फर्जी नॉन बैकिंग, चिटफंड और मल्टीलेवल,माइक्रो फाइनेंस: निगरानी समिति गठित करने के निर्देश

फर्जी नॉन बैकिंग, चिटफंड और मल्टीलेवल,माइक्रो फाइनेंस: निगरानी समिति गठित करने के निर्देश

रायपुर-(छत्तीसगढ) –  राज्य सरकार ने फर्जी नॉन बैकिंग, चिटफंड और मल्टीलेवल कम्पनियों तथा माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के विरूद्ध आम जनता से धोखाधड़ी किए जाने की शिकायतों को गंभीरता से लिया है।

मुख्यमंत्री और वित्त विभाग के प्रभारी डॉ. रमन सिंह द्वारा इस सिलसिले में राज्य पुलिस को प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। उनके निर्देशों के अनुरूप पुलिस महानिदेशक श्री ए.एन. उपाध्याय ने सभी पुलिस अधीक्षकों को परिपत्र जारी किया है। उन्होंने परिपत्र में इस प्रकार की धोखाधड़ी करने वाली कम्पनियों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं।

श्री उपाध्याय ने परिपत्र में ऐसी कम्पनियों पर नजर रखने के लिए ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों के स्तर पर निगरानी समितियां गठित करने तथा समितियों में इन संस्थाओं के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सहयोग लेने की भी जरूरत पर भी बल दिया है।

उन्होंने पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि प्रत्येक पुलिस थाने के स्तर पर इन निगरानी समितियों की बैठक लेकर उन्हें इन फर्जी कम्पनियों के कारोबार और कार्यशैली की जानकारी दी जाए, ताकि समिति के लोग भी अपने स्तर पर जनता को जागरूक कर सकें। पुलिस महानिदेशक ने परिपत्र में ऐसी कम्पनियों से युवाओं को भी सावधान किए जाने की जरूरत पर बल दिया है।

पुलिस महानिदेशक ने परिपत्र में लिखा है कि इस प्रकार की कम्पनियां ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी इलाकों में पैर पसार कर अवैध कारोबार कर रही हैं। ये कम्पनियां आम जनता को लालच देने के लिए लुभावने सपने दिखाती है- जैसे कम समय में राशि दोगुनी करने, किश्तों में राशि जमा करने पर आवासीय भूखण्ड और कीमती सामान देने का प्रलोभन इनके द्वारा दिया जाता है।

किश्तों में रकम जमा होने के बाद ये कम्पनियां जनता की रकम को वसूल कर कारोबार समेट कर गायब हो जाती हैं। पुलिस को सूचना मिलने पर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाती है। श्री उपाध्याय ने परिपत्र में आगे लिखा है – ऐसी फर्जी फायनेंस कंपनियों के अपराध का तरीका यह होता है कि ये रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज कार्यालय में आवेदन करके भारत के किसी भी स्थान पर अपना पंजीयन करा लेती है। जिन स्थानों पर यह व्यवसाय प्रारंभ करती है, वहां के स्थानीय नवयुवकों को बतौर एजेंट नियुक्त करती हैं और उन्हें इस कार्य के लिए आकर्षक कमीशन का भुगतान करती है।

समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर तथा स्थानीय लोगों की मदद से अपने व्यवसाय का प्रचार-प्रसार करती हैं। कम समय में जमा धन को दोगुना-तिगुना करने अथवा कंपनी के माध्यम से नये सदस्य बनाने पर आकर्षक कमीशन का लालच देने पर जनता इनके प्रलोभन में फंस जाती है। फर्जी कंपनी के डायरेक्टर तथा संचालक अधिकांशः प्रकरणों में राज्य के बाहर के होते हैं।

पुलिस महानिदेशक ने परिपत्र में इन फर्जी नॉनबैंकिंग/चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी पर प्रभावी रोक लगाने की जरूरत पर बल देते हुए पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि अपराधों की रोकथाम के लिए ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत स्तर पर तथा शहरी क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका एवं नगर निगम के स्तर पर वहां के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के सहयोग से और ग्राम रक्षा समिति, नगर सुरक्षा समिति के माध्यम से निगरानी समिति का गठन किया जाए। समिति में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाए और प्रत्येक पुलिस थाना स्तर पर बैठक लेकर राजपत्रित अधिकारियों के माध्यम से समिति को इस प्रकार की कम्पनियों की कारगुजारियों तथा उनकी कार्यशैली की जानकारी दी जाए।

श्री उपाध्याय ने परिपत्र में कहा है कि इस प्रकार की कंपनियों के कार्यस्थल पर जाकर उनकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जाए और ऐसा व्यवसाय करने वालों की जानकारी संबंधित थाना प्रभारी एवं कार्यपालन दण्डाधिकारी को भी दी जाये। कम्पनी में कार्य करने वाले यदि स्थानीय युवक है, तो उन्हें यह समझाया जाये कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुरूप ही कोई कम्पनी जमा राशि पर ब्याज दे सकती है।

ऐसा व्यवसाय करने वाली कम्पनियों के कर्मचारियों का पूरा नाम, पता और उन कम्पनियों के मुख्यालय का पूरा पता, संचालक का नाम और पूरा पता संकलित किया जाए। परिपत्र में कहा गया है कि स्थानीय जनता को भी ऐसी धोखाधड़ी के संबंध में जागरूक किया जाए। समिति के माध्यम से नागरिकों को यह भी जानकारी दी जाए, कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न थाना क्षेत्रों में  इस प्रकार की फर्जी नॉनबैंकिंग, चिटफण्ड, मल्टीलेवल कंपनियां किस तरह से अपराध घटित करने के एक निश्चित समय के बाद पैसा लेकर गायब हो गई।

ऑन लाईन धोखाधड़ी के संबंध में समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से भी ऐसी फर्जी कंपनियों के अपराध के तरीकों की जानकारी देकर नागरिकों में जागरूकता उत्पन्न की जानी चाहिए। समय-समय पर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस महानिरीक्षक भी इन समिति से चर्चा करके मार्गदर्शन दें।

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