• October 7, 2015

बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं : पंचायतीराज की महती भूमिका

बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं : पंचायतीराज की महती भूमिका

जयपुर – महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने मंगलवार को जयपुर स्थित हरिश चन्द्र माथुर लोक प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित बेटी बचाओं- बेटी पढ़ाओं के द्वितीय चरण की एक दिवसीय आमूखीकरण कार्यशाला में उपस्थित जिला प्रमुखों का आहवाहन किया कि वे पंचायतीराज की संरचना का सदुपयोग करते हुए ग्राम स्तर तक बेटियों की सुरक्षा और उनके शैक्षिक विकास के लिए बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं कार्यक्रम को अभियान के रूप में लेकर सफल बनाने में अपनी महती भूमिका निभाएं।
कार्यशाला में श्रीमती भदेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि पंचायती राज संस्थाएं महत्वपूर्ण है तथा ये संस्थाएं ग्राम स्तर तक योजनाओं एवं कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से पहुंचाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि आप सभी जिला प्रपुख पंचायतीराज की संरचना का सदुपयोग करते हुए अपने-अपने जिलों में जाकर शिशु लिंगानुपात के मुद्दों को ग्राम पंचायत के माध्यम से उठाये तथा बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन में सहयोगात्म भूमिका निभाएं।
उन्होंने कार्यशाला में यह भी कहा कि गैरसरकारी संस्थाएं भी बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं कार्यक्रम को ग्राम स्तर तक सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदाने करें। उन्होंने कहा कि उनके इस कार्य में महिला एवं बाल विकास विभाग की ग्राम स्तर तक की संरचना का भी वे बेहतर उपयोग कर सकते हैं अथवा सहयोग ले सकते हैं।
इस अवसर महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के घटते हुए लिंगानुपात को देखते हुए भारत सरकार की बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं योजना के तहत राज्य के जिन दस जिलों में लिंगानपात कम हैं वहां जिला प्रमुख एवं गैरसरकारी संस्था बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं को गति प्रदान करें।
कार्यशाला में महिला अधिकारिता विभाग की निदेशक श्रीमती रिचा खोड़ा ने महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया।
कार्यशाला में समेकित बाल विकास विभाग की अतिरिक्त निदेशक बिन्दु करूणाकरण ने बालकों के विकास एवं पोषण के लिए विभाग के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजना की जानकारी दी।
समुदाय की गतिविधियों का केन्द्र बने आंगनबाड़ी केन्द्र:-
जिला प्रमखों के साथ आपसी संवाद सत्र में श्रीमती अनिता भदेल ने कहा कि ग्राम स्तर पर विभाग के आंगनबांड़ी केन्द्रों को सामुदायिक गतिविधियों का केन्द्र बनें इसके लिए भी हमें प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से ये आंगनवाड़ी केन्द्र महिलाओं और बच्चों की जागरूकता बढ़ा सकते हैं। इन केन्द्रों पर उन्होंने स्वंय के विकास के कई कार्यक्रमों से जुडऩे के भरपूर अवसर मिल सकते हैं।
उन्होंने जिला प्रमुखों का आह्वाहन किया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों पर महिलाओं एवं बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार की गुणवत्ता की भी वे समय समय पर जांच करें । उन्होंने कहा कि नियमित और गुणवत्तापूर्ण पोषाहार दिए जाने से महिलाओं और बच्चों के शारिरिक एवं मानसिक विकास होगा। इसके लिए सजगता के साथ नियमित और गुणवत्तापूर्ण पोषाहार दिया जाना सुनिश्चित किए जाने के लिए समय-समय पर औचक निरीक्षण किया जाना आवश्यक है।
कार्यशाला में 18 जिला प्रमुखों, गैस सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित समेकित बाल विकास विभाग के निदेशक श्री एम.पी. स्वामी एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारीगण उपस्थिति रहे।

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