- April 24, 2016
बरसाती पानी के आवाहन की तैयारियाँ परवान पर: – कल्पना डिण्डोर
बाँसवाड़ा (जि०सू०ज०अ०)————- पानी के मामले में पहाड़ी क्षेत्रों की परंपरागत समस्याओं का खात्मा कर डालने का बीड़ा उठा चुके आदिवासी अंचल बांसवाड़ा में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान गांवाई अभियान बन चुके हैं जहाँ बरसाती पानी से खेती-बाड़ी पर निर्भर आदिवासी ग्रामीणों ने ठान लिया है कि अब पानी के मामले में नया जमाना लाकर ही मानेंगे।
ग्रामीणों के उत्साह और जिला प्रशासन के सार्थक प्रयासों के साथ ही जन प्रतिनिधियों की सशक्त भागीदारी की बदौलत बांसवाड़ा जिले के गांवों में जल संरचनाओं के पुनरुद्धार एवं नवीन जल संरचनाओं के काम पूरे यौवन पर हैं। काफी संख्या में जल संरचनाओं का निर्माण पूरा हो चुका है तथा ये बरसाती पानी की अगवानी को तैयार हैं। वहीं दूसरे सारे काम युद्धस्तर पर जारी हैं।
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की दूरगामी सोच व पहल पर संचालित मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में बांसवाड़ा जिले के गा्रमीणजन स्वैच्छिक श्रमदान कर इसमें अधिक से अधिक भागीदारी निभा रहे हैं।
परम्परागत जलाशयों को पुनर्जीवित करने के इस लक्ष्य को लेकर पूरी निष्ठा और समर्पण से काम कर रहे हैं कि इस बार की बरसात गांव के लिए पानी के मामले में आत्मनिर्भरता लाने वाली सिद्ध हो ताकि ग्रामीणों को पीने का पानी दूर से लाने की दिक्कत व दूसरी समस्याएं नहीं रहें। मवेशियों के पीने लिए पानी सहज उपलब्धता बनी रहे तथा गांव का पानी गांव में रुका रहकर पेयजल, सिंचाई एवं हरियाली के जरिये लोक जीवन को हरा-भरा रखने में मददगार साबित हो।
जनजाति क्षेत्र के ग्रामीणजन व प्रशासन इन कार्यों को 30 जून तक हर हाल में पूर्ण कर देने के लिए युद्धस्तरीय प्रयासों में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत प्रशासन व तकनीकि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ग्रामीणों ने गांवों के परंपरागत जलाशयों की काया पलट दी है।
खासकर जिले के असिचिंत क्षेत्रों में यह अभियान आशातीत सफलता पाता जा रहा है जहां ग्रामीण जनजीवन बरसाती पानी पर ही निर्भर रहता आया है। इन इलाकों में सभी पुराने जलस्रोतों, कूओें-बावड़ियों, तालाबों, नदी-नालों आदि को फिर से आबाद करने, उनकी जल भराव क्षमता में विस्तार तथा इन्हें अधिक से अधिक उपयोगी बनाने के काम जोरों पर चलाए जा रहे हैं।
इसमें ग्रामीणों का स्वैच्छिक श्रमदान देखने लायक है। ग्रामीणजन जलाशयों को गहरा करने मिट्टी खुदाई, पाल को मिट्टी डालकर ऊँची व मजबूत करने तथा मेड़बन्दी जैसे कामों में उत्साह के साथ जुटे हुए हैं।
कई पुराने गांवाई तालाबों की तस्वीर ही बदल गई है। अब तालाब दिखने लगे हैं और मजबूत पाल ग्रामीणों के कठोर परिश्रम की गवाही देने लगी है। कुछ जलाशयों के पेटे में पानी आ जाने की वजह से जनोत्साह हिलोरें लेने लगा है और ग्रामीण कई गुना उत्साह से काम में जुटे हुए हैं।
ग्रामीणों और खेती-बाड़ी से जीवन निर्वाह कर रहे काश्तकारों व पशुपालकों के लिए ये जल संरक्षण कार्य गांवों की तकदीर संवारने वाले हैं जिनके लिए पानी का बन्दोबस्त हो जाए तो जिन्दगी खुशहाल ही हो जाए।
स्वयं प्रभारी मंत्री श्री जीतमल खांट भी ग्राम्यांचलों में चल रहे इस अभियान के प्रति उत्साहित हैं और समय-समय पर खुद मौके पर पहुंच कर अपनी भागीदारी भी दर्शा रहे हैं। इससे गांवों में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के प्रति उल्लास का माहौल है और इसमें प्राप्त हो रही भागीदारी ऎतिहासिक है।