कुछ देश के लिये छोड़ा है तो यह अच्छी बात है परन्तु इसका यह मतलब नहीं है कि वे जनहित से खिलवाड़ करते हुये देश की समस्त आमजनता को दुःख व गम्भीर पीड़ा पहुँचानेे वाले अपरिपक्व फैसले लें व उस पर अडिग रहने की हठ करें।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 500 व 1000 के नोटों पर पाबन्दी के मामले में गोवा में आज दिये गये भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने यहाँ जारी एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी बात-बात पर भावुक होकर लोगों को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल करने का प्रयास करते रहते हैं। इससे पहले दलित बर्बर ऊना काण्ड के मामले में भी काफी भावुक होकर उन्होंने बहुत कुछ आश्वासन इन वर्गों को दिया था। लेकिन उनके भावुक होकर कुछ कहने से भी दलित उत्पीड़न का कोई समाधान नहीं निकल पाया।

ठीक उसी प्रकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 500 व 1000 के नोटांे पर अचानक पाबन्दी लगाने के फैसले के फलस्वरूप देश की आमजनता में जो त्राहि-त्राहि मची हुयी है तथा देश का ख़ासकर हर ग़रीब, किसान, मज़दूर, कर्मचारी, व्यापारी व अन्य हर मेहनतकश तबका परेशान है और अपना सारा समय अपनी जमा पूँजी को बचाने के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहा है, तो उसे उसकी ईमानदारी की सज़ा क्यों दी जा रही है।

अगर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उन लोगों को होने वाली दिन-प्रतिदिन की पीड़ा को थोड़ा भी समझ ली होती तो फिर इस प्रकार का आपाधापी व जल्दबाजी में इतना अपरिपक्व फैसला कभी भी नहीं लिया होता और कम-से-कम अब वर्तमान परिस्थिति में कुछ आवश्यक सुधार करने की कोशिश जरूर की होती।

इसके अलावा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह कहना कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर वे सत्ता में आये हैं, तो निश्चय ही सबसे पहले उन्हें अपने चुनावी वायदे को अमलीजामा पहनाने के लिये विदेशों से कालाधन वापस लाकर देश के प्रत्येक गरीब परिवार के प्रत्येक सदस्य को 15 से 20 लाख रूपये देने के लिये आवश्यक कदम उठाना चाहिये था।

लेकिन इस मामले में उनकी सरकार के ढाई वर्ष बीत जाने के बावजूद कुछ भी ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। इतना ही नहीं बल्कि इस मामले में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कुछ भी ठोस बात नहीं बोलना क्या नैतिक भ्रष्टाचार नहीं है।

अपने देश में कालाधन को सफेद बनाने के लिये जो योजनायें उनकी सरकार द्वारा लागू की गयी हैं और जिनमें लगभग 66,000 करोड़ रूपया जमा कराया गया, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार उनमें से भी किसी का नाम देश की आमजनता को नहीं बता रही है। ऐसा क्यों?

सुश्री मायावती ने कहा कि वास्तव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपने ढाई वर्षों के कार्यकाल में अपने चुनावी वायदों का एक-चौथाई हिस्सा भी पूरा नहीं कर पायी है और इस प्रकार आमजनता के विश्वास पर थोड़ा भी खरा नहीं उतर पायी है, जिस कारण ही अब उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व पंजाब आदि इन पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव से पहले आमजनता का ध्यान बाँटने के लिये ही देशभर की जनता को जानबूझ कर एक बहुत बड़े जंजाल में फंसा दिया गया है।

बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
नई दिल्ली – 110001

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