- March 11, 2019
बक्सर और खुर्जा ताप विद्युत संयंत्रों की आधारशिला
नईदिल्ली————- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा से वीडियो लिंक के माध्यम से बक्सर और खुर्जा ताप विद्युत संयंत्रों की आधारशिला रखी।
1320 मेगावाट के ये संयंत्र क्रमशः बक्सर (बिहार) और बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) में स्थित हैं।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बक्सर और खुर्जा में प्रारंभ होने वाले ये ताप विद्युत संयंत्र भारत के विकास को गति प्रदान करने के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य पड़ोसी राज्यों को बिजली उपलब्ध कराएंगे।
उन्होंने पिछले साढ़े चार वर्षों में बिजली उत्पादन में हुई जबर्दस्त वृद्धि का भी उल्लेख किया।
भारत में बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार की पहल का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बिजली उत्पादन के चार प्रमुख पहलुओं- उत्पादन, पारेषण, वितरण और कनेक्शन पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने कहा कि इस सकारात्मक दृष्टिकोण ने न सिर्फ बिजली क्षेत्र बल्कि वन नेशन-वन ग्रिड की अभिकल्पना को यथार्थ में बदल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रोत्साहन दिया है। उन्होंने कहा कि उनका सपना एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड है।
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री आर के सिंह ने बिहार के बक्सर के चौसा में शिलान्यास समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र को अनेक लाभ प्राप्त होंगे।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र के औद्योगिक विकास को गति प्रदान करेगा और युवाओं के लिए हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करेगा।
एसजेवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री नंद लाल शर्मा ने उम्मीद जताई कि यह परियोजना रोजगार सृजन और पूरे क्षेत्र के समग्र विकास को और बढ़ाने की दिशा में कार्य करेगी।
इस परियोजना को वर्ष 2023-24 में प्रारम्भ करने की योजना है।
यह परियोजना नवीनतम पर्यावरण मानदंडों का अनुसरण करते हुए विशेष सुविधाओं के साथ बनाई गई है और अत्यंत अत्याधुनिक महत्वपूर्ण एवं जटिल प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
परियोजना के लिए कोयले की आपूर्ति कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सहायक कंपनी सेंट्रल कोल लिमिटेड (सीसीएल) द्वारा की जाएगी, जबकि राज्य ट्रांसमिशन यूटिलिटी, बिहार पहले ही इस परियोजना के लिए अपनी मंजूरी दे चुकी है।
बिहार सरकार के साथ किए गए ऊर्जा क्रय समझौते के संदर्भ में, यह परियोजना राज्य को कम से कम 85% बिजली उपलब्ध कराएगी जो न केवल वर्तमान बिजली परिदृश्य के मामले में बिहार की मांग आपूर्ति घाटे को कम करेगा, बल्कि औद्योगिकीकरण को भी बढ़ावा देगा।