- November 26, 2021
बिहार में लिंगानुपात 1062 से बढ़कर 1090— राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण
पटना ——– बिहार में प्रजनन दर गिरावट के बावजूद यूपी व झारखंड से अधिक है और राष्ट्रीय स्तर पर पहले तीन राज्यों में शामिल है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) की दूसरे चरण की रिपोर्ट जारी होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की नई तस्वीर उभर कर सामने आयी है।
बिहार में एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस-5 में प्रजनन दर 3.4 से घटकर 3.0 हुई है। जबकि राष्ट्रीय प्रजनन दर इस दौरान 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है।
बिहार में लिंगानुपात में सुधार जारी
बिहार में लिंगानुपात में (प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) भी सुधार की प्रक्रिया जारी है और स्थिति पहले से बेहतर हुई है। राष्ट्रीय व अन्य पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार में सुधार अधिक है। बिहार में लिंगानुपात 1062 से बढ़कर 1090 हो गई है। जबकि उत्तरप्रदेश में 995 से 1017 और झारखंड में 1002 से बढ़कर 1050 हो गई है। वहीं, बिहार में राष्ट्रीय लिंगानुपात दर से भी अधिक की बढोतरी दर्ज की गयी है। राष्ट्रीय लिंगानुपात दर 991 से बढ़कर 1020 हो गयी है।
नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाना चुनौती
बिहार में नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाना अब भी चुनौती बनी हुई है। राज्य में नवजात शिशु मृत्यु दर एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस- 5 में कमी आयी है लेकिन इसे राष्ट्रीय दर से कम करना अब भी बड़ी चुनौती है। राज्य में नवजात शिशु मृत्यु दर एनएफएचएस -4 में 36.7 थी जो एनएफएचएस-5 में घटकर 34.5 हो गयी है। जबकि राष्ट्रीय नवजात शिशु मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से 29.5 से कम हो कर 24.9 हो चुका है। वहीं, इंफेंट मोर्टिलिटी रेट (आईएमआर- एक वर्ष तक के बच्चों की मौत) की दर बिहार में 48.1 से 46.8 हुई है जबकि राष्ट्रीय आईएमआर 40.7 से 35.2 हो चुकी है।