- October 29, 2014
बार्सिलोना: ‘तपेदिक-मिशन 2020’:: मैं जल्दी में हूं, जवाबदेही के साथ इस दिशा में तीव्रता चाहता हूं – डॉ. हर्षवर्धन
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मंत्री ने कहा, ‘मैं जल्दी में हूं। वैसे तो मैं इसके लिए एक दीर्घकालिक नजरिये के पक्ष में हूं, लेकिन कुछ ऐसे लक्ष्य को तय करने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है, जिसे वर्ष 2035 या वर्ष 2050 में भी पाने को लेकर संशय है।’ इस संगोष्ठी का शीर्षक था- वैश्विक स्तर पर तपेदिक महामारी के खात्मे के लिए लीक से हटकर सोचना : 2015 के बाद की रणनीति के साथ।
डॉ. हर्षवर्धन ने घोषणा की कि ‘तपेदिक-मिशन 2020’ के तहत उन्होंने भारत के तपेदिक रोधी मिशन के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगले पांच वर्षों में उल्लेखनीय सफलता पाने के लिए वे कोई कसर न छोड़ें। उनके विचार में अगर किसी दीर्घकालिक तिथि का लक्ष्य तय किया गया तो उनकी टीम उस जवाबदेही के साथ काम नहीं कर पायेगी, जो किसी नजदीकी तिथि का लक्ष्य तय करने पर नजर आयेगी।
सरकार पहले ही तपेदिक नियंत्रण उपायों पर अमल में तेजी ला चुकी है। परंपरागत सुस्त रुख अपनाने के बजाय भारत अब गहन मिशन वाले मोड में चला गया है, जो अत्यंत छोटे स्तरों पर भी साफ नजर आ रहा है। इसमें स्थानीय स्वशासन निकायों और स्वैच्छिक क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है।
भारत में तपेदिक देखभाल के लिए जो मानक विकसित किये गये हैं उनमें सर्वोत्तम निदान रणनीतियों को समाहित किया गया है। इसके तहत अत्यंत संवेदनशील उपकरणों, सार्वभौमिक दवा परीक्षण, उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली दवाओं के उपयोग इत्यादि पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत सभी तपेदिक रोगियों को नि:शुल्क निदान एवं इलाज की सुविधा देने पर भी विचार कर रहा है, चाहे व सरकारी अथवा निजी अस्पतालों में भी भर्ती क्यों न हों। उन्होंने कहा कि इन रोगियों को पोषक खाद्य पदार्थ सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाये जा रहे है।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठन से अपील की कि तपेदिक की पहचान महज एक चिकित्सा मसले के रूप में नहीं, बल्कि विकास से जुड़े मुद्दे के रूप में भी की जानी चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि तपेदिक गरीबी का एक उप-उत्पाद है। मेरा यह साफ मानना है कि हम सभी को तपेदिक नियंत्रण को एक विकास मुद्दे के रूप में देखना चाहिए। तपेदिक नियंत्रण की जिम्मेदारी अब सिर्फ डॉक्टरों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि चिकित्सा प्रशासकों एवं राजनीतिज्ञों को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं फिलहाल इस तरह की सारी जिम्मेदारियां उठा रहा हूं, जो एक संयोग है। दरअसल यह लोगों के कष्ट को कम करने का एक अवसर है।