- September 12, 2015
बांस शिल्प एक नये मॉडल के रूप में : सोफासेट, सेन्टर टेबल, सजावटी एवं अन्य
रायगढ़ (छत्तीसगढ़) के जिला मुख्यालय रायगढ़ के नजदीक गांव कोसमनारा अब बांस शिल्प में एक नये मॉडल के रूप में उभरा है। यहां के बसोड परिवार पापरंरिक रूप से झौहा, टेाकना और सूपा आदि के साथ-साथ अब सोफासेट, सेन्टर टेबल, सजावटी एवं अन्य घरेलू उपयोग के सामान बना रहे हैं। इससे उनकी जिन्दगी खुशहाल हुई है।
संयुक्त वन प्रबंध के तहत वनों की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए ग्रामीणों का सहयोग वन विभाग को लगातार मिल रहा है। ग्रामीण जन अब वनों के संरक्षण का महत्व समझ कर वन विभाग का सहयोग कर रहे है, वन विभाग ने भी आजीविका के लिए उनकी वनों पर निर्भरता घटाने के लिए नई योजनाऐ प्रारंभ की है। रायगढ वनमण्डल के अंतर्गत इस गांव को राष्ट्रीय बांस मिशन की योजना के तहत बांस प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना के लिए चयनित किया गया है। योजना के तहत ग्रामीणों के पारंपरिक कौशल को नए जमाने की आवश्यकताओं एवं टेक्नोलॉजी के साथ संजोकर एक नया आयाम दिया गया है।
कोसमनारा अब बांस आधारित शिल्प एवं दैनिक उपयोग की सामग्रियों के निर्माण के लिए बनाए गए प्रंसस्करण केन्द्र के माध्यम से राज्य के शिल्प नक्शे पर तेजी से उभर रहा है। यहां के एक सौ परिवार पारंपरिक रूप से बांस के कारोबार से जुड़े हैं। ये परिवार बांस से झौहा, टोकनी, सूपा, टट्टे आदि का निर्माण कर उसे रायगढ़ और आसपास के हाट-बाजारांे मे बेचकर अपना जीवन यापन करते आ रहे है। अब ये ग्रामीण बाजार में आए बदलाव और नये फैशन के अनुरूप बांस के नये डिजाईन की सामग्री तैयार कर रहे है। इससे क्षेत्र में इसकी मांग बढ़ी है। और उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलने लगा है।
ग्राम के दो युवा बसोंड़ों को अगरतला (त्रिपुरा) स्थित बांस एवं केन प्रसंस्करण संस्थान भेजकर बांस के नवीनतम कलाकृतियो के डिजाइन विकास का प्रशिक्षण दिलाया गया । इस के साथ ही तीन व्यक्तियों को देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान के एक सप्ताह का एडवांस कोर्स कराया गया।
ग्राम कोसमनारा मे प्रशिक्षण सह वर्कशेड का निर्माण लगभग दो लाख रूपये की लागत से किया गया है। जहां प्रशिक्षण और उत्पादन का कार्य निरंतर जारी है। इस केन्द्र को बांस मिशन से ही लगभग 10 लाख रूपये की अत्याधुनिक मशीनें वन विभाग ने प्रदाय की हैं। इन मशीनों से नए नए तरह की कटिंग एवं डिजाइनिंग करना संभव है जो बांस शिल्प को सस्ता, आसान एवं अधिक कलात्मक बना देती है।
ग्राम वन समिति को कच्च माल एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदी के लिए 1.50 लाख रूपये रिवाल्विंग फण्ड के रूप मे उपलब्ध कराए जा चुके है। 50 से अधिक बसोड़ो को नयी तकनीक एवं मशीन संचालन का अच्छा अनुभव हो चुका है। कच्चा माल की सप्लाई नियमित बने रहने से उत्पादन मे स्थायित्व बना है। बांस निर्मित सामग्री के विक्रय के लिए वन विभाग द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा राज्येात्सव, सरसमेला, ग्रामश्री मेला आदि मे भी बसोड़ों को भेजा जाता है, जहां उनको अच्छा मुनाफा मिलता है।