भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी

भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी
पेसूका ——————— केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली और यूएस ट्रेजरी सचिव श्री जैकब जे. लिउ छठी सालाना अमेरिका-भात आर्थिक और वित्तीय साझेदारी (ईईपी) के लिए कल वाशिंगटन में मिले। 

संवाद के क्रम में मंत्री श्री जेटली और सचिव श्री लिउ ने निम्नलिखित संयुक्त बयान जारी कियाः

‘हम आर्थिक और वित्तीय साझेदारी की छठी सालाना मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेकर काफी खुश थे और हमने फेडरल रिजर्व की चेयर जैनेट येलेन, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और अन्य लोगों का स्वागत करते हैं।’

यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेजरी और भारत के वित्त मंत्रालय ने 2010 में हमारी आर्थिक और वित्तीय साझेदारी पर को पेश किया था। ऐसा हमारे आर्थिक संबंधों के महत्व और कारोबार में बढ़ोत्तरी व सांस्कृतिक संबंधों को देखते हुए किया गया था। बैठक के दौरान हमने ऐसे प्रयासों के बारे में चर्चा की, जो दोनों पक्षों द्वारा पारस्परिक समझ को बढ़ाने, द्विपक्षीय व बहुपक्षीय मुद्दों पर भागीदारी में सुधार से संबंधित थे। हमने दोहराया कि अमेरिका-भारत के बीच भागीदारी 21वीं सदी के मजबूत संबंध सामने आएंगे।

हमारे द्विपक्षीय संबंधों में योगदान देने के लिए भारत और अमेरिका में उप-कैबिनेट स्तर पर पांच कार्य जारी हैं। सभी मोर्चों पर प्रगति जारी है।

बीते साल हमारे कर अधिकारियों ने अमेरिका और भारत के बीच कई द्विपक्षीय कर विवादों का हल निकलाने में कामयाबी हासिल की। इसके अलावा हमारी सरकारों ने दोनों देशों की कंपनियों द्वारा किए जाने वाले द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता आवेदनों को स्वीकार करना शरू कर दिया है। इसका उद्देश्य सीमापार कारोबारी प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना और हमारे व्यावसायिक करारों को मजबूत बनाना है।

हमने फॉरेन एकाउंट टैक्स कंप्लायंस एक्ट (फाटका) के क्रम में अंतर सरकार समझौते के अंतर्गत दोनों देशों के बीच वित्तीय सूचनाओं को साझा करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। दोनों पक्ष फाटका पर पूर्ण आदान-प्रदान व्यवस्था पर विचार-विमर्श करना जारी रखेंगे। हम सीमा पार कर सूचनाओं को साझा करने में भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।

हम विदेश में कर चोरी और उससे बचने की समस्या से पार पाने में भागीदारी और अनुभवों को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें संयुक्त कर जांच और विदेश में कर परीक्षण शामिल है।

जनवरी 2015 में लॉन्च अमेरिका-भारत निवेश पहल के अंतर्गत हमारी सरकारों ने विशेष नीतियों, नियामकीय सुधारों और तकनीक भागीदारी की पहचान करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी पर काम किया। इसका उद्देश्य बुनियादी ढांचा तैयार करने और रोजगार पैदा करनने के लिए घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों से पूंजी जुटाना है। हम भारत के राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) को समर्थन देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे भारत के बुनियादी ढांचे के विकास को तेज करने के लिए निवेश के विकल्पों को बढ़ाया जा सके। इस निवेश पहल की अगली बैठक संयुक्त राज्य में 2016 में होगी।

सार्वजनिक कर्ज प्रबंधन एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर भारत का खासा जोर है। भारत ज्यादा कुशल कर्ज और नकदी प्रबंधन के लिए लगातार प्रयास करने में विश्वास करता है, साथ ही गहरे और ज्यादा घरेलू कर्ज बाजार के विकास पर उसका जोर है। यह भारत के वित्त मंत्रालय और यूएस ट्रेजरी ऑफिस ऑफ टेक्निकल असिस्टैंस के बीच भारत सरकार के कर्ज प्रबंधन कार्यक्रम में ज्ञान और सूचनाएं साझा करने का अवसर है। इस क्रम में दोनों ने भारत के सरकारी कर्ज कार्यक्रम में भागीदारी के लिए एक टर्म ऑफ रिफरेंस पर हस्ताक्षर किए।

हम दोनों अवैध वित्तपोषण के खिलाफ संघर्ष करने के लिए सहमत हैं, जो वैश्विक आतंकवाद से पार पाने के लिए एक अहम माध्यम हो सकता है।

आखिरकार हम एक-दूसरे के अर्थव्यवस्थाओं के बारे में अपनी समझ को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साझेदार और साथी होने के नाते हम जी20 जैसे कई मंचों पर भागीदारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत, टिकाऊ बन सकें और संतुलित विकास संभव हो सके।

हम आर्थिक और वित्तीय साझेदारी के पेश होने के बाद हुए विकास को देखते हुए खासे प्रोत्साहित हैं। साथ ही हम अपने संबंधों, अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने क प्रयासों के तहत भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।

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