- May 15, 2015
भारत-चीन के 10 बड़े विवाद
बीजिंग (आई० बी० एन० खबर) । गर्मजोशी से मुलाकात के बाद जब मौका आया दोनों नेताओं के बीच टेबल पर बैठकर बात करने का तो विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी ने वो तमाम मुद्दे उठाए जो दोनों देशों के लिए लंबे अरसे से सिरदर्द बने हुए हैं। करीब एक घंटे चली बातचीत में सालों से गले की फांस बने मसलों पर खुलकर बात हुई। पीएम मोदी ने सीमा विवाद, नत्थी वीजा विवाद समेत पीओके में 46 बिलियन डॉलर की लागत से चीन द्वारा बनाए जा रहे इकनॉमिक कॉरिडोर पर भी अपना पक्ष रखा।
हालांकि पीएम के चीन दौरे से पहले ये बातें सामने आईं कि इस यात्रा से सीमा विवाद और दूसरे विवादों को लेकर कोई बड़ा नतीजा नहीं आने वाला। भारत सरकार और चीनी सरकार ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी, लेकिन पहले दिन की बातचीत में विवादित मुद्दों पर दोनों नेताओं में लंबी बात हुई।
भारत-चीन के बीच इन मुद्दों को लेकर है विवाद-
विवाद की सबसे बड़ी वजह है सीमा- भारत- चीन के बीच 4 हजार कि.मी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है। इसे LAC कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।
विवाद की दूसरी अहम वजह है अरुणाचल प्रदेश- चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है और इसीलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है जिसका भारत विरोध करता है।
तीसरी वजह है अक्साई चिन रोड- लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया।
विवाद की चौथी वजह है चीन का जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग मानने में आनाकानी करना।
पांचवीं वजह है पीओके को पाकिस्तान का भाग मानने में चीन को कोई आपत्ति न होना।
छठी वजह है पीओके में चीनी गतिविधियों में इजाफा। हाल ही में चीन ने यहां 46 बिलियन डॉलर की लागत का प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे भारत खुश नहीं है।
विवाद की सातवीं वजह है तिब्बत। इसे भारतीय मान्यता से चीन खफा रहता है।
विवाद की आठवीं वजह है ब्रह्मपुत्र नदी- दरअसल यहां बांध बनाकर चीन सारा पानी अपनी ओर मोड़ रहा है जिसका भारत विरोध कर रहा है।
विवाद की नौवीं वजह है हिंद महासागर में तेज हुई चीनी गतिविधि।
विवाद की दसवीं वजह है साउथ चाइना सी में प्रभुत्व कायम करने की चीनी कोशिश।
विवाद कम नहीं, लिहाजा जरूरी है कि रिश्तों को मजबूत करने के लिए इन विवादों पर विराम लगाया जाए। इसकी कोशिश इस दौरे में पहले ही दिन दिखी। विदेश सचिव एस जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच विश्वास मजबूत करने पर लंबी बात हुई।
दोनों देश आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए आपसी कारोबार बढ़ाने को अहम मानते हैं, लेकिन चीन और भारत के बीच रिश्ते पूरी तरह सामान्य बनाने के लिए जरूरी है कि सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में ठोस रोडमैप तैयार किया जाए और इसकी कोशिश इस दौरे में नजर आने लगी है।