भारतीय अजय शर्मा : न्यूटन के तीसरे नियम के संशोधन को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता

भारतीय अजय शर्मा : न्यूटन के तीसरे नियम के संशोधन को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता

https://www.youtube.com/watch?v=tfZNO0ShFUQ

ü  भारतीय अजय शर्मा की 40-42 वर्षों की मेहनत रंग लाई

ü  338 वर्ष पुराने न्यूटन के तीसरे नियम के संशोधन को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता।

ü  शोध पत्र विश्व के सबसे बड़े विज्ञान के प्रकाशक एल्सेवियर के रिसर्च जर्नल “साइंस टॉक्स” में प्रकाशित।

इस जर्नल के को-एडिटर  डॉ. डेनली वेलेंस अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी और डॉ. हेवा घाज इंग्लैंड की किंग्स्टन यूनिवर्सिटी से हैं।

ü  इस जर्नल को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है।  https://www.sciencedirect.com/journal/science-talks     Paper : https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2772569324000422
June 2024 Vol. 10,  Article 100334
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   न्यूटन का मूल नियम :  प्रतिक्रिया = -क्रिया 
 न्यूटन का संधोधित नियम: प्रतिक्रिया = – क्रिया [ Kshape x Kcomposition x Ktarget x Kother].
 निष्कर्ष: क्रिया (एक्सनऔर प्रतिक्रिया (रैक्सनसभी अवस्थाओं में बराबर नहीं होती। इस लिए न्यूटन के 338 वर्ष पुराने तीसरे नियम  को संशोधित किया गया है। इसे साधारण से प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया जा सकता है।प्रयोगों  पर   लगभग 15 लाख रुपये खर्च होंगे।

                                              अन्य मान्यताएँ

इस शोध पत्र को 2018 में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स  और 2019 में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली ( CSIR, New Delhi) ने भी रिपोर्टों में लिखित तौर पर सही ठहराया है और अजय शर्मा को प्रयोग करने की सलाह दी है

    अजय शर्मा ने न्यूटन के तीसरे नियम की मुख्य खामियों को दर्शाने वाला रिसर्च पेपर इंडियन ऐसोसियेसन आॅफ फिजिक्स टीचर्ज  के वार्षिक सम्मेलन 2024 में प्रस्तुत किया। इसमें न्यूटन के नियम की खामियों और संशोधित नियम को दर्शाया गया है।
              भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा’
1 अगस्त 2018 को अमेरिकन ऐसोसिएशन आॅफ फिजिक्स टीचर्ज के वाशिंगटन सम्मेलन में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा था कि ‘अजय अगर आप न्यूटन के तीसरे नियम की खामी को प्रयोगों द्वारा सिद्ध कर देते हैं तो भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा’।
 साधारण प्रयोग

      न्यूटन के 338 वर्ष पुराने तीसरे नियम की मुख्य खामी यह नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। नियम के मुताबिक अगर 1 किलोग्राम भार और एक समान संरचना की गोल, अर्ध गोल, त्रिभुज, फ्लैट, अनियमित आकार की वस्तुएं गिराई जाएं तो सभी वस्तुओं को बराबर ऊंचाई से ऊपर उठना चाहिए। प्रयोगों में गोल वस्तु तो 1 मीटर ऊंचाई तक उठ जाती है, पर बाकी वस्तुएं नहीं। वैज्ञानिकों ने इस बाबत प्रयोग किए ही नहीं हैं, पर न्यूटन के नियम तो नवमी कक्षा से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है कि, क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होती हैं।

न्यूटन के तीसरे नियम के संशोधन में पूरी ज़िंदगी लग गई
वैज्ञानिकों को न्यूटन के तीसरे नियम के अधूरेपन को समझाने के लिए अजय शर्मा को 40-42 साल तक लग गए। शर्मा ने यह काम बीस (20) साल की उम्र में शुरू किया था जब वे 1982 में ऊना के श्री विष्णु सनातन धर्म कॉलेज भटोली में, बी.एस.सी. दूसरे वर्ष के छात्र थे।अजय शर्मा मार्च 2021 में रिटायर हो चुके है।लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता रिटायरमेंट के 3 साल बाद आयी है उसके बाद इस शोध में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। इसके बाद अजय शर्मा ने इस काम को थ्योरिटिकली आखिरी अंजाम तक पहुंचाया है और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने इसे माना है। अंतिम मान्यता के लिए कुछ प्रयोगों की जरूरत है

               माननीय प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री जी से प्रार्थना

लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता रिटायरमेंट के 3 साल बाद आयी है . इसके बाद अजय शर्मा ने इस काम को थ्योरिटिकली आखिरी अंजाम तक पहुंचाया है और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने इसे माना है। इसके लिए अजय शर्मा को 40-42 साल तक लग गए।अब अजय शर्मा के पास प्रयोग करने के लिए कोई भी प्रयोगशाला नहीं है।
अजय शर्मा माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से, माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह ठाकुर जी से प्रार्थना कर रहे हैं कि उन्हें प्रयोजनों के सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाएं ताकि वे अंतिम रूप से न्यूटन  के 338 साल पुराने नियम की खामियाँ सिद्ध कर सकें। प्रोजैक्ट के लिए सशर्त 15 लाख रूपये दिये जाए ताकि वो किसी शोध संस्थान से मिलकर इन प्रयोगों को कर सकें।

इन प्रयोगों के बाद भारतभूमि से किया गया शोध कार्य दुनिया के हर स्कूल में पढ़ाया जाएगा और भारतवासियों का भारत का विश्व गुरु बनने का सपना पूरा हो सकेगा।
Ajay Sharma
Former Lecturer Physics DAV College Chandigarh & Retired Assistant Director (Education) Shimla
https://doi.org/10.1016/j.sctalk.2024.100334
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  1. Ajay Sharma
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  3. Former Lecturer, Physics DAV College Chandigarh &
    Assistant Director (Education) Shimla
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