- September 25, 2017
प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का सपना चकनाचूर
झज्जर/गुरुग्राम (गौरव शर्मा)————- गुड़गांव.गुड़गांव नगर निगम चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को झटका लगा है। प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का 35 में से 34 सीटें जीतने का सपना बागियों की वजह से टूट गया। पार्टी काे महज 14 सीटों पर संतोष करना पड़ा। हालांकि पिछले निगम चुनावों के मुकाबले भाजपा ने 10 सीटें ज्यादा जीती, लेकिन पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ रहे 16 में से 7 बागियों ने जीत हासिल कर उसे स्पष्ट बहुमत हासिल करने से रोक दिया।
हालांकि देर रात तक चले गठजोड़ के समीकरणों को देखते हुए भाजपा का मेयर बनना लगभग तय माना जा रहा है। 20 सीटों पर चुनाव लड़ी इनेलो केवल एक सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई।
भाजपा के 7 बागी समेत कुल 21 निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे। कांग्रेस ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था। उधर, परिणाम आते ही भाजपा ने निर्दलीय को अपने पाले में मिलाने के प्रयास शुरू कर दिए। कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह ने नतीजों के बाद कहा- जो निर्दलीय जीते हैं वो भी भाजपा के कार्यकर्ता हैं। इसलिए इसे भाजपा की हार कहना सही नहीं है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षे अशोक तंवर ने कहा- जनता ने भाजपा और इनेलो, दोनों पार्टियों को नकारकर साबित कर दिया है कि जनता भाजपा की नीतियों से तंग आ चुकी है।
मेयर की दौड़ में चार पार्षद इनमें भाजपा की मधु आगे
मेयर की सीट अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है। नतीजों के बाद मेयर पद की दौड़ में 4 पार्षद हैं। वार्ड एक से निर्दलीय मिथलेश, वार्ड 7 से भाजपा की मधु आजाद, वार्ड 10 से शीतल बागड़ी और वार्ड 17 से रजनी साहनी इस श्रेणी में हैं। बागड़ी और साहनी दोनों ने ही भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ा था। इनमें से रजनी साहनी ने भाजपा की ओर से मेयर की संभावित प्रत्याशी गीता तंवर को हराकर चुनाव जीता है।
3 संभावनाएं
-भाजपा मधु आजाद को उम्मीदवार बनाती है तो उसे 4 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन चाहिए। दिग्गज नेताओं की सक्रियता और जोड़तोड़ के प्रयासों को देखते हुए इसकी संभावना ज्यादा है।
या फिर बागियों की ओर देखे
पहला विकल्प नाकाम हुआ तो भाजपा शीतल बागड़ी पर दांव लगा सकती है। शीतल भाजपा के नेता और पूर्व पार्षद मंगतराम बागड़ी की पुत्रवधू हैं। बागड़ी राजी हुए तो सीटें जुटाने में सहयोग कर सकते हैं। पार्टी वार्ड 17 से जीती रजनी साहनी पर भी दांव लगा सकती है।
-निर्दलीय प्रत्याशी मिथलेश। मिथलेश 12वीं तक पढ़ी हैं। मेयर पद के लिए वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ी हुई नहीं है। पहली बार चुनाव लड़ी हैं। इनकी संभावना सबसे कम है।