• December 28, 2014

बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति एवं नशा प्रवृति : पुनर्वासित करने हेतु सामूहिक प्रयास – जिला कलक्टर

बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति एवं नशा प्रवृति : पुनर्वासित करने हेतु सामूहिक प्रयास – जिला कलक्टर

जयपुर –  जिला कलक्टर श्री कृष्ण कुणाल ने कहा है कि बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति एवं बच्चों में नशा प्रवृत्ति को रोकने तथा ऐसी प्रवृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास कर उन्हें शिक्षा से जोडऩे के लिए स्वंयसेवी संस्थाओं, सिविल सोसाइटी, मीडिया, जिला प्रशासन, पुलिस, श्रम, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारियों तथा आमजन को सामूहिक प्रयास करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
जिला कलक्टर शनिवार को जिला परिषद् के सभागार में जिले में बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति एवं कोटपा अधिनियम 2003 के संबन्ध में आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होनें कहा कि बालश्रम एवं बाल भिक्षावृत्ति तथा बच्चों में नशे की प्रवृत्ति की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम जोन आयुक्त एवं नगर पालिकाओं के अधिशाषी अधिकारी मिलकर प्रभारी कार्यवाही अमल में लाने तथा बाल श्रम एवं ऐसी प्रवृतियों में लिप्त बच्चों का पुर्नवास कर उनकी रूचि के अनुसार कौशल प्रशिक्षण दिया जाकर उन्हें शिक्षा से भी जोड़कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जाये ताकि उनकी मानसिकता में बलदाव हो सकें।

उन्होंने उपखण्ड अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से ऐसी प्रवृतियों में लिप्त बच्चों का पुनर्वास कर एवं शिक्षा से जोडऩे के प्रयास करें। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग एवं राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग बना हुआ है। बाल अधिकारों के हनन के संबन्ध में इनमें से किसी भी आयोग में शिकायत की जा सकती है।

जिला कलक्टर ने कहा कि सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद ( विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003 की धारा 6 ‘अ’ के तहत 18 वर्ष से कम आयुवर्ग के व्यक्ति को तम्बाकू पदार्थ बेचना अपराध है एवं 18 वर्ष से कम आयुवर्ग के व्यक्ति द्वारा तम्बाकू पदार्थ बेचना भी अपराध है। नाबालिगों को तम्बाकू पदार्थ बिक्री स्थान पर दिखाई नहीं देना चाहिए तथा बिक्री के स्थान पर एक बोर्ड लगाना आवश्यक है जिस पर ‘अठारह वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को तम्बाकू उत्पादों की बिक्री एक दण्डनीय अपराध है’ अंकित होना चाहिये। उक्त नियमों के उल्लंघन पर 200 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उक्त अधिनियम की धार 6 ‘ब’ के अन्तर्गत शिक्षण संस्थानों के 100 मीटर के दायरे मे तम्बाकू पदार्थ बेचाना अपराध है। तथा शिक्षण संस्थानों के प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगाना आवश्यक है, जिस पर लिखा हो कि ”तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान, इस शिक्षण संस्थान के 100 मीटर के दायरे में तम्बाकू पदार्थ बेचना अपराध है।” उक्त नियमों के उल्लंघन पर भी 200 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। इसी प्रकार बिना चित्रित एवं वैधानिक चेतावनी के तम्बाकू पदार्थ के पैकेट बेचना अपराध है। चित्रित वैधानिक चेतावनी उपभोक्ताओं को बेचे जाने वाले प्रत्येक पैकेट के 40 प्रतिशत भाग पर स्पष्ट रूप से छपी होनी आवश्यक है। चित्रित वैधानिक चेतावनी प्रतिवर्ष बदलनी भी आवश्यक है।  उक्त नियमों के उल्लंघन पर 2 से 5 साल की सजा व 1000 से 10000 रूपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।

जिला कलक्टर ने कहा कि बाल श्रम एवं बाल भिक्षावृत्ति को रोकने के तथा नशे की प्रवृत्ति से लोगों को मुक्त कराने तथा तम्बाकू सेवन के कुप्रभाव के बार में आमजन को जागरूक करना के लिए सार्थक प्रयास करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं, सिविल सोसायटी एवं मीडिया के सहयोग से जयपुर को 31 मई 2015 तक स्मॉक मुक्त करने का प्रयास किया जायेगा।

सेमिनार में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव डॉ. चेतना ने बाल श्रम एवं बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम संबन्धी अधिनियम एवं एस.ओ.पी. तथा कोटपा के प्रावधानों के बार में विस्तार से जानकारी दी। अति. जिला कलक्टर शहर दक्षिण श्री पुखराज सेन ने कहा कि सभी को मिलकर बालश्रम एवं बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिय।

सेमिनार में राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान के राज्य समन्वयक श्री विजय गोयल ने पावर पोईन्ट प्रजन्टेंशन के माध्यम से बच्चों को विकास, सुरक्षा एवं  सहभागिता के अधिकारों तथा बच्चों के अधिकारों के हनन को रोकने के लिए बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण ईकाई, विशेष किशोर पुलिस ईकाई, तथा चाइल्ड लाइन संस्था के बारे में जानकारी देते हुए बताया की बच्चों की सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में चाइल्ड लाईन संचालित की जा रही है जो बच्चों की सुरक्षा के लिए कार्यरत है, जिसके टोल फ्री नम्बर 1098 है। एस.आर.के.पी.एस संस्था के सचिव श्री राजीव चौधरी ने कोटपा अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 एवं 7 के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सेमिनार का संचालन उपखण्ड अधिकारी शहर उत्तर श्रीमती सीमा शर्मा ने किया।

सेमिनार में अति. जिला कलक्टर शहर पूर्व श्री एच.एम.ढाका, उत्तर श्री पारस चन्द जैन, समस्त उपखण्ड अधिकारी, पुलिस अधिकारियों सहित अन्य विभागों के अधिकारी, स्वयंसेवी संस्थाओं के  प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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