- August 7, 2015
बिहार में गुटखा-पान मसाला की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगाने के बिहार सरकार के आदेश बरकरार –
हम इस मामले को जल्द नहीं सुन सकते क्योंकि अदालत की सूची फुल है मत जब तक मानव समाज मौजूद है जर्दा बर्बाद नहीं हो सकता पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर लगाई रोक को हटाने से इनकार
दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में गुटखा-पान मसाला की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगाने के बिहार सरकार के आदेश को बरकरार रखते हुए पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर लगाई रोक को हटाने से इनकार दिया। पान मसाला और जर्दा उत्पादकों ने इस रोक को हटाने के लिए पुरजोर कोशिश की लेकिन कोर्ट ने उन्हे ठुकरा दिया।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एचएल दत्तू की पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश देते हुए जर्दा उत्पादकों के इस आग्रह को ठुकरा दिया कि इस मामले में पर जल्द सुनवाई की जाए। जर्दा उत्पादकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि हमारे कारोबार बर्बाद हो रहे हैं और यदि जल्द सुनवाई न की की गई तो 6 नवंबर से सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। प्रतिबंध के लागू होने से की तिथि 6 नवंबर है।
इस पर कोर्ट ने हम इस मामले को जल्द नहीं सुन सकते क्योंकि अदालत की सूची फुल है। आप घबराइये मत जब तक मानव समाज मौजूद है जर्दा बर्बाद नहीं हो सकता। हालांकि बाद में कोर्ट इस मामले को 8 अक्तूबर को सुनने के लिए तैयार हो गया।
इससे पूर्व 8 मई को सर्वोच्च अदालत ने बिहार में गुटखा बिक्री पर पांबदी हटाने के आदेश पर रोक लगा दी थी और जर्दा निर्माताओं को नोटिस जारी किया था।
सर्वोच्च अदालत के इस आदेश से अब राज्य में सभी धूम्ररहित तंबाकू पदार्थों जर्दा, पान मसाला, सुगंधित सुपारी और सुगंधित तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नागेद्र राय और समीरअली खान ने बहस की। उन्होंने कहा कि गुटखे की बिक्री लगभग पूरे देश में बंद कर दी गई और इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इस पर से प्रतिबंध हटाया नहीं जाना चाहिए।
गौरतलब है कि बिहार सरकार ने गुटखे को फूड सेफ्टी एक्ट के अधीन मानते हुए स्वास्थ्य के लिए खतरे को देखते नवंबर 2014 में इसकी बिक्री पर पूर्ण रोक लगा दी थी। लेकिन तंबाकू निर्माताओं ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।