• June 12, 2018

फसल अवशेष प्रदूषण के लिये 215 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध

फसल अवशेष प्रदूषण के लिये 215 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध

चंडीगढ़— हरियाणा के मुख्य सचिव, श्री डी.एस.ढेसी ने कहा कि फसल अवशेष जलाए जाने के कारण पिछले दो वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर निरंतर बढने की समस्या पेश आ रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा इसे गंभीरता से लेते हुए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को बढते प्रदूषण की समस्या से प्रभावी तरीके से निपटने के निर्देश दिये गये हैं।

केन्द्र सरकार ने इस कार्य के लिए हरियाणा सरकार की 215 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध करवाई गई है। इस राशि से जहां किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न माध्यमो से जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं वहीं किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि यंत्र अनुदान पर भी उपलब्ध करवाये जाने हैं।

मुख्य सचिव आज अम्बाला, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, कैथल, करनाल और पानीपत जिलों के उपायुक्त और कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होने बताया कि यह उपकरण किसानों को व्यक्तिगत तौर पर उपलब्ध करवाने के साथ-साथ पंचायतों, किसान समूहों और सहकारी समितियों को उपलब्ध करवाने का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि यह उपकरण उपलब्ध करवाने के लिए 15 जून तक आवेदन पत्र आमंत्रित किये गये हैं।

उन्होने बताया कि सामुहिक तौर पर कृषि उपकरण उपलब्ध करवाने की परियोजना लागत 10 लाख रूपये से लेकर अधिकतम 75 लाख रूपये तक तय की गई है। उन्होने बताया कि कृषि यंत्रों पर अलग-अलग दर से 80 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान किया गया है।

मुख्य सचिव ने बताया कि जागरूकता और आधुनिक कृषि उपकरणों के साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा तीनों प्रदेशों में पैट्रोलियम मंत्रालय और उर्जा मंत्रालय के माध्यम से फसल अवशेषों का प्रयोग उर्जा उत्पादन के लिए करने की योजनाएं भी तैयार की गई हैं जिसके तहत हरियाणा के पानीपत जिला में भी इस तरह की परियोजना स्थापित करने की प्रक्रिया आरम्भ की गई है।

श्री ढेसी ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिये कि वे सुनिश्चित करें कि धान की फसल की कटाई से पूर्व पात्र किसानों तक इस तरह के सभी कृषि यंत्र पहुंच जाये ताकि फसलों के अवशेष जलने के कारण होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। उन्होने कहा कि अम्बाला, कुरूक्षेत्र, करनाल सहित जिन जिलों में धान की फसल अधिक लगाई जाती है वहां जिला प्रशासन को इसके लिए अधिक मुसतैदी से कार्य करना होगा।

उन्होने कहा कि कृषि विभाग के अमले के साथ-साथ जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों को भी इस कार्य में सक्रिय रूप से शामिल करें ताकि धरातल स्तर पर इस कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सके। उन्होने कहा कि किसानों को इस बात के लिए जागरूक करने की आवश्यकता भी है कि जहां फसलों के अवशेष जलाने से उनकी भूमि की उपजाउ शक्ति कम होती है वहीं इन अवशेषों को भूमि में मिलाने से उर्वरा शक्ति बढती है।

इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डा0 अभिलक्ष लिखी तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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