• August 1, 2018

बाढ़ और सुखाड़ समीक्षा बैठक —माॅनसून-2018 की वर्तमान एवं संभावित स्थिति के संबंध में प्रेजेंटेशन

बाढ़ और सुखाड़  समीक्षा  बैठक —माॅनसून-2018 की वर्तमान एवं संभावित स्थिति के संबंध में प्रेजेंटेशन

पटना- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित ‘नेक संवाद’ में बाढ़-सुखाड़ के सन्दर्भ में समीक्षा बैठक की। बैठक में मुख्य सचिव, विकास आयुक्त के साथ
ही संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव के अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी प्रमंडलीय आयुक्त एवं जिलाधिकारी जुड़े थे। समीक्षा बैठक में मौसम विभाग के अधिकारी ने माॅनसून-2018 की वर्तमान एवं संभावित स्थिति के संबंध में प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें अगस्त माह में बिहार में अच्छी बारिश होने की संभावना जताई गयी है।

जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने मुख्यमंत्री के समक्ष बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति
से निपटने के लिए बनायी गयी विभागीय योजनाओं और तैयारी के संबंध में स्तुतीकरण दिया। प्रेजेंटेशन में सोन नहर प्रणाली, गंडक नहर प्रणाली, कोशी नहर प्रणाली के साथ ही अन्य सिंचाई परियोजनाओं के जरिये किसानों के खेतों तक पानी उपलब्ध कराने, प्रमुख जलाशयों में वर्तमान जल संचयन की स्थिति, योजनावार खरीफ सिंचाई योजना के लक्ष्य एवं उपलब्धि, नहरों से जलापूर्ति की अवधि, बाढ़-2018 की तैयारी के निमित लिए गए एहतियाती फैसले, खरीफ सिंचाई-2018 हेतु नहर प्रणालियों के जलस्राव के अलावा गंगा, गंडक एवं कोशी के जलस्तर के सन्दर्भ में विस्तृत प्रतिवेदन मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

कृषि विभाग के प्रधान सचिव ने बाढ़ एवं सूखे की स्थिति से निपटने के लिए तैयार की
गयी विभागीय योजनाओं एवं लिए गये फैसलों का प्रतिवेदन मुख्यमंत्री के समक्ष प्रजेंटेशन के माध्यम से जिलावार प्रस्तुत किया। प्रेजेंटेशन में विगत चार वर्षों का वर्षापात, पूरे बिहार में वर्तमान वर्षापात की सामान्य एवं वास्तविक (नोर्मल एवं एक्चुअल) स्थिति, खरीफ फसल-2018 फसल आच्छादन, धान की सामुदायिक नर्सरी विकास योजना, फसल सहायता योजना के तहत पंजीकृत किसानों की वर्तमान संख्या, डीजल अनुदान, आकस्मिक फसल योजना, दक्षिण-पश्चिम माॅनसून के अनियमित होने की स्थिति में विभाग द्वारा उठाये गये कदम के सन्दर्भ में विस्तृत प्रतिवेदन मुख्यमंत्री के समक्ष रखा गया।

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सचिव ने संभावित पेयजल की समस्या से निपटने हेतु कार्रवाई, जिलावार औसत भू-जलस्तर, सार्वजनिक स्थल पर लगे चापाकलों की स्थिति, बंद पड़े चापाकलों को दुरुस्त करने के लिए बनाये गए चलंत मरम्मति दल, पशुओं के लिए संभावित पेयजल की समस्या से निपटने के लिए की गयी तैयारी के अलावा अन्य समस्याओं से निपटने के लिए खोले गये नियंत्रण कक्ष एवं टोल फ्री नंबर के संबंध में प्रस्तुतीकरण मुख्यमंत्री के समक्ष दिया।

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव ने पशु रोग नियंत्रण की व्यवस्था, पशु
टीकाकरण की वर्तमान स्थिति, पशु चिकित्सा की व्यवस्था, बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति में पशु चिकित्सालयों में दवा भंडारण की व्यवस्था, सूखा चारा/दाना, पशु राहत शिविर की स्थापना, सभी जिलों में कोषांग के गठन के सन्दर्भ में विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष प्रेजेंटेशन के जरिये पेश किया।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी जिले के जिलाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपने-अपने जिले की वर्तमान स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत कराया, इसमें वर्षापात की
स्थिति, खरीफ फसल का आच्छादन, बाढ़ एवं सूखे की स्थिति में पशुओं के आश्रय स्थल की व्यवस्था, राजकीय नलकूप की स्थिति, डीजल अनुदान, मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना, चापाकलों की स्थिति, सूखा राशन, पशु चारा, प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती, पाॅलीथिन सीट्स की उपलब्धता, पेयजल संकट से निपटने, नदियों के जलस्तर की वर्तमान स्थिति, बिजली आपूर्ति, तटबंधों की स्थिति, नाव, भूजल स्तर सहित बाढ़ एवं सूखे से निपटने को लेकर की गयी तैयारी एवं लिए गए फैसले सम्मिलित हैं।

समीक्षा बैठक के क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि हर हाल में रोपनी करवाइये क्यांेकि मौसम विभाग ने अच्छी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है। अगर धान की रोपनी होगी, तभी आगे वर्षा का लाभ किसान उठा पायेंगे। उन्होंने कहा कि जहाँ पानी की कमी है और धान की रोपनी संभव नहीं है, वहां आकस्मिक फसल योजना के तहत अल्टरनेटिव क्रॉप की व्यवस्था हर हाल में सुनिश्चित होनी चाहिए।

वर्षापात कम होने की स्थिति में जहाँ कैनाल इरिगेशन नहीं है, उन इलाकों के किसानों को इसके लिए प्रेरित कीजिये। सभी जिलाधिकारियों को धान की सामुदायिक नर्सरी विकास योजना को वेरीफाई करने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आकस्मिक फसल योजना को निरंतर वाॅच नहीं करिएगा तो इसका भरपूर लाभ किसानों को नहीं मिल पायेगा।

बैठक में सभी जिलाधिकारियों को मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि जो भी राजकीय नलकूप
बंद पड़े हैं, उसे चालू कराइये और उसे जीविका, गैर स्वयंसेवी संस्था या किसी व्यक्ति को हस्तांतरित कीजिये ताकि किसानों के खेतों तक सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हो सके। राजकीय नलकूप लेने के जो इच्छुक व्यक्ति/संस्था या संगठन हैं, वे इसके लिए एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के यहाँ आवेदन कर सकते हैं। राजकीय नलकूप के लिए पहले बिजली बिल काॅमर्शियल था, उसमे अब बदलाव किया गया है। ऊर्जा विभाग ने 75 पैसे प्रति यूनिट की दर निर्धारित की है।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थल पर जो चापाकल लगे हैं, हर घर नल का जल योजना के अतिरिक्त उसे दुरुस्त किया जाए। सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित कुँओं के जीर्णोद्धार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि भू-जलस्तर घटने, आगजनी या प्रतिकूल परिस्थिति से निपटने के लिए जलस्रोत हर हाल में उपलब्ध रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए मुजफ्फरपुर,वैशाली,सारण, पटना एवं नालंदा 5 जिले ऐसे हैं, जहाँ विशेष निगरानी रखने की आवश्यकता है। पारामीटर के हिसाब से हमलोगों ने तैयारी की है और मौसम विभाग ने भी उत्तरी एवं दक्षिणी बिहार में वर्षा होने की सम्भावना जताई है। उन्होंने कहा कि फसल सहायता योजना और डीजल अनुदान को गंभीरतापूर्वक चलाइये।

फसल सहायता योजना में किसानों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित जो समस्यायें हैं, उनका अध्ययन कराकर उसे तत्काल दूर करिये। आकस्मिक फसल योजना पर भी सचेत रहने की आवश्यकता है। वर्षा नहीं होने की स्थिति में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को सभी जिलों में सोलर पम्प की भी पूरी तैयारी रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग या कृषि विभाग का जो आंकडा है, उसके हिसाब से अभी कोई निर्णय लेना उचित नहीं है क्यंकि अभी कहीं सूखे की स्थिति नहीं है।

उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी कृषि विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, जल संसाधन विभाग एवं लघु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के सम्पर्क में रहें। उन्होंने कहा कि बिहार में 15 अगस्त के बाद और सितंबर के अंत तक बाढ़ आती है इसलिए हर तरह से तैयार रहिये। उन्होंने कहा कि बिहार को सूखा घोषित करने का आज कोई आधार नहीं है, इसका आकलन पुनः 10-11 अगस्त के बाद किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि चीफ सेक्रेटरी के स्तर पर मीटिंग करके जो नॉन फंक्शनल ट्यूबवेल हैं, उसे फंक्शनल कराइए। इसके लिए पैसे की जितनी आवश्यकता होगी, उसकी व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। दो से चार दिनों के अंदर राजकीय नलकूप हैंडओवर करने को लेकर विचार कीजिये।

लघु जल संसाधन विभाग को सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकीय ट्यूबवेल की पूरी मशीनरी अगर खराब हो चुकी है तो कोई विकल्प दीजिये। मुख्यमंत्री ने सभी प्रभारी सचिवों को पुनः क्षेत्र भ्रमण करने का भी निर्देश दिया। समीक्षा बैठक के बाद मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार ने संवाददाता सम्मलेन कर बैठक में लिए गये फैसलों से पत्रकारों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई तक बिहार में 48 प्रतिशत सामान्य से कम वर्षापात हुई थी लेकिन विगत एक सप्ताह में अच्छी बारिश होने के
कारण वर्तमान में 23 प्रतिशत सामान्य से कम वर्षापात दर्ज की गयी है, वही धान का आच्छादन 50 प्रतिशत के करीब पूरे बिहार में अब तक हो सका है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में फसल सहायता योजना के लिए किसानों को प्रेरित करने तथा सॉफ्टवेयर में आ रही दिक्कतों को दूर करने, बंद पड़े चापाकलों की मरम्मत हेतु विशेष अभियान चलाकर उसे दुरुस्त करने, प्रखंडों में आकस्मिक फसल योजना के तहत फसलों की पहचान करने जैसे अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देष दिया है।

उन्होंने कहा कि मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि 6-7 अगस्त से बिहार में अच्छी बारिश होने की संभावना है। 10 अगस्त के आसपास दोबारा समीक्षा बैठक कर स्थिति का आकलन किया जाएगा। वर्तमान में सूखे की स्थिति कहीं नहीं है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना के लिए आवेदन की तारीख बढाकर 30 अगस्त कर दी गयी है।

समीक्षा बैठक में उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, ऊर्जा मंत्री श्री बिजेंद्र प्रसाद
यादव, जल संसाधन मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, कृषि मंत्री श्री प्रेम कुमार, आपदा प्रबंधन मंत्री श्री दिनेश चन्द्र यादव, स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री श्री विनोद नारायण झा, ग्रामीण कार्य मंत्री श्री शैलेश कुमार, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री पशुपति कुमार पारस, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री व्यास जी, विकास आयुक्त श्री शशि शेखर शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अतीष चन्द्रा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव, जिलों के प्रभारी सचिव उपस्थित थे।

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