- May 18, 2017
बच्चों को बताएं, पानी की बूंद-बूंद कीमती :- राज्यपाल
हि०प्र० (सू०ब्यूरो)————-राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि ईश्वर की बनाई व्यवस्था में सहयोगी बनते हुए पानी का उतना ही उपयोग करें जितने की आवश्यकता है। पानी की एक-एक बूंद कीमती है और भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए पानी का संरक्षण करें और स्कूलों के माध्यम से बच्चों में जल संरक्षण का संदेश दें ताकि समाज इस बाबत जागरूक बने।
राज्यपाल आज आकलैंड हाउस स्कूल, शिमला में ‘दैनिक जागरण’ समाचार पत्र द्वारा आयोजित ‘जल संरक्षण विमर्श’ के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनने से पूर्व वे राज्य में घूमने आया करते थे। उस समय की स्मृतियों को ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि यहां सड़क किनारे चश्मे और जल-प्रपात अक्सर देखने को मिलते थे।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि अब ये लुप्त हो गए हैं और जल स्रोत सूखते जा रहे हैं। उन्होंने हैरानी व्यक्त की कि हिमाचल जैसे नदियों के प्रदेश में भी जल की कमी है। उन्होंने इसे लापरवाही का परिणाम बताया।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले अधिक बारिश होती है, जिसे हम संरक्षित नहीं कर पाते हैं। उन्होंने मैगसेसे पुरस्कार विजेता जलपुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह के सहयोग से आरम्भ किए गए जल संरक्षण सांक्षरता अभियान का हिस्सा बनने की अपील की।
उन्होंने कहा कि अच्छे समाज की संरचना के लिए ऐसे व्यक्तियों व संस्थानों का सम्मान होना चाहिए, जो जल बचाने का प्रयास कर रहे हैं, स्वच्छता अभियान का हिस्सा बने हैं और बिजली की बचत जैसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
राष्ट्रवादी सोच और सामाजिक जागरूकता के लिए समाचार पत्र के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनके द्वारा उठाए गए हर सामाजिक विषय को समाचार पत्र ने अभियान के रूप में लिया है और निश्चित तौर पर इसका असर देखने को मिलेगा। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि जल को बचाने के लिए चेतना कागज़ में न रहकर व्यवहार में आनी चाहिए।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विद्यार्थियों की चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया।
प्रधान सचिव, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्रीमती अनुराधा ठाकुर ने जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित कार्यक्रम के लिए समाचार पत्र को बधाई दी और कहा कि ‘जल ही जीवन है’ और जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनें।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में यह सुखद पहलु है कि 90 फीसदी पानी नदियों और सतह क्षेत्र से उपयोग में लिया जाता है। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें स्वयं प्रयास कर पानी की बचत के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर जल संरक्षण को लेकर अभियान चलाया जा रहा है और स्कूली बच्चों को इससे जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बच्चों से पेयजल के उपयोग में मानसिक बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया और जल संरक्षण के लिए कुछ सुझाव भी दिए।