- December 4, 2015
प्रकृति का अंधाधुंध शोषण विनाश संभव
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रकृति का अंधाधुंध शोषण रोका नहीं गया तो विनाश संभव है। विकास और पर्यावरण में संतुलन जरूरी है। श्री चौहान ने कहा कि मानवता के प्रति भोपाल गैस त्रासदी जैसा अपराध दुनिया में फिर कहीं नहीं हो, इसका संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी और शहर को तीन दिसंबर 1984 का भोपाल फिर नहीं बनने देंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ बरकतउल्ला भवन (सेंट्रल लायब्रेरी) में भोपाल गैस त्रासदी की 31वीं बरसी पर श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे।
श्री चौहान ने कहा कि विकास और पर्यावरण दोनों में संतुलन जरूरी है। विकास के स्वार्थ से वशीभूत होकर प्रकृति के अंधाधुंध शोषण से त्रासदी होती है। विकास की अंधी दौड़ में हमें सुरक्षा को नहीं भूलना चाहिये। उन्होंने कहा कि बुरे कार्य के बुरे परिणाम भी होते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि दुनिया इस विषय में जरूर सोचेगी, ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे हमें भोपाल गैस त्रासदी जैसी दु:खद घटना देखने को मिले। गैस प्रभावितों के बेहतर इलाज और पुनर्वास का दायित्व सरकार और समाज का है।
श्रद्धांजलि सभा में सनातन, इस्लाम, सिक्ख, ईसाई जैन, बौद्ध तथा बोहरा धर्म के धर्माचार्यों द्वारा पाठ किया गया। गैस त्रासदी में दिवंगतों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। कार्यक्रम में गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, नगर निगम सभापति श्री सुरजीत सिंह चौहान, श्री रमेश शर्मा ‘गुट्टू भैय्या’, वरिष्ठ अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।