- February 2, 2017
बजट 2017: नकदी चंदे पर अंकुश : 96 प्रतिशत कंपनियां कम कर की सुविधा से लाभांवित
जेटली की पोटली से विपक्षी दल खफा,चंदे के धंधे पर कोडा
नई दिल्ली : वर्ष 2017-18 के आम बजट में नोटबंदी से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिये निम्न मध्यम वर्गीय नौकरी पेशा लोगों को आयकर में राहत और छोटे उद्योगों के लिये कंपनी कर में कटौती सहित अनेक उपायों की घोषणा की गई है।
किसानों की आय दोगुनी करने, साफ-सफाई, बिजली, रेलवे, सड़क सहित जरूरी ढांचागत सुविधायें उपलब्ध कराने और युवाओं को शिक्षा, कौशल विकास के साथ रोजगार के अवसर दिलाने के लिये अनेक पहल की गई हैं।
बजट 2017: 5 लाख तक की आय पर इनकम टैक्स 10% की जगह 5% ।
बजट में ढाई लाख से पांच लाख रुपये के सालाना आय वर्ग में कर की दर मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी।
उन्होंने कहा कि इस रियायत से पांच लाख रुपये से कम सालाना आय वाले व्यक्तियों की कर देनदारी अन्य छूट सहित या तो शून्य रह जायेगी अथवा उनकी मौजूदा देनदारी का आधी रह जायेगी।
इस कटौती से 15,500 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा।
वित्त मंत्री ने 50 लाख से एक करोड़ रुपये की वार्षिक कमाई करने वालों के आयकर पर 10 प्रतिशत की दर से अधिभार लगा दिया।
एक करोड़ रुपये से अधिक कमाई पर 15 प्रतिशत की दर से मौजूदा अधिभार पूर्ववत लागू रहेगा।
इससे 2,700 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि पांच लाख रुपये से कम की वार्षिक आय पर कर दरों में की गई कमी का लाभ पांच लाख रुपये से ऊपर की आय वर्ग के करदाताओं को भी मिलेगा।
पहली फरवरी को बजट पेश करने से ढांचागत योजनाओं के लिये 3,96,135 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया।
रेलवे के लिये 1,30,000 करोड़ रुपये और राजमार्गों के लिये 64,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
जेटली ने कहा, ‘मैं बसंत पंचमी के पावन अवसर पर 2017-18 का बजट पेश करने के लिये खड़ा हुआ हूं, बसंत उम्मीद और आशाओं का मौसम है, मैं इस अवसर पर सभी को अपनी हार्दिक शुभकामनायें देता हूं।’
फसल रिण का लक्ष्य बढ़ाकर रिकार्ड 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के लिये कोष बढ़ाया गया है तथा एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने की बात की व्यवस्था।
2019 तक बेघर लोगों के लिये एक करोड़ मकान बनाने का वादा किया गया है।
नोटबंदी के तीन माह बाद पेश बजट में भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाया गया है।
कालेधन पर गठित विशेष जांच दल :एसआईटी: की सिफारिश पर तीन लाख रपये से अधिक का लेनदेन नकद राशि में करने पर रोक लगा दी गई है।
राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकदी चंदे की सीमा घटा कर 2,000 रुपये कर दी गयी है।
***पहले राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये तक नकद राशि स्वीकार करने की छूट थी।***
वस्तु एवं सेवाकर जल्द लागू होने की उम्मीद है,सिगरेट, पान मसाला, तंबाकू और मोबाइल फोन पर शुल्क बढ़ा दिया गया, ये महंगे हो जायेंगे।
ऑनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग, डिजिटल भुगतान में काम आने वाली पीओएस मशीनें, एलएनजी, सौर उर्जा पैनल में काम आने वाले कुछ उपकरण और पवन उर्जा जनरेटर सहित कुछ चीजें सस्ती हुई हैं।
वित्त मंत्री ने नोटबंदी के प्रभाव को कम करने और छोटी कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये 50 करोड़ रपये तक सालाना कारोबार करने वाली छोटी इकाइयों पर कर की दर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दी।
उन्होंने बताया कि 2015-16 आकलन वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक 6.94 लाख कंपनियां रिटर्न दाखिल करतीं हैं जिनमें से 6.67 लाख कंपनियां इस श्रेणी में आतीं हैं।
96 प्रतिशत कंपनियों को कम कर सुविधा का लाभ मिलेगा।
‘इससे हमारा एमएसएमई क्षेत्र बड़ी कंपनियों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।’’
कापरेरेट कर में कटौती से सरकारी खजाने को 7,200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
राजकोषीय घाटे के जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने के बजट अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया।
एफआरबीएम कानून के तहत इसे 2017-18 में तीन प्रतिशत रहना चाहिये लेकिन अब यह लक्ष्य एक साल बाद हासिल किया जायेगा।
बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये बजट में बैंकों को उनकी गैर-निष्पादित संपत्तियों :एनपीए: के लिये अनुमतिप्राप्त प्रावधान एक प्रतिशत बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
इससे बैंकों की कर देनदारी कम होगी। एनपीए खातों के मामले में ब्याज प्राप्ति कर गैर-अनुसूचित बैंकों को भी अनुसूचित बैंकों के समान वास्तविक प्राप्ति पर ही देना होगा। इससे बैंकों का कर बोझ कम होगा।
बैंकों में अगले वित्त वर्ष के दौरान 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डाली जायेगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रावधान किया था।
वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद बैंकों में पहुंची अतिरिक्त नकदी से कर्ज लागत कम होगी और रिण उपलब्धता आसान होगी। ‘इसका आर्थिक गतिविधियों पर बहुस्तरीय प्रभाव होगा।’
वित्त मंत्री ने न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) समाप्त करने से इनकार किया है लेकिन कंपनियों को मैट भुगतान का क्रेडिट भुनाने के लिये 10 साल के बजाय 15 साल तक का समय दे दिया है।
विदेशी निवेशकों को कुछ तरह के बॉंड में निवेश पर कर राहत बढ़ाई गई है।
कारोबार सुगमता को बढ़ाते हुये विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को समाप्त करने की घोषणा की गई है।
बजट में सस्ती आवास परियोजनाओं को अधिक आकर्षक बनाने की घोषणा की गई है। 30 और 60 वर्गमीटर निर्मित क्षेत्र के बजाय अब 30 और 60 वर्गमीटर कालीन क्षेत्र को गणना में लिया जायेगा।
30 वर्गमीटर की सीमा केवल चार महानगरों की म्युनसीपल सीमा में ही लागू होगी, देश के शेष हिस्सों में 60 वर्गमीटर की सीमा लागू होगी।
पहले योजना को तीन साल में पूरा होना था, ‘मैं इस अवधि को बढ़ाकर पांच साल करने का प्रस्ताव करता हूं।’
वित्त मंत्री ने लोगों से अपील की है कि यदि उनकी आय ढाई से पांच लाख रुपये की आय वर्ग में आती है तो वह पांच प्रतिशत की दर से कर देकर राष्ट्र निर्माण में योगदान करें। लोग समय पर रिटर्न दाखिल करें और समय पर उन्हें रिफंड जारी हो, देरी से रिटर्न दाखिल करने पर फीस लगाई जायेगी।
अचल संपत्तियों पर पूंजीगत लाभकर में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभकर की गणना को तीन साल से घटाकर दो साल कर दिया गया है।
संपत्ति के मूल्य गणना का आधार वर्ष भी एक अप्रैल 1981 से बदलकर एक अप्रैल 2001 कर दिया गया है।
भुगतान के बिना पूंजीगत लाभ को निवेश करने वाले वित्तीय साधनों का दायरा भी बढ़ाया गया है।
आंध्र प्रदेश में नई राजधानी के लिये 2 जून 2014 को जिन लोगों की भूमि को भूमि-एकत्रण प्रणाली के तहत पेश किया गया है उसे पूंजीगत लाभ से छूट दी जायेगी।
डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुये बजट में डिजिटल अथवा बैंकिंग तरीकों से प्राप्त आय पर छोटे कारोबारियों के लिये अनुमानित कर की गणना को आठ प्रतिशत के बजाय छह प्रतिशत की दर से लिया जायेगा।
अनुमानित कर प्रणाली अपनाने वाली इकाईयों के लिये कारोबार सीमा एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये की गई है।
नकद खर्च की सीमा मौजूदा 20,000 से घटाकर 10,000 रुपये कर दी गई है।
तीन लाख रपये से अधिक राशि का नकद लेनदेन करने की अनुमति नहीं होगी।
इस नियम का उल्लंघन करने की स्थिति में जितना अधिक नकद भुगतान किया गया है उतना ही जुर्माना लगाया जायेगा।
राजनीतिक दलों को आयकर अधिनियम में दी गई समय सीमा के अनुरूप आयकर रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान।
व्यक्तिगत और हिन्दु अविभाजित परिवारों को यदि उनका कुल कारोबार 25 लाख रुपये अथवा उनकी आय ढाई लाख रुपये तक है तो लेखा बही रखने की आवश्यकता नहीं होगी।
सेबी में पंजीकृत पहली और दूसरी श्रेणी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के प्रावधान से छूट होगी।
व्यक्तिगत बीमा एजेंटों के लिये पांच प्रतिशत स्रोत पर कर कटौती नहीं की जायेगी यदि वह यह प्रमाणित कर देते हैं कि उनकी आय कर योग्य सीमा से कम है।
अनुमानित कर योजना के तहत आने वाले पेशेवरों को अग्रिम कर चार किस्तों के बजाय मार्च में केवल एक किस्त में देना होगा।
किसी कर रिटर्न को नये सिरे से भरने की समय सीमा घटाकर 12 माह कर दी गई है।
जांच पड़ताल की समय सीमा निर्धारण वर्ष 2019-20 से कम कर 12 माह कर दी जायेगी।
बजट में फसल बीमा योजना के लिये 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
5,000 करोड़ रुपये के शुरुआती कोष के साथ नाबार्ड के तहत एक सूक्ष्म-सिंचाई कोष स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
मनरेगा के लिये प्रावधान 38,500 करोड़ से बढ़ाकर 48,000 करोड़ किया गया है।