- March 5, 2017
बैतूल के बैताल—सीसीटीवी कैमरो से अबोध बालिकाओं की जासूसी ?-राम किशोर पंवार
बैतल: (संवाददाता), मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के राज्य शिक्षा मिशन के द्वारा संचालित कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास की 150 अबोध बालिकाओ की सीसीटीवी कैमरो से निगरानी , जासूसी, उनकी नीजी जिदंगी के पलो को कैद करना नीजता का हनन करने का मामला भले ही बाल संरक्षण आयोग को गई शिकायत के बाद दबा दिया गया हो लेकिन सोशल मीडिया पर उपलब्ध करवाये गए साक्ष्यो के आधार पर पूरे मामले ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को सवालो के कटघरे में ला खडा किया है।
बैतूल जिले में अजाक विभाग एवं शिक्षा विभाग के लगभग सौ आश्रम , छात्रावास, कीडा परिसर, आवासीय परिसर , लाडो केन्द्र है जहां पर कोई सीसीटीवी कैमरे नही लगे है लेकिन राज्य शिक्षा मिशन के 14 छात्रावासो में से एक मे पिछले एक वर्ष से लगे सीसीटी कैमरे प्रकरण के सामने आने के बाद सुरक्षा का हवाला देकर पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया है।
सवाल उठता है कि यदि बालिका छात्रावास में बालिकाये असुरक्षित है तो बीआरसी से लेकर डीपीसी को इस बात का संज्ञान क्यों नहीं करवाया गया। समीपस्थ पुलिस थाना मोहदा में रिर्पोट या सूचना क्यों नही लिखवाई गई !
बालिकाओं को असुरक्षा किससे है ! क्या बालिकाओं की सुरक्षा का जिम्मा पीटीए को है जिसके अधिकांश सदस्यो को सीसीटीवी कैमरे के बारे में पता तक नही है कि वह करता क्या है ! जिनको हिन्दी में अपना नाम तक लिखना नही आता है वह 40 लाख के वार्षिक बजट वाले छात्रावास की अधीक्षिका को सरकारी पैसे के बदले में स्वंय के नीजी रूपयो से सीसीटीवी कैमरा लगवाने की अनुमति कैसे दे सकती है!
दर असल में पूरा मामला उस समय सामने आया जब छात्रावास अधीक्षिका के दुराचार के मामले में छै माह तक जेल में बंद रहे पति सुखचंद आर्य की छात्रावास में चहल – पहल बढने लगी पति के इशारे पर ही अधीक्षिका ने अपनी पदस्थापना के माह से ही सीसीटीवी कैमरा को लगवाने का मन बना लिया था और उसे लगा भी लिया लेकिन इस बात की जानकारी जिला स्तर पर किसी भी अधिकारी – कर्मचारी को नही होने दी गई।
मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के राज्य शिक्षा मिशन के द्वारा संचालित कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास की 150 अबोध बालिकाओ की सीसीटीवी कैमरो से निगरानी , जासूसी, उनकी नीजी जिदंगी के पलो को कैद करना नीजता का हनन करने का मामला भले ही बाल संरक्षण आयोग को गई शिकायत के बाद दबा दिया गया हो लेकिन सोशल मीडिया पर उपलब्ध करवाये गए साक्ष्यो के आधार पर पूरे मामले ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को सवालो के कटघरे में ला खडा किया है।
बैतूल जिले में अजाक विभाग एवं शिक्षा विभाग के लगभग सौ आश्रम , छात्रावास, कीडा परिसर, आवासीय परिसर , लाडो केन्द्र है जहां पर कोई सीसीटीवी कैमरे नही लगे है लेकिन राज्य शिक्षा मिशन के 14 छात्रावासो में से एक मे पिछले एक वर्ष से लगे सीसीटी कैमरे प्रकरण के सामने आने के बाद सुरक्षा का हवाला देकर पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया है।
सवाल उठता है कि यदि बालिका छात्रावास में बालिकाये असुरक्षित है तो बीआरसी से लेकर डीपीसी को इस बात का संज्ञान क्यों नहीं करवाया गया। समीपस्थ पुलिस थाना मोहदा में रिर्पोट या सूचना क्यों नही लिखवाई गई ! बालिकाओं को असुरक्षा किससे है ! क्या बालिकाओं की सुरक्षा का जिम्मा पीटीए को है जिसके अधिकांश सदस्यो को सीसीटीवी कैमरे के बारे में पता तक नही है कि वह करता क्या है ! जिनको हिन्दी में अपना नाम तक लिखना नही आता है वह 40 लाख के वार्षिक बजट वाले छात्रावास की अधीक्षिका को सरकारी पैसे के बदले में स्वंय के नीजी रूपयो से सीसीटीवी कैमरा लगवाने की अनुमति कैसे दे सकती है!
दर असल में पूरा मामला उस समय सामने आया जब छात्रावास अधीक्षिका के दुराचार के मामले में छै माह तक जेल में बंद रहे पति सुखचंद आर्य की छात्रावास में चहल – पहल बढने लगी पति के इशारे पर ही अधीक्षिका ने अपनी पदस्थापना के माह से ही सीसीटीवी कैमरा को लगवाने का मन बना लिया था और उसे लगा भी लिया लेकिन इस बात की जानकारी जिला स्तर पर किसी भी अधिकारी – कर्मचारी को होने नही दी भी तो सूचना के अधिकार कानून के एक आवेदन पर डीपीसी ने लिखित में जानकारी दी कि जिले में किसी भी बालिका छात्रावास में कैमरे नही लगे हुए है।
शिकायतकर्ता ने लगातार प्रमाण एवं तथ्यो के आधार पर जब शिकायतो का दौर जारी रखा तब जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच दल में शामिल दो प्रार्चार्यो की टीम ने अपनी प्रस्तुत रिर्पोट में स्वीकार किया कि चिल्लौर बालिका छात्रावास में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है लेकिन जांच दल ने कहां पर कितने कैमरे लगे हुए है इस बात की जानकारी छुपाई !
क्या सीसीटीवी कैमरो से अबोध बालिकाओ की निगरानी या जासूसी उनकी नीजता का हनन नही है !