- March 8, 2020
भारतीय अदालतों के तीन दुर्लभ करतूत —
1:- तीस्ता सीतलवाड़ एकदम जेल जाने वाली थी गुजरात हाईकोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी। तभी दिल्ली में बैठे कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज को फोन किया और उस जज ने उन्हें फोन की सुनवाई पर अग्रिम जमानत दे दिया।
ना भूतो ना भविष्यति। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में आज तक किसी अभियुक्त की न फोन पर सुनवाई हुई थी ना कभी होगी
2:- याकूब मेमन के लिए रात को 2:00 बजे प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के एक जज के घर पर जाते हैं और वह जज रात को 2 बजे ही सुनवाई कर देता है और बकायदा भारत सरकार के वकील को भी रात को 2:00 बजे बुलाया जाता है और 4 घंटे तक सुनवाई चलती है।
3:- आज रविवार है और रविवार के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने सुओ मोटो लेते हुए लखनऊ प्रशासन को अदालत में तलब किया और बकायदा 4 घंटे बहस चली क्या दंगाइयों का पोस्टर लगाना जायज है ?
यह तीनों मामले में एक बात समान है कि भारत की वामपंथी न्यायपालिका सिर्फ उनके लिए ही चिंतित है जो देश विरोधी गद्दार या वामपंथी विचारधारा के हैं
.. कभी कोई हिंदूवादी नेता के लिए आज तक भारत की अदालतें चिंतित नहीं हुई है ..
क्या उनका कोई हक नहीं है ??
कश्मीरी पंडित अपने जमीन से खदेड़ दिए गए… हजारों कश्मीरी पंडित कश्मीर में मार दिए गए…
गिरजा टिक्कू से शुरू हुआ कश्मीरी लड़कियों का बलात्कार न जाने कितनी कश्मीरी महिलाओं और लड़कियों के बलात्कार पर खत्म हुआ..
दो दशकों तक कश्मीरी पंडित दिल्ली में टेंट में रहे आज तक भारत के किसी जज ने suo-moto नहीं लिया ।
अविनाश कर्ण
अधिवक्ता सिविल कोर्ट मधुबनी