‘फिट फॉर 55’ पैकेज लायेगा यूरोपीय संघ को जलवायु तटस्थता के करीब

‘फिट फॉर 55’ पैकेज लायेगा यूरोपीय संघ को जलवायु तटस्थता के करीब

लखनऊ (निशांत कुमार)— यूरोपीय संघ की ग्रीन डील के तहत, साल 2050 तक जलवायु तटस्थ बनने के लक्ष्यों को हासिल करने की और एक बड़ा कदम उठाते हुए कल, 14 जुलाई को, यूरोपीय आयोग 1990 के मुक़ाबले 2030 में ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन के स्तर में 55% की कटौती करने के एक मसौदा कानून का विशाल पैकेज पेश करेगा। इस पैकिज का नाम है ‘फिट फॉर 55’। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है जो यूरोपीय संघ को जलवायु तटस्थ होने के बेहद क़रीब ले आएगा।

क्‍या है यह ‘फिट फॉर 55’?
‘फिट फॉर 55’ पैकेज यूरोपीय यूनियन (ईयू) के आगामी विधान का मसविदा है। यह उस राजनीतिक प्रतिज्ञा के समर्थन के लिये तैयार किया गया है जिसके तहत वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में 1990 के स्‍तरों के मुकाबले 55 प्रतिशत तक की कटौती करने का इरादा जाहिर किया गया था।

यह लक्ष्‍य वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में 40 प्रतिशत कटौती करने के पिछले लक्ष्‍य के मुकाबले ज्‍यादा महत्‍वाकांक्षी है। यह वर्ष 2050 तक जलवायु-तटस्‍थ हो जाने (और दुनिया के बाकी देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए 2015 पेरिस समझौते के तहत कार्य करने के लिए प्रेरित करना) के ईयू के लक्ष्‍य का एक हिस्‍सा है। व्‍यापक संदर्भ में देखें तो इसका उद्देश्‍य एक यूरोपियन ‘ग्रीन डील’ को अंजाम देना है ताकि ईयू को अधिक सतत, समावेशी और प्रतिस्‍पर्द्धी बनाया जाए।

ईयू ऐसे देशों का नेतृत्‍वकर्ता संगठन है जिन्‍होंने दिसम्‍बर 2020 में वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कुल 55 प्रतिशत की कटौती के लक्ष्‍य पर रजामंदी दी थी। इससे यूरोपियन विधायी प्रस्‍तावों के लिये एक मंच तैयार हुआ, जिनका उद्देश्‍य लक्ष्‍य को हासिल करने का है।

इस पैकेज में 12 प्रस्ताव शामिल होंगे। चूंकि प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में 40% तक की कटौती करने का पिछला लक्ष्य यूरोपीय कानूनों में पहले से ही शामिल है, इसलिये पैकेज का ज्यादातर हिस्सा कानून के इन हिस्सों में प्रस्तावित सुधार को समर्पित होगा ताकि उसे 55% कटौती के लक्ष्य के अनुरूप बनाया जा सके।

इसके औद्योगिक उद्देश्यों में कई चीजें शामिल हैं। जैसे कि कोयला तेल तथा प्राकृतिक गैस समेत तमाम जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करना, सौर, वायु तथा पनबिजली जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को और विस्तार देना, इलेक्ट्रिक कारों को विकसित करने के काम में तेजी लाना और विमानन तथा जहाजरानी (शिपिंग) के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों को अपनाने के प्रति प्रेरित करना इत्यादि।

इसकी समय सीमा

यूरोपियन कमीशन को 14 जुलाई को अपने प्रस्ताव पेश करने हैं, जिसमें कारों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को सीमित करने से लेकर दोषपूर्ण स्टील पर आयात कर तक शामिल होगा।

इस पैकेज को जहां एक तरफ यूरोपीय यूनियन में शामिल देशों की सरकारों की मंजूरी की जरूरत होगी, वहीं दूसरी तरफ यूरोपीय पार्लियामेंट की भी रजामंदी की आवश्यकता पड़ेगी। यह ऐसी प्रक्रिया है जो उनके एजेंडा को कम से कम 12 महीनों तक प्रभावित करेगी। इस दौरान सघन लामबंदी, मुश्किल मोल-भाव और अनेक पहलुओं में सुधार की मांग जैसी बातें सामने आ सकती हैं।

इसके पांच प्रमुख तत्व

1) पावर प्लांट्स और फैक्ट्रियों के लिए उत्सर्जन संबंधी अधिक मुश्किल पाबंदियां

इस पैकेज में उद्योगों को अपने दायरे में लेने वाले उस कानून में बदलाव का प्रस्ताव शामिल किया जाएगा, जिसमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 40% की कटौती का प्रावधान किया गया है।

उद्योगों के डिस्चार्ज का नियमन किया गया है और उनमें ज्यादा आक्रामक रूप से कटौती की जाएगी। यह काम यूरोपीय एमिशंस ट्रेडिंग सिस्टम या ईटीएस के जरिए होगा। इसके माध्‍यम से 10,000 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयों को प्रदूषण संबंधी अनुमति या दी जाती हैं (यह उनके लिए जरूरी होगा जिन्होंने कारोबारों से सरप्लस अलाउंस खरीदने के लिए अपने कोटा को बढ़ाया है) और यूरोपीय कमीशन समग्र आपूर्ति में तेजी से गिरावट लाने की कोशिश करेगा। ईटीएस के दायरे में यूरोप की विमान सेवाएं भी आती हैं।

पुनरीक्षित ईटीएस कानून, प्रदूषण संबंधी अनुमति की संख्या में तेजी से कटौती करने के साथ-साथ इस मुद्दे का भी समाधान करेगा कि उनमें से कितने लोगों को यह अनुमति मुफ्त में (नीलामी के विपरीत, जिसमें सरकार के लिए राजस्व इकट्ठा करने में मदद मिलती है। साथ ही साथ उसमें ‘पोल्यूटर पे’ का सिद्धांत लागू किया जाता है) आवंटित की जा सकती है। इसके अलावा शिपिंग को शामिल करके ईटीएस कानून का दायरा और बढ़ाया जा सकता है।

2)- भूतल परिवहन (सड़क रेल तथा शिपिंग), इमारतों, कृषि तथा अपशिष्ट से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों की राष्ट्रीय स्तर पर सीमाएं निर्धारित करने के अधिक कड़े नियम

पैकेज में कुछ कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव शामिल किया गया है, जिसके तहत यूरोपीय संघ में शामिल देशों द्वारा उत्सर्जित ग्रीन हाउस गैसों के 60% हिस्से के लिए जिम्मेदार औद्योगिक इकाइयां आती हैं।

ये गैर-ईटीएस सेक्टर यूरोपीय संघ के एफर्ट शेयरिंग रेगुलेशन या ईएसआर के तहत आते हैं। इस रेगुलेशन को यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों द्वारा तैयार की गई नीतियों के जरिए लागू किया गया है और कमीशन इसकी निगरानी करता है। ईयू देश अपने ईएसआर सेक्टर द्वारा किये जाने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के बाध्यकारी और विविध लक्ष्यों का सामना कर रहे हैं।

3)- कारों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड पर ईयू की अधिक कड़ी सीमाएं

पैकेज में उस ईयू टूल को और धारदार बनाने की कोशिश की जाएगी जो सड़क परिवहन से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के राष्ट्रीय उपायों के पूरक के तौर पर काम करता है। यह एक कानून है जो वाहन निर्माताओं को कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती करने के लिए मजबूर करता है। कमीशन वर्ष 2030 तक के लिए एक लोअर सीलिंग (इस साल प्रति किलोमीटर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए 95 ग्राम की औसत सीमा तय की गई है और वर्ष 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्य के तहत इसमें 37.5% की कमी लाने का लक्ष्य है) तैयार करने की योजना बना रहा है।

4)- अक्षय ऊर्जा

मौजूदा यूरोपीय कानून में एक और बदलाव की योजना के तहत कमीशन वर्ष 2030 तक ऊर्जा उपभोग में अक्षय ऊर्जा स्रोतों की भागीदारी से संबंधित और अधिक महत्वाकांक्षी ईयू-व्यापी लक्ष्य का प्रस्ताव रखेगा। वर्ष 2030 के लिए मौजूदा लक्ष्य 32% भागीदारी का है जबकि नया लक्ष्य 38 से 40% के बीच होने की संभावना है। ऐसे लक्ष्य की मौजूदगी उस विचार को जाहिर करती है कि अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का विकास सिर्फ जीवाश्म ईंधन से निकलने वाले प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में अनिवार्य कटौती पर ही नहीं, बल्कि अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के सक्रिय कदमों पर भी निर्भर करता है।

यूरोपीय यूनियन ने वर्ष 2030 के लिए निर्धारित अपने अक्षय ऊर्जा उद्देश्य को बाध्यकारी राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ जोड़ने से परहेज किया है। फिर भी सदस्य देशों के अक्षय ऊर्जा संबंधी अलग-अलग संकेतात्मक लक्ष्य हैं जो उनके यहां मौजूद ऊर्जा मिश्रण को जाहिर करते हैं और उनका मकसद यह है कि यूरोपीय यूनियन समग्र रूप से अपने लक्ष्य को पूरी तरह हासिल करे।

मौजूदा स्वरूप में इस विधेयक के दो अन्य प्रमुख हिस्से हैं। पहला, परिवहन क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल की भागीदारी को 14% तक लाने का लक्ष्य और प्लांट्स जैसे कि बायो एनर्जी से उत्पन्न होने वाली बिजली की सततता का मानदंड।

5)- कार्बन बॉर्डर एडजेस्टमेंट मेकैनिज्म (सीबीएएम)

यह उन कुछ आयातित सामानों की कीमतें बढ़ाने के लिए एक नया और विवादित ईयू टूल होगा जिन्हें ईटीएस में उत्पादकों द्वारा वहन की जाने वाली जलवायु संरक्षण लागतों से छूट मिली है। इसका उद्देश्य यूरोपीयन यूनियन के देशों को कार्बन डाइऑक्साइड पर अपनी कीमतें लगाने के लिए प्रेरित करना है। साथ ही यूनियन में शामिल देशों के निर्माताओं को इस बात के लिए आश्वस्त करना भी है कि ईटीएस उन्हें अनावश्यक रूप से नुकसान नहीं पहुंचायेगा।

राजनीतिक प्रभाव से भरे तकनीकी सवाल की वजह से सीबीएएम पर गरमागरम बहस होती है। क्या यह एक ऐसा उपाय होगा जो यूरोपीय यूनियन के आयातों पर पाबंदी लगाएगा और यूरोपीय निर्माणकर्ताओं का इस तरह से बचाव करेगा कि जिससे विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन होता हो? इसका जवाब सीबीएएम के जरिये ईयू उद्योगों को कवर करने की हद पर निर्भर हो सकता है। स्टील उनमें से एक है जिसे ईटीएस का मुफ़्त परमिट देने से इनकार कर दिया गया है।

यूरोपियन कमीशन पैकेज एक नज़र में

एक अन्‍य तत्‍व पर भी रखनी होगी नजर

सड़क परिवहन और निर्माण को किसी स्वरूप में यूरोपीय कमीशन ट्रेडिंग सिस्टम में शामिल किए जाने की संभावना पर नजर रखनी होगी। जर्मनी ने दुनिया को यह विचार दिया था। उस वक्त उसने अपने यहां घरेलू स्तर पर ऐसी प्रणाली लागू की थी। इसकी वजह से यूरोपीय यूनियन में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ने की संभावना को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। साथ ही इस बात पर भी फिक्र जताई गई थी कि कहीं वर्ष 2018 में फ्रांस में ईंधन पर लागू कर में वृद्धि के खिलाफ हुए जन आंदोलन जैसी स्थिति न पैदा हो जाए। इसके बावजूद अर्सुला वान दर लेन की अध्यक्षता वाले कमीशन ने ऐसे ईयू व्यापी उपाय को प्रस्तावित करने की मंशा के संकेत दिए हैं।

क्या यूरोपियन ईटीएस में सड़क परिवहन और इमारतों के निर्माण को शामिल करने से ठीक वही बात पैदा होगी जैसे कि यूरोपीय यूनियन द्वारा कारों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकतम सीमा तय किए जाने से उत्पन्न हुई है? क्या इससे सदस्य देशों की सरकारों को पैकेज में उल्लेखित एफर्ट शेयरिंग में मदद मिलेगी या फिर उनके लिए हालात राजनीतिक रूप से और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएंगे?

यूरोपीय कठिनाइयां और सुगमताएं

यूरोपीय यूनियन के कानून आमतौर पर या तो ईटीएस के जरिए कारोबार को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं या फिर ईएसआर के माध्यम से सदस्य देशों को नियमन संबंधी शर्तें मानने के लिए बाध्य करके अप्रत्यक्ष रूप से असर डालते हैं। दोनों ही मामलों में यूरोपीय यूनियन अक्सर अनिवार्यताओं और प्रोत्साहनों के संयोजन का इस्तेमाल करता है। ‘फिट फाॅर 55’ पैकेज भी कोई अपवाद नहीं है। इससे संबंधित प्रासंगिक नियमों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं :

सुगमताएं

1)- जलवायु के प्रति मित्रवत निवेशों के लिए सैकड़ों बिलियन यूरो की ईयू फंडिंग।

2)- सतत परियोजनाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय पूंजी उपलब्ध कराने पर अधिक प्रोत्साहन।

3)- प्रदूषण मुक्त तरीके से तैयार सामान के इस्तेमाल के लिए अधिक उपभोक्ता जागरूकता।

4)- एमिशंस ट्रेडिंग सिस्टम से बाहर के क्षेत्रों के लिए ईटीएस उद्योगों पर एक बाध्यकारी नियम लागू है, ताकि ईयू कटौती के समग्र भार के वहन में अधिक संतुलन बनाया जा सके (भले ही वे प्रदूषणकारी तत्वों का उत्सर्जन कम क्यों ना करते हों)।

5)- यूरोपीय यूनियन की सरकारों के लिए एफर्ट शेयरिंग रेगुलेशन के अंदर लचीलापन

– ईएसआर क्षेत्रों में उत्सर्जन को ‘ऑफसेट’ करने के लिए ईटीएस भत्ते का उपयोग।

– भूमि उपयोग (जैसे कि वानिकी और कृषि) से संबंधित कार्बन अवशोषण से जुड़े क्रेडिट तक पहुंच।

– वर्षों के दौरान उत्सर्जन लक्ष्यों में किसी भी तरह की कमी या ज्यादती को सुचारू करना (बैंकिंग और उधार)

– एक दूसरे से आवंटन खरीदना और बेचना।

6)- कार निर्माताओं के लिए शून्य और कम उत्सर्जन वाले वाहनों के उत्पादन में कार्बन डाइऑक्साइड को सीमित करने वाले कानून में प्रोत्साहन के पहलू को शामिल करना।

कठिनाइयां

1)- ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले कारोबारों के लिए ईयू नियामक लागतों में वृद्धि।

2)- सदस्य देशों वाली सरकारों के लिए अधिक सख्त ईयू नीतिगत आवश्यकताएं।

3)- कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की अधिकतम सीमा का उल्लंघन करने वाले कार निर्माताओं पर वित्तीय दंड।

4)- कुछ सामान निर्यातकों के लिए यूरोपीय यूनियन के बाजार में दाखिला मुश्किल होना।

ईयू देशों के लिये ‘फिट फॉर 55’ के क्‍या मायने होंगे?
“फिट फॉर 55” पैकेज को राष्ट्रों के लिए इसके अलग-अलग हिस्सों और घरेलू केन्‍द्रीय बिंदुओं के बीच लिंक बनाकर प्रस्तुत किया जा सकता है, जो देश दर देश अलग-अलग हो सकते हैं।

क) सभी के लिये एक ही लिंक

सबसे साधारण लिंक ईयू के सभी सदस्‍यों पर लागू होता है : यूरोपियन एमिशंस ट्रेडिंग सिस्‍टम (ईटीएस) से बाहर के क्षेत्रों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कटौती सम्‍बन्‍धी नये राष्‍ट्रीय लक्ष्‍य।

यह एक बाध्‍यकारी लिंक भी है, क्‍योंकि भूतल परिवहन (सड़क, रेल तथा शिपिंग), इमारत निर्माण, कृषि तथा अपशिष्‍ट जैसे गैर-ईटीएस सेक्‍टर ईयू देशों द्वारा किये जाने वाले कुल ग्रीनहाउस गैस उत्‍सर्जन के आधे से ज्‍यादा हिस्‍से के लिये जिम्‍मेदार हैं।

इसके अलावा, एफर्ट शेयरिंग रेगुलेशन (ईएसआर विवरण के लिये अनुलग्‍नक 1 देखें) में शामिल राष्‍ट्रीय लक्ष्‍य दरअसल, बाध्‍यकारी हैं। इसके परिणामस्‍वरूप मुश्किल लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तैयार की जाने वाली घरेलू नीतियों की श्रृंखला विश्वसनीय होनी चाहिए।

ख)- देश विशिष्‍ट मामले

जर्मनी

l ईटीएस उद्योगों पर ईयू-व्‍यापी कटौती की अधिक सख्‍त बाध्‍यताएं और बिजली उत्‍पादन में कोयले के इस्‍तेमाल को खत्‍म करने के लिये वर्ष 2038 तक इंतजार करने की जर्मनी की योजना के लिये इसके क्‍या मायने हैं।

l कारों से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्‍साइट पर निर्धारित ईयू-व्‍यापी अधिक सख्‍त ऊपरी सीमा और जर्मनी में आटो निर्माताओं की पहुंच, जिसके जरिये परंपरागत रूप से अनुमोदन प्रक्रिया के दौरान यूरोपीय कमीशन द्वारा प्रस्तावित यूरोपीय संघ के ऑटो-प्रदूषण प्रतिबंधों में रियायत करने (या उन्हें कड़ा होने से बचाने के लिए) की मांग की जाती है।

l ईयू कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) और जर्मनी में उद्योग और राजनेताओं की स्थिति, जो एक निर्यात चैंपियन के रूप में ब्‍लॉक के वाणिज्यिक भागीदारी को नाराज कर सकने वाली यूरोपीय व्यापार गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पारंपरिक रूप से अनिच्छुक है।

l निर्माण/सड़क परिवहन और ईटीएस के बीच सम्‍भावित लिंक। क्‍योंकि जर्मनी अनेक ईयू देशों की आपत्ति के बावजूद इन दो उद्योगों को कवर करने के लिये यूरोपियन एमिशंस-ट्रेडिंग के दायरे को व्‍यापक करने के लिये प्रयास कर रहा है।

फ्रांस

l सीबीएएम और यह सवाल कि क्या ईयू-आधारित निर्माताओं को कुछ मुफ्त ईटीएस परमिट के हकदार बने रहना चाहिए (नोट : फ़्रांस ने सीबीएएम के विचार का समर्थन किया है, जिसके बारे में कुछ लोग तर्क देते हैं कि यह भत्तों के मुक्त आवंटन के साथ वैश्विक व्यापार नियमों के तहत असंगत होगा)।

l एफर्ट शेयरिंग रेगुलेशन के तहत नये राष्‍ट्रीय लक्ष्‍य और यह सवाल कि क्‍या फ्रांस पर्याप्‍त रूप से महत्‍वाकांक्षी बनेगा? खासकर तब, जब यह जाहिर है कि वह वर्ष 2030 के लिये निर्धारित मौजूदा लक्ष्‍य की प्राप्ति की दौड़ में पीछे हो चुका है।

l इमारतों/सड़क परिवहन और ईटीएस के बीच संभावित लिंक क्योंकि फ्रांस जर्मनी द्वारा इन दो उद्योगों को कवर करने के लिए यूरोपीय उत्सर्जन व्यापार के दायरे को चौड़ा करने के लिए किये जा रहे प्रयासों पर संदेह कर सकता है।

प्रगतिशील जलवायु वाले देश

l क्या यह समूह, जिसमें स्कैंडिनेवियाई, बाल्टिक और कुछ अन्य यूरोपीय संघ के देश शामिल हैं, पैकेज के विभिन्न हिस्सों को कमजोर किये जाने से रोकने के लिए एकजुट रहेगा?

पोलैंड
l पैकेज के प्रमुख हिस्‍सों के बारे में पोलैंड की प्रतिक्रिया कैसी होगी और अपने हितों को साधने के लिये पोलैंड अन्‍य सदस्‍य देशों के साथ कौन सा राजनीतिक गठबंधन करेगा?

l यूरोपियन कमीशन ने अक्‍टूबर 2020 में कहा कि पोलैंड ने उत्‍सर्जन में कटौती सम्‍बन्‍धी अपने बाध्‍यकारी राष्‍ट्रीय लक्ष्‍यों और वर्ष 2030 के लिये निर्धारित अक्षय ऊर्जा लक्ष्‍यों को हासिल करने की दिशा में पर्याप्‍त कदम नहीं उठाये हैं।

स्‍पेन
l कमीशन ने पिछले साल अक्‍टूबर में कहा था कि स्‍पेन वर्ष 2030 तक ईटीएस से इतर अपने उत्‍सर्जन कटौती सम्‍बन्‍धी बाध्‍यकारी लक्ष्‍य को हासिल करने की दिशा में सही तरीके से बढ़ रहा है और ऐसा लगता है कि उस साल तक वह अपने अक्षय ऊर्जा सम्‍बन्‍धी लक्ष्‍य से ज्‍यादा हासिल कर लेगा।

l क्‍या यह कहा जा सकता है कि स्‍पेन ऐसा करके सम्‍पूर्ण ‘फिट फॉर पैकेज’ के सहयोग की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण शक्ति बन गया है? और क्‍या इसका यह मतलब है कि आर्थिक रूप से महत्‍वपूर्ण मसविदा कानून को लेकर ईयू के भीतर राजनीतिक खींचतान से अपेक्षाकृत दूर ही रहने वाला स्‍पेन इस मौके पर ब्रसेल्‍स में ज्‍यादा मुखर साबित होगा?

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