पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001:एक दिवसीय प्रशिक्षण

पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001:एक दिवसीय प्रशिक्षण

छतीसगढ-   बीजापुर कृषि विज्ञान केन्द्र बीजापुर द्वारा दिनांक 14 नवम्बर 2014 पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001 विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का शुभारंभ मुख्य अतिथि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बीजापुर श्री समीर विश्नोई (आई. ए. एस.) द्वारा गणेश प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलीत कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा प्रमुख वैज्ञानिक, आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ. डी. एस. ठाकुर प्रमुख वैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक श्री अभिनव साव, श्री प्रफुल्ल कुुमार शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र जगदलपुर उपस्थित हुये। कार्यक्रम का आयोजन जिला पंचायत बीजापुर के सभागार में किया गया।

       मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बीजापुर श्री विश्नोई ने अपने उदबोधन के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा संकलित कृषक किस्मों की सराहना की तथा इस दिशा में और भी कार्य करने को कहा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से आये प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने कृषको को राष्ट्रीय जीन बैंक के उद्वेश्य तथा उसके प्रमुख विशेषताओं की जानकारी दी। उन्होने अपने व्याख्यान में धान, दलहन एवं तिलहन फसलों के विशिष्टता एकरूपता तथा स्थायित्व परीक्षण के लिये दिशा निर्देश की जानकारी दी।

      केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नारायण साहू ने किसानो के हितो की रक्षा एवं उनके विभिन्न फसलों की प्रजातियों के पंजीकरण का तरीका बताया। उन्होने बताया कि कृषक समूहो को कृषक किस्में के सकंलन हेतु भारत सरकार द्वारा 10 लाख के छः पुरूस्कार दिये जायेगे तथा व्यक्तिगत रूप से अन्य कृषकों को एक-एक लाख का  पुरूस्कार दिये जायेगे। इस अवसर पर डॉ. डी. एस. ठाकुर ने कृषकों को अलसी तथा सरसों के कृषक किस्मों की संरक्षण की जानकारी दी तथा उन्होंने जिला बीजापुर में फैली जैव विविधतता की जानकारी दी।

      वैज्ञानिक श्री अभिनव साव ने चावल की विशिष्टता तथा स्थायित्व परीक्षण की जानकारी दी तथा वैज्ञानिक श्री प्रफुल्ल कुमार ने कृषकों को चना पर विशिष्टता एकरूपता तथा स्थायित्व परीक्षण के लिये दिशा निर्देशिका की जानकारी दी। प्रशिक्षण के द्वारा डॅा. शर्मा द्वारा नुक्कड नाटक का विडियों प्रदर्शन किया गया तथा पौधा किस्मों के सन्दर्भ में प्रजेंटेशन दिया। इस अवसर पर केन्द्र द्वारा दुर्लभ कृषक किस्मों का प्रदर्शनी लगाया गया जिसमें 12 फिट ऊंचा मुंडा धान की किस्म एवं मात्र 45 दिनों में पकने वाली पिपर पिटटे किस्मों को प्रर्दशित किया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक श्री एस. के. लहरे, श्री अरूण कुमार सकनी, श्री एस. के. पोडयाम तथा श्री अरविंद कुमार आयाम उपस्थित थे । कार्यक्रम के आयोजन में श्री कमलेश्वर साहू श्री सुन्दर गांधरला तथा श्री बुधराम कश्यप ने विशेष सहयोग दिया। प्रशिक्षण में जिले के विभिन्न ग्रामों के लगभग 80 कृषक शामिल हुये।

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