- November 12, 2014
बिहार : न्यायिक सेवाओं में आरक्षण रद्द -उच्च न्यायालय
पटना – पटना उच्च न्यायालय ने न्यायिक सेवा में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति को राज्य न्यायिक सेवा और उच्चतर न्यायिक सेवा में आरक्षण के संबंध में बिहार सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी है। मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दीक्षित और न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह के खंड पीठ ने कल बिहार सरकार द्वारा 25 जून 2009 को राज्य न्यायिक सेवा और उच्चतर न्यायिक सेवा में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति को आरक्षण देने के खिलाफ दायर अधिवक्ता दयानंद सिंह एवं अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया।
खंडपीठ ने इस मामले में उच्च न्यायालय से संपर्क और परामर्श नहीं करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत के आदेश में कहा गया है कि न्यायिक सेवा में आरक्षण लागू किया जाना उच्च न्यायालय के राय के खिलाफ कार्यपालिका के ‘अडिय़ल रवैये’ को साबित करता है। अदालत के आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय की राय को स्वीकार करे और राज्य न्यायिक सेवा से जुड़े पदों से संबंधित उच्च न्यायालय की प्रशासनिक शक्ति में हस्तक्षेप करने से स्वयं को रोके।
याचिकाकर्ताओं ने बिहार न्यायिक सेवा नियमावाली 1955 के नियम 3ए और उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावाली 1951 के नियम 4ए को संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। राज्य सरकार ने इन नियमों को संशोधन के जरिए समाहित करते हुए उसे जूनियर डिविजन सिविल जज और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की नियुक्ति में लागू किया था। इस आदेश का 28वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पर सीधा असर पड़ेगा। इस बीच विधि विभाग सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय के इस आदेश को राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।