• March 14, 2015

बजट : ————- बिना सपनों के सिंकदर नहीं बनते – मुख्यमंत्री

बजट : ————- बिना सपनों के सिंकदर नहीं बनते – मुख्यमंत्री
एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी ---- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाही पर वचन न जाई।

जयपुर, 13 मार्च। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के युवाओं को तोहफा देते हुए कहा है कि राज्य सरकार एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देगी। पिछले एक वर्ष में निजी क्षेत्र में एक लाख 45 हजार 566 नौजवानों और सरकारी क्षेत्र में करीब 20 हजार युवाओं को रोजगार दिया गया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में 15 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का वादा हम पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि 480 करोड़़ रुपये की ईसरदा बांध पेयजल परियोजना के लिए टेंडर इसी माह हो जायेंगे और यह समय पर पूर्ण होगी। इस परियोजना से कई जिले लाभांवित होंगे।

indexमुख्यमंत्री विधानसभा में बजट पर हुई बहस का शुक्रवार को जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए राजनीति, राजधर्म है और वोट सेवा का माध्यम है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए हमें साथ मिलकर वित्तीय अनुशासन से काम करना होगा, नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। यह बजट सिर्फ बजट ही नहीं आने वाले वर्षाें के लिए विकास का एक रोडमैप भी है। आने वाले सभी बजट इस बजट के लिए सपोर्टिंग डॉक्यूमेन्ट होंगे।

श्रीमती राजे ने कहा कि यह बजट प्रदेश की पटरी से उतरी हुई अर्थव्यवस्था को वापस ट्रैक पर लाने का प्रयास है। वित्तीय प्रबन्धन पर फोकस करते हुए इस बजट में राजस्व घाटे की जगह 556.82 करोड़ रुपये के राजस्व आधिक्य का अनुमान किया गया है। यह राज्य की सात करोड़ जनता की आकांक्षाओं, आशाओं और सपनों का बजट है।

मुख्यमंत्री ने बजट पर वाद-विवाद में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के सुझावों के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश को दक्षिण कोरिया, सिंगापुर या जापान जैसा विकसित बनाने के लिए सभी को अपनी सामूहिक शक्ति को स्वाभिमानी राजस्थानी की तरह विकास, विकास और विकास में लगाना होगा।

रिफाइनरी के नाम पर धोखा

श्रीमती राजे ने पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने रिफाइनरी के नाम पर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है। इसमें राज्य द्वारा रिफाइनरी की कुल लागत से लगभग दोगुणा राशि देने के बाद भी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई। कुशल वित्तीय प्रबन्धन की बात करने वाली पूर्ववर्ती सरकार ने 37 हजार 229 करोड़ रुपये की रिफाइनरी के लिए 56 हजार 400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त पानी, सड़क और मात्र 300 करोड़ रुपये में 4800 एकड़ भूमि देने का कमिटमेन्ट कर दिया। यह वित्तीय प्रबन्धन नहीं बल्कि घाटे का सौदा है। चुनावी लाभ लेने के लिए जल्दबाजी दिखाते हुए करीब 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश को सिर्फ 30 घण्टे में स्वीकृत कर दिया गया। सरकार के स्तर पर किसी तरह का वित्तीय एवं आर्थिक विश्लेषण तक नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक सरकार राज्य हित में संतुष्ट नहीं होगी, तब तक रिफाइनरी का काम शुरू नहीं किया जायेगा। हमने अभी रिफाइनरी की स्वीकृति के आधार को वैलिडेट करने के लिए कन्सलटेन्ट नियुक्त किया है। साथ ही एचपीसीएल और राज्य सरकार के बीच वार्ता की जा रही है।

व्यावहारिक नहीं फिर भी शुरू की मेट्रो

श्रीमती राजे ने कहा कि हमने भी अपने पिछले कार्यकाल में जयपुर मेट्रो के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली थी, लेकिन उन्होंने इसे व्यावहारिक नहीं माना। इसके बाद भी पूर्ववर्ती सरकार ने 11,732 करोड़ रुपये की जयपुर मेट्रो परियोजना प्रारम्भ की। इसके प्रथम फेज के लिए केवल 11 किलोमीटर लम्बी मेट्रो रेल हेतु 3400 करोड़ रुपये व्यय किये जा रहे हैं। इस राशि में 110 से ज्यादा फ्लाई ओवर अथवा 5000 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराया जा सकता था, जिसका जनता को सीधा लाभ मिलता।

उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजना के लिए जेडीए, हाउसिंग बोर्ड, रीको से पैसा लेकर उनको कंगाल कर दिया। आगे भी मेट्रो रेल के संचालन पर प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पटरियां तैयार होने से पहले ही मेट्रो टे्रनों की खरीद कर ली गई। काम पूरा होने के बाद इसकी खरीद होती तो नवीनतम तकनीक वाली टे्रनें खरीदी जा सकती थीं। उन्होंने कहा कि पूरी सुरक्षा जांच के बाद ही मेट्रो चलाई जायेगी।

पूरे विद्युत तंत्र को छिन्न-भिन्न कर डाला

मुख्यमंत्री ने विद्युत वितरण कम्पनियों की खस्ता वित्तीय हालत के लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए बताया कि वर्ष 2005 से 2008 के बीच बिजली कम्पनियों के लघु अवधि ऋणों में 117 प्रतिशत की वृद्घि हुई थी, जबकि वर्ष 2009 से 2014 के बीच यह वृद्घि 400 प्रतिशत तक पहुंच गई। साथ ही पूर्ववर्ती सरकार बिजली छीजत कम कर पाने में भी नाकाम रही। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने विद्युत वितरण निगमों की स्थिति सुधारने के लिए किये गये एमओयू पर कोई अमल नहीं किया। उन्होंने पूरे विद्युत तंत्र को छिन्न-भिन्न कर दिया, जिसके चलते विद्युत कम्पनियों पर कर्ज 77 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया।

रिसर्जेंट राजस्थान से बदलेगी तस्वीर

श्रीमती राजे ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में रिसर्जेंट राजस्थान का आयोजन किया था, लेकिन समय कम रहने के कारण पूरा निवेश धरातल पर नहीं आ सका। इस बार हम अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष में ही यह आयोजन कर रहे हैं। ताकि शत-प्रतिशत निवेश वास्तविक रूप से धरातल पर आये और राज्य को इसका पूरा फायदा मिले। उन्होंने कहा कि हम जल्दी ही नई खनन, पर्यटन और सूचना प्रौद्योगिकी नीति भी लायेंगे।

प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति सुखद नहीं

श्रीमती राजे ने कहा कि बजट पर बहस का उत्तर देते समय प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति सुखद नहीं लग रही है। यह संसदीय गरिमा और स्वस्थ लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है। मैंने वर्तमान में चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए पूरे प्रयास किये। राज्य हित को ध्यान में रखते हुए पक्ष और प्रतिपक्ष को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।

सदन के नेता के रूप में दिखाई सहृदयता

श्रीमती राजे ने सदन के नेता के रूप में आगे बढ़कर प्रतिपक्ष के सदस्यों का निलम्बन वापस लेने के लिए मुख्य सचेतक को सदन में प्रस्ताव लाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष इसे सकारात्मक रूप में ले और गतिरोध समाप्त करने में सहयोग करें। इसी से बजट सत्र सार्थक हो पायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सपने देखना जरूरी है। सपनों के बिना उड़ान नहीं हो सकती और उड़़ान के बिना ऊंचाई नहीं छू सकते। उन्होंने कहा कि –

 ताश के पत्तों से महल नहीं बनते, रोको नदी तो समंदर नहीं बनते,
देखो सपने और बढ़ो आगे तुम, बिना सपनों के सिंकदर नहीं बनते।

श्रीमती राजे ने पांच वर्ष में प्रदेश के 15 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा पूरा करने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि – रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाही पर वचन न जाई।

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