- February 18, 2019
बड़ोदा स्वरोजगार विकास संस्थान ने दी पहचान
प्रतापगढ ———-कहते है अगर इंसान के मन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो तो ईश्वर भी मदद जरुर करते हैं| यह बात लागू होती हैं अरनोद तहसील के छोटे से गांव मोवाई निवासी कैलाशचन्द्र मीणा पर| गरीब परिवार में जन्मे कैलाश ने अपनी पढाई के साथ साथ अपने पिता का कृषि कार्य करने में भी सहयोग किया |
कैलाश के परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यधिक कमजोर एवं उसका जीवन बड़ा ही संघर्षपूर्ण रहा हैं| कैलाश के परिवार में चार सदस्य हैं एवं पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर रहा| कैलाश कुछ अलग करना चाहते थे एवं वे सदेव स्वयं के व्यापार को करने की इच्छा रखते थे| उनके इस सफ़र में उनका सहयोगी बड़ोदा स्वरोजगार विकास संस्थान रहा |
संस्थान के जागरूकता शिविर द्वारा कैलाश को निःशुल्क प्रशिक्षण की जानकारी प्राप्त हुई तथा उन्होंने संस्थान से 21 दिवसीय मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण लिया|प्रशिक्षण के दौरान भी कैलाश बहुत ही सजगतापूर्ण एवं बहुत ही रूचि से सिखने पर ध्यान देते| संस्थान में प्रशिक्षण के दौरान भी वे गांव से अपने मित्रो एवं मिलने वालो के ख़राब मोबाइल लेकर आते एवं देर तक बैठकर उन मोबाइल को ठीक करते| लगन, मेहनत एवं कुछ कर दिखाने की मेहनत प्रशिक्षण के समय से ही कैलाश में नजर आती थी|
प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत उन्होंने अपने गांव में ही अपने घर के एक छोटे से कमरे से अपने व्यवसाय की शुरुआत की | कैलाश बताते है की पूर्व में उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसमे व्यवसाय को आरम्भ करने के लिए पूंजी की समस्या सबसे बड़ी समस्या बनी | फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी एवं स्वयं के पास जितने भी पैसे थे उनसे व्यवसाय की शुरुआत की|
बड़ोदा स्वरोजगार विकास संस्थान के निदेशक प्रेम कुमार कंसारा द्वारा कैलाश को दिए गए वित्तीय परामर्श से प्रधानमंत्री स्वरोजगार सृजन योजना के अन्तर्गत उन्होंने रु. 2 लाख के लिए ऋण आवेदन किया, जिसमे उन्हें बैंक ऑफ़ बड़ोदा शाखा चुपना से रु 1 लाख 20 हज़ार ऋण प्राप्त हुआ| इस हेतु बड़ोदा स्वरोजगार विकास संस्थान ने उनकी पूरी तरह से सहायता की |
इस ऋण में उन्हें 35 प्रतिशत का अनुदान भी प्राप्त हुआ | वर्तमान में कैलाश ने अपने गांव में “सोनम मोबाइल एवं रिपेयरिंग सेंटर” नाम से खुद की दुकान लगाई हुई हैं | कैलाश बताते है की उन्हें इस व्यवसाय से मासिक रु. 12,000 की आमदनी हो जाती हैं बड़ोदा स्वरोजगार विकास संस्थान से बातचीत में उन्होंने अपनी सफ़लता की कहानी को बया किया एवं बताया की पहले अचानक होने वाले खर्चो के लिए पैसे नही हुआ करते थे लेकिन अब परिस्थतिया पूरी तरह से बदल चुकी हैं
उनका कहना है की समस्याए इंसान को मजबुत बनाने के लिए आती है जिससे व्यक्ति अपनी शक्ति को पहचान लेता हैं | कैलाश अपनी सफ़लता के लिए बड़ोदा स्वरोजगार विकास संस्थान एवं बैंक ऑफ़ बड़ोदा का धन्यवाद देते हैं |