फोरेस्ट राईट एक्ट: वनवासियों को अधिकारयुक्त सुनिश्चित करें

फोरेस्ट राईट एक्ट:  वनवासियों को अधिकारयुक्त  सुनिश्चित करें
उत्तराखंड ———                  मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि फोरेस्ट राईट एक्ट को उसकी मूल भावना के साथ शतप्रतिशत लागू करते हुए वनों में पारम्परिक तौर से रह रहे वनवासियों को अधिकारयुक्त किया जाना सुनिश्चित किया जाए। हक हकूकों को पुनःस्थापित किया जाए। मुख्यमंत्री श्री रावत की अध्यक्षता में बुधवार सांय बीजापुर में फोरेस्ट राईट एक्ट 2006 के क्रियान्वयन पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में विस्तार से विचार विमर्श किया गया।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने वन विभाग व समाज कल्याण विभाग को निर्देशित किया कि एक व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाकर वनवासियों को फोरेस्ट राईट एक्ट में दिए गए अधिकारों के बारे में बताया जाए। उन्होंने कहा कि यह कानून वनों में पारम्परिक रूप से रहते आए वनवासियों के अधिकारों को मान्यता देने के लिए लाया गया है जिनके अधिकारों को कभी अभिलेखित नहीं किया गया।

इस कानून का मुख्य उद्देश्य वनवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। इसीलिए इसमें नोडल एजेंसी जनजातीय कल्याण व समाज कल्याण विभाग को बनाया गया है। वन विभाग को भी सकारात्मक मानसिकता के साथ इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड की परिस्थितियों को देखते हुए यहां वनो में रहने वालों को विभिन्न श्रेणियों में रखकर निर्णय लेने होंगे। पहली श्रेणी में वन क्षेत्रों में बस गई बड़ी आबादियां जैसे कि बिंदुरेखा आदि को लेना होगा। इतनी बड़ी आबादी को दूसरी जगह बसाना सम्भव नहीं है। इनके नियमितिकरण के लिए राज्य सरकार भारत सरकार को संस्तुति करेगी।

दूसरी श्रेणी में ऐसे खंडों हैं जिन्हें ऐतिहासिक तौर पर 75 वर्ष हो गए हैं। इसका प्रमाण वहां रहने वाले लोगो से मांगने के बजाय वन विभाग स्वयं अपने अभिलेखों से जुटाएगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने वन विभाग को निर्देश दिए कि ऐसे खंडों की सूची बनाकर उपलब्ध कराए जिन्हें बसे 75 वर्ष से अधिक हो गया है। इस श्रेणी की बसावटों के लिए वन विभाग को प्रोएक्टीव होना होगा।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि तीसरी श्रेणी में ऐसी बस्तियां हैं जो कि पिछले कुछ समय में ही वनों के क्षेत्र में आकर बसे हैं। इन्हे डिग्रेडेबल फोरेस्ट जैसी जगहों पर बसाने के लिए वन विभाग पाॅलिसी बनाकर लाए। भारत सरकार से इसमें सहयोग के लिए अनुरोध किया जाएगा। चतुर्थ श्रेणी में टोंग्या आदि वे लोग हैं जिन्हें कि वन विभाग ने व्यावसायिक वनीकरण आदि कामों से वहां बसाया था। एक्ट में इनके अधिकारों की रक्षा के लिए स्पष्ट किया हुआ है।

वन विभाग इनकेे जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयास करेगा। इसका भी विधिक परीक्षण करा लिया जाए कि क्या राज्य सरकार उक्त केंद्रीय एक्ट के कतिपय प्राविधानों को अधिक विस्तार से स्पष्ट करने के लिए अपना संशोधन एक्ट ला सकती है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में बहुत से गांव आपदा व बाढ़ के शिकार हो गए हैं। बहुत से गांवों की भूमि बाढ़ में बह गई है। वन विभाग ऐसे गांवों के पुनर्वास में सहयोग करे। इन गांवों की भूमि लेकर उसके बदले में अन्यत्र डिग्रेडेबल वन भूमि उपलब्ध कराए।

प्रारम्भ में राजस्व विभाग अधिक संवेदनशील 100 गांवों की सूची वन विभाग को उपलब्ध करवाए। राज्य सरकार वन विभाग को क्षतिपूरक वनीकरण के लिए धनराशि भी देने को तैयार है। वन विभाग के अधिकारियों ने इसपर अपनी सहमति व्यक्त की। बैठक में केबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल मुख्य सचिव राकेश शर्मा अपर मुख्य सचिव एस राजू प्रमुख सचिव रामसिंह डारणवीर सिंह पीसीसीएफ श्रीकांत चंदोला सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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