प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश

प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश

शिमला ———-अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) मनीषा नन्दा ने राज्य में ‘पोलिथीन हटाओ, पर्यावरण बचाओ’ अभियान के प्रभावी कार्यान्वयन तथा प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन प्रथाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित बनाने के लिए कार्य योजना तैयार करने तथा चर्चा करने के लिए सभी उपायुक्तों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आज यहां एक बैठक की। शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग, पर्यटन, पुलिस तथा वन जैसे हितधारक विभागों ने वीडियो कांफ्रेंसिग बैठक में भाग लिया।

मनीषा नन्दा ने विभिन्न हितधारक विभागों के बीच तालमेल तथा सामंजस्य बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ‘विज़न डाक्यूमेंट’ जिसे राज्य सरकार ने अपने नीति दस्तावेज के तौर पर अपनाया है, के अन्तर्गत पॉलिथीन पर प्रतिबन्ध का कड़ाई से कार्यान्यन करने को प्राथमिकता दी गई है, तथा राज्य को ‘पॉलिथीन कचरा मुक्त राज्य’ बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए ठोस कार्य रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने लगभग 15 विभागों को क्षेत्रीय स्तर तक तथा कॉन्सटेबल स्तर तक शक्तियां प्रदत करने के बावजूद कचरा फैंकने पर नियंत्रण न लगाने के लिए जिलों की कारगुजारी पर चिन्ता जाहिर की। उन्होंने उपायुक्तों को हिमाचल प्रदेश नॉन बायोडिग्रेडेबल गारबेज (कन्ट्रोल) एक्ट, 1995 के विधिक प्रावधानों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए।

श्रीमती नन्दा ने लोक निर्माण विभाग को सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का प्रयोग करने तथा शहरी विकास विभाग को बद्दी, मण्डी, धर्मशाला, कांगड़ा तथा मनाली शहरों में क्लस्टर आधारित ठोस कचरा प्रबन्धन संयत्र स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन के लिए योजना तैयार करने की सम्भावनाओं का पता लगाने को कहा।

ग्रामीण विकास तथा शहरी विकास विभागों को कम से कम 10 साडा क्षेत्रों में ठोस कचरा प्रबन्धन सुविधाएं स्थापित करने की सम्भावनाओं को तलाशने को भी कहा। उन्होंने कहा कि आरम्भ में इस प्रकार के कम से कम 15-20 स्वयंसेवी संस्थाओं/वेंडर्ज को उनके कार्य क्षेत्रों में कचरा प्रबन्धन आदतों के बारे प्रचार करने के लिए जोड़ने तथा राज्य में आजीविका अवसर के लिए लक्षित किया जाएगा।

मनीषा नन्दा ने सभी उपायुक्तों से प्लाटिक कचरा फैलाने पर नियंत्रण तथा अंकुश लगाने के लिए और अधिक सक्रियता के साथ कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन की प्रत्येक दो माह में समीक्षा की जाएगी।

प्लास्टिक तथा अन्य कचरा फैलाने के लिए सभी जिलों में विशेष जॉच अभियान/ चालान किए जाएंगे। सरकारी अथवा निजी भूमि, सामुदायिक भूमि, घरों के आस-पास, दूकानों, होटलों, रेस्तरांओं, ढाबों, प्रतिस्थापनाओं में जहां कहीं भी कचरा फैंका पाया जाता है, उन्हें उल्लंघना के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

वन भूमि में कचरा फैंकने पर नियमित निगरानी तथा चालान करने के लिए राज्य के क्षेत्रीय अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करने के लिए वन विभाग को निर्देश दिए गए। यह भी निर्देश दिए गए कि वन भूमि में किसी प्रकार की गन्दगी न फैलाई जाए और ऐसा करने पर अधिनियम के अन्तर्गत कड़ी कार्रवाई की जाए।

विशेष सचिव एवं निदेशक (पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) डी सी राणा ने कहा कि राज्य में प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन के लिए नियमन, विधिक प्रावधान तथा क्रियान्वयन तंत्र मौजूद है, लेकिन निश्चित रूप से इसे प्रभावी ढंग से लागू करने तथा नियमित निगरानी की आवश्यकता है।

बैठक में यह भी सूचित किया गया कि हिमाचल प्रदेश नॉन बायोडिग्रेडेबल गारबेज (कन्ट्रोल) रूल्ज, 1996 के अन्तर्गत स्थानीय प्राधिकरण को कचरा प्रबन्धन तथा कूड़ा-कचरा प्रबन्धन समितियां अधिसूचित करनी चाहिए।

प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन नियम 2016 के अनुसार प्लास्टिक को पुनः चक्रित करना तथा जो प्लास्टिक पुनः चक्रित नहीं किया जा सकता उसे सड़क निर्माण में प्रयोग किया जाना चाहिए तथा थर्मासेट प्लास्टिक का विधायन किया जाना चाहिए और केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप इसका निदान किया जाना चाहिए।

बैठक में निर्णय लिया गया कि विभिन्न विभागों के समस्त अधिकारी जिन्हें उल्लघंना करने वालों के विरूद्ध अधिनियम के अन्तर्गत शक्तियां प्रदत की गई हैं, उनके कामकाज समीक्षा की जाएगी। उपलब्ध रिपोर्ट के आधार पर कुल्लू, किन्नौर, ऊना, शिमला तथा सोलन की उपलब्धियां संतोषजनक नहीं है।

यह भी निर्णय लिया गया कि भविष्य में हिमाचल प्रदेश नॉन बायोडिग्रेडेबल गारबेज (कन्ट्रोल) अधिनियम 1995 के अन्तर्गत जिन अधिकारियों को शक्तियां प्रदान की गई हैं, की उपलब्धियों को इस अधिनियम से जोड़ा जाएगा।

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