• December 31, 2015

बदलाव : खेती-बाड़ी, पशुपालन और डेयरी विकास का नया दौर : – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक

बदलाव : खेती-बाड़ी, पशुपालन और डेयरी विकास का नया दौर : – डॉ. दीपक आचार्य   उप निदेशक

सू०ज०वि०(उदयपुर -)    आधारभूत लोक सुविधाओं, सेवाओं और बुनियादी विकास की दूरदर्शी सोच को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार ने हाल के दो वर्ष मेंं जो बहुद्देश्यीय प्रयास किए हैं उनका कोई सानी नहीं। खासकर कृषि और पशुपालन तथा इससे जुड़े क्षेत्रों पर आधारित बहुत बड़ी संख्या में किसानों और पशुपालकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं ने सुकून दिया है तथा उनका जीवनयापन आसान होने लगा है।UDAIPUR (4)

उदयपुर जिले में विगत दो वर्ष मेंं इस दिशा में बहुआयामी सार्थक प्रयास किए गए जिनसे कृषि, पशुपालन, मत्स्य विकास आदि गतिविधियों को सम्बल प्राप्त हुआ है।?

हरित क्रांति

जिले में पिछले दो वर्ष में कृषि विभाग द्वारा विभिन्न उपलब्धियां हासिल की गई। इनमें 24 खेत तलाई निर्माण कार्यो के लिए 12 लाख90 हजार का अनुदान प्रदान किया गया।  कृषि क्षेत्र में अध्ययनरत 718 छात्राओं को 81.63 रुपयों की प्रोत्साहन राशि का वितरण किया गया,जिसमें 10 + 2, स्नातक व स्नातकोत्तर तथा पीएचड़ी की छात्राएं शामिल हैं। न्यूट्री फॉर्म पायलट प्रोजेक्ट के तहत 2000 हैक्टेयर क्षेत्र में मक्का एवं 1000 हैक्टेयर क्षेत्र में गेहूँ फसल क्लस्टर प्रदर्शन से कृषकों को लाभान्वित किया गया।

मृदा की उर्वरकता की जाँच कर मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता की स्थिति अनुसार उचित उर्वरक उपयोग की सिफारिश के मद्देनज़र 16002 मृदा नमूनों की जाँच कर मृदा स्वास्थ्य काडर््स कृषकों को वितरित किए गए। कृषकों को 1912 कृषि यंत्र एवं 802 पौध संरक्षण उपकरण वितरित कर लाभान्वित किया गया। उन्नत बीज किस्मों के 37 हजार 750 फसल मिनिकिट कृषकों को वितरित किए गए। कृषकों को अनुदानित दर पर 251 किलोमीटर लम्बी सिंचाई पाईप लाइन की उपलब्धता सुनिश्चित हुई।

विशेष केन्द्रीय सहायता मद अंतर्गत जनजाति उपयोजना क्षेत्र के 1 लाख 32 हजार 432 जनजाति बीपीएल कृषकों को एसएसपी उर्वरक कूपन निःशुल्क वितरित किए गए। साथ ही गेहूँ, संकर कपास एवं सोयाबीन फसल मिनिकिट्स का वितरण एवं 90 फीसदी अनुदान पर भण्डारण पात्र, मूवेबल थ्रेसिंग फ्लोर कम प्लास्टिक शीट की उपलब्धता हुई।

मत्स्य विकास

जिले में 553.20 मत्स्य उत्पादन, 2083 सदस्यों को 547 नावें, 10940 किलोग्राम जाल की उपलब्धता, मत्स्य कृषकों को 106.20 लाख का पारिश्रमिक वितरित किया गया।  मत्स्य ठेकों से 2014-15 में 1.55 करोड़ तथा 2015-16 में 2.22 करोड़ की आय अर्जित हुई।  वर्ष2014-15 में 335.75 लाख फ्राई तथा 2015-16 में 424.50 लाख फ्राई मत्स्य बीज के साथ ही वर्ष 2014-15 में 3196.5 मैट्रिक टन तथा2015-16 नवम्बर तक 1654.40 मैट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ।  जिले के 3684 मत्स्य कृषकों का दुर्घटना बीमा तथा 71 आदर्श मछुआरा ग्राम विकास के प्रस्ताव तैयार कराए गए।

कृषि उपज मण्डीUDAIPUR (2)

राज्य सरकार के वन नियमों में संशोधन से वन उपज टी.पी. मुक्त कर राज्य की पहली वन उपज मण्डी को नये आयाम मिले। मण्डी से जनजाति उत्पादकों को उनकी वनोपज की वाजिब कीमत मिलने लगी है। वन उपज मण्डी विशिष्ट यार्ड निर्माण के लिए 4.44 करोड़ स्वीकृत  हुए हैं।  उदयपुर मण्डी यार्ड में प्रतिदिन 500 क्विन्टल वनोपज पुवाड़ लाने वाले 200 आदिवासी किसानों को किसान कलेवा के तहत भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।  उदयपुर में नवीन वन उपज मंडी-झाड़ोल का शुभारंभ तथा सलूम्बर व गोगुन्दा में वनोपज मंडी चलाने की योजना है।

डेयरी विकास

उदयपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड द्वारा डेयरी सेवाओं व सामाजिक सरोकारों की दृष्टि से बेहतर उपलब्धियां हासिल की गई हैं।  उदयपुर जिले में संघ का औसत दुग्ध संकलन बढ़ कर 86 हजार 242 लीटर हो गया है। इसे अब 1.02 लाख लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। वर्तमान में संघ की 213 महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों सहित 711 पंजीकृत दुग्ध समितियां हैं। इनकी सदस्यता 39 हजार 828है। जिले में विभिन्न मार्गों के माध्यम से 82 हजार 488 लीटर दुध का प्रतिदिन विक्रय किया जा रहा है।

डेयरी के गेट नंबर 2 पर राजस्थान के प्रथम स्वचालित दुग्ध एटीएम से 24 घंटे दूध व दूध उत्पाद उपलब्ध हैं। इसी प्रकार महिला डेयरी विकास कार्यक्रम, प्रसूता सहायता योजना, पशु चिकित्सा, शिक्षा, सहयोग, छात्रवृत्ति योजना, समितियों के विस्तार आदि के उल्लेखनीय कार्य हुए हैं।

जनजाति क्षेत्रों मेें जनजाति विकास विभाग के सहयोग से 83.61 लाख रुपए की लागत से 14 बल्क मिल्क कूलर स्थापित किये गये हैं। जनजाति क्षेत्रों के कृषक परिवारों को डेयरी विकास के लिए 118 लाख रुपए की स्वीकृति के साथ ही इस वर्ष 18 बल्क मिल्क कूलर व अन्य डेयरी संसाधनों के लिए जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा 214 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। खेरवाड़ा क्षेत्र में 4 तथा कोटड़ा क्षेत्र में 8 दुग्ध संकलन केन्द्र आरंभ किए गए हैं।

इसी प्रकार किसानों एवं पशुपालकों के लिए उदयपुर जिले में विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक विकास की गतिविधियों को संबल दिया जा रहा है।

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