- April 22, 2018
बलात्कार का आरोप फर्जी निकलने पर लड़की को फाँसी का प्रावधान क्यों नहीं है ??
दहेज उत्पीड़न के हजारो केस मे लगभग 90% केस फर्जी होते हैं, ऐसे फर्जी केस ठोकने वाली लड़कियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान क्यों नहीं है ??
वैवाहिक बलात्कार में पत्नी के गलत होने पर पत्नी को फाँसी/उम्रकैद की सजा क्यो नही है ??
जिस हिसाब से फर्जी छेड़खानी, घरेलू हिंसा , दहेज उत्पीड़न, वैवाहिक बलात्कार जैसे केसों का धड़ल्ले से दुरूपयोग हो रहा है इससे साफ स्पष्ट है कि आने वाले कुछ ही दिनों मे भारत से पुरुष नामक प्रजाति विलुप्त के कगार पर पहुँच जायेगी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महिलावाद एक धंधा बन चुका है जिसका सालाना टर्न ओवर “कइयो हजार करोड़” के ऊपर जा रहा है।
NCRB (National crime report beauro) के अनुसार वर्ष 2013 में 65,000 से 70,000 हजार पुरुष हर साल महिला कानूनों से तंग आकर आत्महत्या करते थे। यानी हर हर नौवें मिनट मे एक पुरुष सुसाइड करता था। वहीं महिलाओ का ग्राफ 25,000 से 29,000 था जिसमे आत्महत्या के विभिन्न कारण शामिल थे।
2018 के हालात कुछ ऐसे हैं कि आज हर छठें से सातवे मिनट के अंतराल पर एक पुरुष आत्महत्या कर रहा है। आज भारत में हर एक से डेढ मिनट के भीतर एक फर्जी केस रजिस्टर हो रहा है। सोचिए कहाँ जा रहे हैं हम ??
आदरणीय Narendra Modi जी, इन कानूनों का निर्माण महिला-उत्थान के लिये किया गया था मगर आज पथभ्रष्ट स्त्रियाँ इसका धडल्ले से दुरुपयोग कर रही हैं…
सरकार को इन पथभ्रष्ट स्त्रियों द्वारा किये जा रहे हर उस फर्जी केस पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए तथा ऐसी स्त्रियों को कारागार मे डालना चाहिए।
बलात्कार का झूठा केस लगाकर पुरुषों का मानसिक सामाजिक शारीरिक बौद्धिक हनन करने वाली लड़कियों को भी फाँसी की ही सजा होनी चाहिए।
झूठे दहेज उत्पीड़न घरेलू हिंसा व वैवाहिक बलात्कार मे फर्जीवाडा़ की बदबू मिलते ही उम्रकैद से कम सजा नही होनी चाहिए।
विवाह के नाम पर महिला कानूनों को अस्त्र बनाकर धड़ल्ले से धंधा करने वाली इस महिलावादी जमात पर शिकंजा कसना ही चाहिए।
प्रेमी के साथ मिलकर ससुरालियों व पति की हत्या करने जैसी हर उस पथभ्रष्ट लड़कियों को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए।
लिंगभेद के नाम पर भारत तबाह होने से रोकना है तो ऐसे कानून बनने ही चाहिए…!!
(नवसंचारसमाचार फेसबूक)