बकरी बेचकर और पायल गिरवी रख बनाया शौचालय

बकरी बेचकर और पायल गिरवी रख बनाया शौचालय

जयपुर ———    गत दिनों छत्तीसगढ़ राज्य के धमत­री जिले में 104 वर्षीय कुंवरबाई द्वारा बकरियां बेचकर शौचालय निर्माण करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वृद्धा कुंवरबाई के चरण स्पर्श करने के वाकये की देशभर के मीडिया में बड़ी चर्चा भले ही रही हो परंतु मीडिया की चमक-धमक से दूर डूंगरपुर जिले के एक आदिवासी परिवार ने अपनी गरिमा बचाने हेतु शौचालय के निर्माण के लिए अपनी आजीविका के प्रमुख साधन बकरी को बेचकर तथा चांदी के आभूषण को गिरवी रखकर कुंवरबाई जैसा ही दूसरा अनूठा उदाहरण पेश किया है। Dungarpura140

गरीब परिवार की बड़ी दास्तान ःकहानी है डूंगरपुर-रतनपुर मार्ग पर सड़क किनारे एक टूटी-फूटी झौंपड़ी में रहने वाले कांतिलाल रोत और उसके परिवार की। शहर की एक मिल में दिहाड़ी मजदूरी करने वाला कांतिलाल रोत अपनी विधवा मां, स्वर्गीय छोटे भाई की पत्नी व बच्चों के साथ अपनी पत्नी-बच्चों वाले बड़े परिवार का पालनपोषण कर रहा था। गत दिनों स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगरपरिषद डूंगरपुर द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के तहत काम कर रहे फिनिश सोसायटी  के प्रतिनिधियों ने उससे संपर्क किया और परिवारजनों को शौचालय बनवाने के लिए समझाईश की।

शहर से सटी बस्ती के कारण विधवा मां लाली रोत भी अपनी दोनों बहुओं और खुद के लिए शौचालय की आवश्यकता महसूस कर रही थी। उसे बताया गया कि नगरपरिषद द्वारा प्रोत्साहन राशि के रूप में केन्द्र सरकार की ओर से 4 हजार, राज्य सरकार के 4 हजार तथा नगरपरिषद की ओर से 4 हजार मिलाकर कुल 12 हजार दिए जाएंगे तो पूरा परिवार खुशी-खुशी शौचालय बनवाने के लिए तैयार हो गया। प्रोत्साहन राशि के चार हजार की प्रथम किश्त मिलने के साथ ही पूरे परिवार ने खुद के हाथों खड्डा खोदना प्रारंभ किया।

शेष राशि मिलने के बाद आवश्यक सामग्री खरीद कर उपर का ढांचा और पानी की टंकी भी बना ली परंतु अब उनके पास कारीगरों को चुकाने के लिए राशि खत्म हो चुकी थी। विधवा मां की जिद थी कि शौचालय तो बनेगा ही। उसकी सलाह पर कांतिलाल ने अपने घर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली सात बकरियों में से एक बकरी 5 हजार रुपयों में बेच दी और कारीगरों को मजदूरी का भुगतान किया।

अब शौचालय के दरवाजे और अन्य सामग्री के लिए और धनराशि की आवश्यकता हुई तो उसकी पत्नी गौरी ने अपनी शादी में पीहर से आई हुई चांदी की पायल को गिरवी रखने के लिए दे दिया। बस फिर क्या था, कांतिलाल ने बाजार में पायल को गिरवी रखकर चार हजार रुपये लिए और अपने शौचालय को पूर्ण करवाया और अब पूरा परिवार इसी शौचालय का उपयोग करता है।

परिषद को पता चला तो सभापति गुप्ता पहुंचे गौरी के घर ः इधर,अपने घर में शौचालय बनाने के लिए बकरी बेचने और पायल को गिरवी रखने वाले आदिवासी परिवार के समर्पण की जानकारी नगरपरिषद के सभापति के.के.गुप्ता के पास पहुंची तो वे तत्काल ही गौरी के घर पहुंचे और पूरे वाकये की जानकारी लेते हुए गिरवी रखी गौरी की पायल को छुड़वाने के लिए अपनी तरफ से नकद चार हजार रुपये, अंतिम किश्त के चार हजार रुपयों का चैक दिया और साथ ही पूरे परिवार के इस समर्पण का अभिनंदन करने के लिए परिवार के मुखिया कांतिलाल, उसकी पत्नी गौरी और विधवा मां लाली रोत का माल्यार्पण किया।

प्रताप जयंती होने पर उनके त्याग और समर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए प्रताप की प्रतिमा भेंट की। इस मौके पर शौचालय निर्माण के विषय पर विधवा लाली का कहना था कि बहुओं की गरिमा व इज्जत बचाने के लिए वो बकरी और चांदी की पायल तो क्या अपना घर भी गिरवी रखना पड़े तो रख देती। लाली और गौरी के इस समर्पण पर न सिर्फ परिवार अपितु आस-पड़ौस के लोग भी बड़े खुश नज़र दिखे।

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