फर्जी मुआवजे के 1.71 करोड़ रूपये भू-माफिया के हलक से वापस निकाले गये

फर्जी मुआवजे के 1.71 करोड़ रूपये भू-माफिया के हलक से वापस निकाले गये

सीधी——– चुरहट बायपास हेतु अधिग्रहित भूमि के एवज में फर्जी तरीके से वितरित की गई 1.71 करोड़ रुपये की मुआवजा की राशि तो शासन के खाते में वापस जमा कराई जा चुकी है।

लेकिन तमाम नियम कानूनों को धता बताते हुये इस कार्य को अंजाम देने वाले भू-अर्जन अधिकारी, कर्मचारियों एवं राम मिलन पटेल पर कोई कार्यवाही नहीं की गई | पुलिस के मार्फत अपहृत कराई गई वास्तविक भू-स्वामी बेवा लल्ली पटेल पति स्व. दद्दी राम पटेल कहां है ? लल्ली देवी की कोख से जन्मी स्व. दद्दी राम पटेल की चारों पुत्रियों ने आशंका जाहिर की है कि मुआवजे की लालच में कहीं उसकी हत्या न करा दी जावे?

राष्ट्रीय राजमार्ग 39अंतर्गत मोहनिया पहाड़ से सर्रा तक किये गये भू-अर्जन में शासन को अरबों रुपये की राशि का चूना लगाने वाले गिरोह का यह ऐसा कारनामा साबित हुआ, जिसमें डकारी गई राशि हलक में हांथ डालकर वापस निकाल ली गई है। सीधी जिले का यह ऐसा वाकया है जिसमें “डकैत ने लूट की संपत्ति वापस कर दी है तो उनके ऊपर मुकदमा नहीं चलेगा” ?

काबिलेगौर तथ्य है कि लल्ली देवी को नगर परिषद चुरहट से विधवा पेंशन मिलती है। लेकिन वहां भी पति के रूप में जिंदा राममिलन दर्ज है। लल्ली देवी के सभी दस्तावेजों में राममिलन ने पति के रूप में अपना नाम दर्ज करवा रखा है। राममिलन जो विवाहित था, उसकी पत्नी मेहलुआ की मौत 2012 में कैंसर के चलते हुई है |

जब राममिलन पटेल की पहले से बीबी थी तो उसका लल्ली देवी के साथ विवाह वैधानिक था ? बड़े भाई दद्दी राम की मृत्यु के उपरांत राम मिलन ने भाई की संपत्ति हड़पने पहले शादी का कुचक्र किया और बाद में इतना प्रताड़ित किया की उसकी मानसिक स्थिति खराब डगमगा गयी। उसकी संपत्ति हड़पने के लिए उसे प्राप्त सभी संपत्तियों में अपना नाम लिखवा दिया। अपने बेटों जो उसे अपनी पत्नी से हुए उनके नाम लल्ली देवी की जमीन का एक हिस्सा 90 के दशक में करवा दिया। जबकि लल्ली देवी की स्व. दद्दी राम से 4 पुत्रियाँ थीं |

शेष बची जमीन पर भी लल्ली देवी बेवा दद्दी राम की जगह पत्नी राममिलन लिखवा दिया और वही भूमि नेशनल हाइवे में फंस गई | भू- अर्जन की पूरी प्रक्रिया लल्ली देवी के नाम से हुई, पर जब मुआवजा देने की बात आई तो चुरहट क्षेत्र में सक्रिय भू-माफिया ने लल्ली देवी को मानसिक रूप विक्षिप्त घोषित कर एक शपथ पत्र के आधार पर 1.71 करोड़ की राशि राम मिलन को सौंप दी गई |

अब सवाल यह है कि क्या मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला का शपथ पत्र वैध है ? भू-अर्जन अधिकारी ने अन्य वैधानिक वरिशों की सहमति के बिना लल्ली देवी के नाम से पारित एवार्ड की राशि राम मिलन को क्यों सौंप दी ? यहाँ यह कहने और लिखने की बात नहीं कि दाल में कुछ काला है, बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है |

लल्ली देवी की बेटियां कह रही हैं हमने पहले भी विरोध किया था | अपने ही घर में लल्ली देवी भैंसों की सार(तबेला) में रहने के लिये मजबूर थी | वो हमारे यहां वक्त गुजारती थी। मुआवजे के लिए माँ को रातों रात पुलिस से उठवा लिया गया है | हंड्रेड डायल आई थी, उसमें एक भी महिला पुलिस नहीं थी | निश्चित ही इसमें रसूखदार का हाँथ है | माँ का अभी तक पता नहीं है |

क्या राममिलन सहित धोखाधड़ी के मामले में शामिल भू-अर्जन के अमले के उपर जिला प्रशासन कार्यवाही करेगा ? लल्ली देवी की कस्टडी राममिलन पे रही तो उसकी हत्या भी हो सकती है, ऐसा उसकी बेटी कहती है |

लल्ली देवी को जब पुलिस उठाकर ले गयी थी, उसके बाद कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया गया था | लेकिन कार्यवाही तब हुई जब यह आवेदन माननीय परिवहन मंत्री, राष्ट्रीय राजमार्ग के विजिलेंस अधिकारी, मुख्यसचिव, कमिश्नर व पुलिस महानिरीक्षक रीवा को दिया गया।

विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
19,अर्जुन नगर सीधी

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