- November 4, 2016
फौजी रामकिशन कि मौत–पर्दे के पीछे कि हकीकत
1. रामकिशन 2004 में सेना से सेवानिवृत्त होकर स्थानीय राजनीति में आकर कांग्रेस नेताओं के बदौलत सरपंच बने..
2. 2004 से कांग्रेस शासन में उनकी पेंशन मात्र 13000 रूपये थी, मोदी सरकार में OROP के लागू होने के बाद 28000 रूपये हुई।
3. कांग्रेस से नजदीकी की बदौलत ही उन्हें सन् 2005 और 2008 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया, उन्हें ये पुरस्कार ODF (Open Defection Free) अर्थात गांव के हर घर में शौचालय बनवाने और खुले में शौच को पूर्ण रूप से बंद करने के कारण मिला था।
4. झूठे दावे कारण सन् 2015 में रामकिशन से पुरस्कार वापस लेने के लिए शिकायत आई।
5. जांच के उपरांत 15% घरों में ही शौचालय निर्माण की पुष्टि हुई। जबकी 100% घरों में शौचालय का दावा किया गया था।
6. जांच में यह भी पाया गया की रामकिशन ने फ़र्ज़ी बिलों का भुगतान किया है। गुमराह करने, सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने, धोखाधड़ी करने, कूट रचित दस्तावेज़ तैयार करने के आरोप में सन् 2016 में सरकार ने रामकिशन को आरोपित किया।
8. रामकिशन ने ये घोटाला अकेले नहीं किया था बल्कि अपने बाकि के राजनीतिक साथियों से मिल कर इस घोटाले को अंजाम दिया था,
अनसुलझे सवाल :-
क्या कोई सैनिक आत्महत्या कर सकता है ?
रामकिशन का दिशा तय करने वाले वे लोग कौन थे ?
क्या इन्ही बड़े नेताओं ने अपना नाम बचाने के लिए रामकिशन की बलि दे दी ?
अब पुलिस इन सवालों को सुलझाने में जुट गई है।
श्रोत (व्हाट्सऐप,श्री सुरेश जैन)