• July 12, 2021

बगलें झांकते भारत व पाक — डॉ. वेदप्रताप वैदिक

बगलें झांकते भारत व पाक  — डॉ. वेदप्रताप वैदिक

(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं)

परसों तक ऐसा लग रहा था कि अफगानिस्तान में हमारे राजदूतावास और वाणिज्य दूतावासों को कोई खतरा नहीं है लेकिन हमारा कंधार का दूतावास कल खाली हो गया। लगभग 50 कर्मचारियों और कुछ पुलिसवालों को आनन-फानन जहाज में बिठाकर नई दिल्ली ले जाया गया है। वैसे काबुल, ब़ल्ख और मजारे-शरीफ में हमारे कूटनीतिज्ञ अभी तक टिके हुए हैं लेकिन कोई आश्चर्य नहीं कि वे दूतावास भी तालिबान के घेरे में शीघ्र ही चले जाएं। जो ताज़ा खबरें आ रही हैं उनसे तो ऐसा लगता है कि अफगानिस्तान के उत्तरी और पश्चिमी जिलों में तालिबान का कब्जा बढ़ता जा रहा है।

एक खबर यह भी है कि तालिबानी हमले का मुकाबला करने की बजाय लगभग एक हजार अफगान सैनिक ताजिकिस्तान की सीमा में जाकर छिप गए। चीन पहुंचे हुए तालिबान प्रवक्ता ने पेइचिंग में घोषणा की है कि 85 प्रतिशत क्षेत्र पर तालिबान का कब्जा हो चुका है जबकि राष्ट्रपति अशरफ गनी का कहना है कि अफगान फौज और पुलिस तालिबान आतंकवादियों को पीछे खदेड़ती जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान के विभिन्न जिलों में रोज लगभग 200 से 600 लोग मारे जा रहे हैं। यह गृह-युद्ध की स्थिति नहीं है तो क्या है ? जो चीन पाकिस्तान का इस्पाती दोस्त है और तालिबान का समर्थक है, वह भी इतना घबराया हुआ है कि उसने अपने लगभग 200 नागरिकों से काबुल खाली करवाया है।

चीन इन बुरे हालात का दोष अमेरिका के सिर मढ़ रहा है लेकिन आश्चर्य की बात है कि काबुल में पाकिस्तानी राजदूत मंसूर अहमद खान ने दुनिया के देशों से अपील की है कि वे अफगान फौजों की मदद करें, वरना तालिबानी हमलों के कारण लाखों शरणार्थी दुबारा पाकिस्तान के सीने पर सवार हो जाएंगे। पाकिस्तान के नेता एक तरफ अफगानिस्तान की गनी सरकार को काफी दिलासा दिला रहे हैं और दूसरी तरफ उनका गुप्तचर विभाग और फौज तालिबान के विभिन्न गिरोहों की पीठ थपथपा रहे हैं। तालिबान के इस दावे पर संदेह किया जा सकता है कि 85 प्रतिशत अफगान भूमि पर उनका कब्जा हो गया है लेकिन यह सत्य है कि उन्होंने ईरान की सीमा पर स्थित शहर इस्लाम किला और वाखान क्षेत्र में चीन से जुड़े अफगान इलाकों पर कब्जा कर लिया है। तालिबान नेताओं ने चीनी नेताओं को भरोसा दिलाया है कि वे सिंक्यांग के उइगर मुसलमानों को नहीं भड़काएंगे और उनकी सरकार चीनी आर्थिक सहायता को सहर्ष स्वीकार करेगी। कश्मीर के बारे में वे कह चुके हैं कि वे उसे भारत का आतंरिक मामला मानते हैं। ये बातें सत्ताकामी शक्ति के संयम और संतुलन को बताती हैं लेकिन जिन जिलों पर तालिबान कब्जा कर चुके हैं, उनमें उन्होंने अफगान महिलाओं पर अपने पुराने इस्लामी प्रतिबंध थोप दिए हैं। अफगान गृह-युद्ध का सबसे बुरा असर पाकिस्तान और भारत पर होगा लेकिन देखिए कि ये दोनों ही बगलें झांक रहे हैं।

Related post

सीरिया: दुनिया को विद्रोहियों को शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से आंकना चाहिए : शैलश कुमार

सीरिया: दुनिया को विद्रोहियों को शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से आंकना चाहिए : शैलश कुमार

सीरिया में असद शासन के पतन ने इस संकटग्रस्त देश के लिए एक नया अध्याय खोल…
गठबंधन में अलग थलग होती कांग्रेस

गठबंधन में अलग थलग होती कांग्रेस

सुरेश हिंदुस्तानी—-वर्तमान समेत में भारत की राजनीति निश्चित ही अनिश्चितता का एक ऐसा खेल है, जिसका…
गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

कमलेश–(अजमेर)—दिसंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान में आयोजित हुए तीन दिवसीय ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट…

Leave a Reply