- April 26, 2020
बिल्ली को दूध की रखवाली—–SSC पेपर लिक कराने वाले चोर को सौंपी विधान परिषद के आशु लिपिक की बहाली का दायित्व
पटना—- विधान परिषद में हो गया खेला….
27/02/2020 को बिहार विधान परिषद ने आशुलिपिक के 20 पद, निजी सहायक के 05 पद और निम्नवर्गीय लिपिक के 13 पदों के लिए सफल उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है।
बिहार विधान परिषद में उपरोक्त पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन संख्या 01/2019 और 04/2019 में कुछ गड़बड़ हुआ है। इसी विज्ञापन के अंतर्गत आशुलिपिक के 20 पदों और निजी सहायक के 05 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया था।
विज्ञापन संख्या 04/2019 के अंतर्गत निम्नवर्गीय लिपिक के 13 पदों के लिए आवेदन मांगे गये थे। नियुक्ति में किसी प्रकार से कोई गड़बड़ी ना हो इस बात का ख्याल रखते हुए पूरी जिम्मेदारी एक बाहरी एजेंसी को सौप दी गई थी।
जिस बाहरी एजेंसी का इस पवित्र कार्य के लिए चयन किया गया था उसका नाम है SIFY, अब आप कहेंगे कि नाम में क्या रखा है। लेकिन कुछ और आप सोचें उसके पहले जान लीजिए कि यह वही एजेंसी है जिसे 2018 में SSC पेपर लिक मामले के लिए जिम्मेदार पाया गया था और इसके अनेक कर्मचारियों के खिलाफ बिहार सरकार ने केस भी दर्ज किया था। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस एजेंसी को बिहार सरकार ब्लैक लिस्ट कर चुकी है।
हालांकि, हम इसके ब्लैकलिस्टेड होने का दावा नहीं करते फिर भी इसके काले कारनामों से कोई भी इंकार नहीं कर सकता। विधान परिषद ने इस एजेंसी की सहायता के लिए अपने यहां के कुछ अधिकारी/कर्मचारी को एजेंसी में तैनात कर दिया गया।
सवाल संख्या 01- अगर ऐजेंसी की क्षमता पर अविश्वास था तो उन्हें काम क्यों एलॉट किया गया ?
सवाल संख्या 02- आखिर किस मजबूरी में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मेधा सूची को
अनारक्षित छात्रों की मेधा सूचि के साथ मिलाकर एक साथ जारी किया गया?
सवाल संख्या 03- पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा और पिछड़े वर्ग की महिला कोटि को एक साथ क्यों नहीं प्रकाशित किया गया?