- December 8, 2015
पेरिस : सीओपी-21 – पर्यावरण मंत्री
्पेसूका – केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने फिर दोहराया कि भारत यह सुनिश्चित करेगा कि सामूहिक लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत (सीबीडीआर) का सम्मान हो और अमीर राष्ट्र कार्बन स्पेस पर उनके ओवरड्राफ्ट का भुगतान करें । श्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत के लिए 1.27 बिलियन लोगों के वर्तमान और भविष्य तथा उनकी विकास की आकांक्षाओं का प्रश्न है।
सभी पक्षों के सम्मेलन (सीओपी) के उच्चस्तरीय वर्ग की शुरूआत की पूर्वसंध्या पर पेरिस में कार्य प्रक्रिया को बढ़ावा (एडीपी) देने के लिए डर्बन मंच पर अस्थायी कार्यकारी दल का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर के आज के वक्तव्य का मूल पाठ निम्नलिखित हैः
‘’इस समय हम नए जलवायु समझौते पर पहुंचने की हमारी यात्रा के मध्य में है। लेकिन सामग्री के रूप में हम आधे रास्ते में नहीं है बल्कि हम लगभग मार्ग तय कर चुके हैं और फ्रांस की अध्यक्षता में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसने पिछले एक वर्ष में राजनीतिक सक्रियता पैदा करने में महत्वपूर्ण कार्य किया है। भारत का भी दृढ़संकल्प है कि पेरिस सम्मेलन पिछले सम्मेलनों की तरह न हो, जहां से हम सब झूठी आशा और मिथ्या उम्मीद लेकर लौटे थे।
भारत के लिए यह विकास की आकांक्षाओं के साथ हमारे 1.27 बिलियन लोगों के वर्तामान और भविष्य का प्रश्न है। हम इस बैठक को इसके उद्देश्यों तक पहुचंने में असफल नहीं होने देंगे। भारत यहां पर यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सामूहिक लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के मौलिक सिद्धांत (सीबीडीआर) का सम्मान हो और भारत यहां यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अमीर राष्ट्रों द्वारा ओवरड्राफ्ट, जो उन्होंने कार्बन स्पेस पर लिया था उस ऋण का भुगतान करें। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का प्रारूप सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) एक वैश्विक जलवायु संविधान है। यह मौलिक है। इसे दोबारा लिखने या इस पर दोबारा लिखने के किसी भी प्रयास को कोई स्वीकार नहीं करेगा। हमारा संगठित निर्णय विज्ञान, सीबीडीआर और सभी की सहमति पर आधारित होना चाहिए।‘’पेस