पोषण अभियान– कुपोषण से निपटने के तीन महत्वपूर्ण बिन्दु : डा. पॉल

पोषण अभियान– कुपोषण से निपटने के तीन महत्वपूर्ण बिन्दु : डा. पॉल

तकनीकी उपयोग, योजनाओं का तालमेल तथा जन सहभागिता
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शिमला —— हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य, शिक्षा, समावेशी विकास, सुशासन जैसे अनेक क्षेत्रों में पिछले कुछ अर्से से तेजी से आगे बढ़ रहा है। बेशक अनेक क्षेत्रों में राज्य देश के दूसरे बहुत से राज्यों को पीछे छोड़ उन्नति के पथ पर अग्रिम पंक्ति में शुमार है, लेकिन शिखर पर हिमाचल की परिकल्पना को साकार करने के लिए सबको उत्साह, समर्पण और इमानदारी के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने होटल पीटरहॉफ में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पोषण अभियान पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है और इसके निवारण से ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना संभव है। हर बच्चा शारीरिक व मानसिक तौर पर स्वस्थ हो, यह परिवार, समाज और देश की आवश्यकता है।

उन्होंने पोषण अभियान की शुरूआत अपने घर से करने तथा इसे जन आंदोलन का रूप देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में राज्य में बच्चों में नाटेपन की दर 36 प्रतिशत थी, जो घटकर वर्तमान में 26 प्रतिशत तक आ गई है। उन्होंने कहा कि बाल विकास परियोजना, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास व पंचायती राज तथा शिक्षा जैसे संबद्ध विभागों को समेकित प्रयासों के साथ कार्य कर इस दर को 2022 तक 15 प्रतिशत तक लाने के लिए कार्य करना होगा।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को बच्चों, किशोरों और महिलाओं को कुपोषण मुक्त बनाने की शपथ दिलाई।

उन्होंने प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के तहत उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उपायुक्त बिलासपुर, मण्डी तथा कांगडा को सम्मानित भी किया।

नीति आयोग के सदस्य डा. विनोद पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि पोषण कार्यक्रम के पीछे प्रधानमंत्री की सोच एक स्वस्थ और सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि आधे से अधिक बच्चों में खून की कमी होती है। नवजात के लिए मां का दूध एक घण्टे के भीतर मिलना आवश्यक है और बच्चे को कम से कम छः महीने तक मां का दूध ही दिया जाना चाहिए और इसे दो वर्ष तक जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों में दस्त, न्यूमोनिया व कमजोरी के बहुत मामले सामने आते हैं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. राजीव सैजल ने कहा कि शरीर व मन के विकास के लिए अच्छा पोषण जरूरी है और इसके लिए हर व्यक्ति को जिम्मेवारी के साथ बच्चों के शारीरिक विकास पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है और इस दौरान प्रदेश के कोने-कोने तक बच्चों के उचित आहार को लेकर जागरूकता उत्पन्न की जाएगी। इस दौरान छः माह तक बच्चे का वजन, प्रत्येक आंगनवाडी में पोषण मेला, पोषण पर स्वयं सहायता समूह व ग्राम पंचायत स्तर पर बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

डा. सैजल ने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के तहत गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 5000 रुपये की राशि प्रदान की जा रही है। राज्य में इस लाभ के लिए 1.45 लाख पात्र महिलाओं के आवेदन ऑनलाईन अपलोड किए गए हैं और इनके खातों में 17.27 करोड़ की राशि जमा करवाई गई है। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रदेश को उत्तर क्षेत्रीय राज्यों में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है।

मुख्य सचिव विनीत चौधरी, महिला व विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजेश कुमार, बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष पायल वैद्य, विभिन्न जिलों के उपायुक्त, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा विभिन्न हितधारक कार्यशाला में मौजूद रहे।

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