बंदियों की अत्यधिक भीड़ कम करने के लिये नये बैरकों के निर्माण

बंदियों की अत्यधिक भीड़ कम करने के लिये  नये बैरकों के निर्माण

रायपुर (छतीसगढ) –   राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ की जेलों में बंदियों की अत्यधिक भीड़ को कम करने और उनके लिए विभिन्न प्रकार की बुनियादी मानवीय सुविधाएं बढ़ाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। नये बैरकों के निर्माण के फलस्वरूप राज्य की जेलों में बंदियों की आवास क्षमता विगत बारह वर्षों में चार हजार 503 से बढ़कर सात हजार 232 हो गई है।

वर्ष 2016 और 2017 में सभी नई जेलों और नये बैरकों का निर्माण पूर्ण हो जाने पर उनमें बंदी आवास क्षमता सात हजार 232 से बढ़कर 16 हजार 382 हो जाएगी। नये बैरकों के निर्माण से जेलों में ओव्हर क्राउडिंग की समस्या भी काफी कम हो जाएगी। राज्य की जेलों में वर्ष 2014 में ओव्हर क्राउडिंग 262 प्रतिशत थी, जो चालू वर्ष 2015 के अंत तक घटकर 180 प्रतिशत और वर्ष 2017 के अंत तक केवल 40 प्रतिशत रह जाएगी।

जेल एवं सुधारात्मक सेवाओं के महानिदेशक श्री गिरिधारी नायक ने आज यहां बताया कि राज्य में वर्ष 2003 की स्थिति में जेलों की संख्या 26 थी। वर्ष 2013-14 में सारंगढ़, कबीरधाम और सक्ती में तीन नये जेलों की स्थापना के बाद उनकी संख्या अब 29 हो गई है। जेल बैरकों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। जेलों में सुविधाओं के विकास और विस्तार के लिए एक विशेष  कार्य योजना बनाकर 13वें वित्त आयोग की राशि, राज्य बजट की राशि और जेल आधुनिकीकरण के प्राप्त राशि से कई निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। नये बैरकों का निर्माण भी इनमें शामिल हैं।

प्रदेश की सभी जेलों में बीस-बीस की क्षमता वाले कुल 240 बैरकों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। अब तक 39 बैरकों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है और 201 बैरकों का निर्माण प्रगति पर है। चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में पचास-पचास बंदियों की आवास क्षमता वाले 22 बैरकों का निर्माण प्रावधानित है। प्रथम अनुपूरक में बीस-बीस बंदी क्षमता वाले 60 बैरकों के निर्माण का प्रस्ताव है।

केन्द्रीय जेल बिलासपुर, जगदलपुर और अम्बिकापुर में विस्तार कार्यों का प्रथम चरण पूर्ण हो चुका है और दूसरे चरण का कार्य जारी हैं। प्रदेश के सभी जेलों में पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के उद्देश्य से जेल विभाग द्वारा पर्याप्त संख्या में शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। जेल नियमों के अनुसार प्रत्येक पांच बंदियों पर एक शौचालय का प्रावधान है। इसे ध्यान में रखकर एक हजार 330 शौचालयों का निर्माण शुरू किया गया है, इनमें से 190 पुरूष बंदी शौचालयों और 15 नग महिला बंदी शौचालयों तथा स्नानगृहों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है।

लगभग एक हजार 140 पुरूष बंदी शौचालय और महिलाओं के लिए तीस-तीस नग बंदी शौचालय तथा स्नानगृहों का निर्माण जल्द पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीजापुर, मुंगेली, खैरागढ़, नारायणपुर, सुकमा में नवीन जेल भवनों का निर्माण जल्द शुरू किया जाएगा। कोण्डागांव, भाटापारा और भानुप्रतापपुर में भी जेल भवन निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। इसके अलावा जिला मुख्यालय बलरामपुर में भी जेल भवन निर्माण के लिए आवश्यक प्रावधान किया गया है। केन्द्रीय जेल बिलासपुर, जगदलपुर, अम्बिकापुर में विस्तारीकरण का प्रथम चरण का कार्य सम्पन्न हो चुका है और 11 जेलों में (केन्द्रीय जेल जगदलपुर/अम्बिकापुर में द्वितीय चरण का कार्य जारी है।

केन्द्रीय जेल, दुर्ग जिला जेल, कांकेर, रायगढ़, धमतरी, जांजगीर, कोरबा, उपजेल बलौदाबाजार एवं सूरजपुर के विस्तारीकरण का कार्य चल रहा है। जेल महानिदेशक ने बताया कि विस्तारीकरण का अर्थ बताते हुए कहा कि जेलों में कैदियों  को बैरकों में रखा जाता है । इन बैरकों के चारों तरफ 18 फीट से 21 फीट की ऊंची दीवार बनाई जाती है। अनेक जेलों में जेलों के अंदर स्थान की कमी के कारण जेल के अंदर बैरक नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि जेल के अंदर यदि लिविंग स्पेस को ध्यान में नहीं रखा गया तो बंदियों को सांस लेने के लिए हवा की कमी होगी।

अतः लिविंग स्पेस को ध्यान में रखते हुए जेलों में उपलब्ध जेल से लगी जमीन को जेल की ऊंची दीवार के परिसर में मिलाने के लिए ग्यारह जेलों में इस नियम के अनुसार विस्तारीकरण किया जा रहा है, जिनमें केन्द्रीय जेल, जगदलपुर, दुर्ग और अम्बिकापुर सहित जिला जेल कांकेर, रायगढ़, जशपुर, धमतरी, जांजगीर, कोरबा और उप जेल बलौदाबाजार तथा सूरजपुर शामिल हैं।

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