- October 28, 2015
पेरिस में उचित और न्यायसंगत जलवायु समझौते की उम्मीद- जावड़ेकर
मंत्री महोदय ने कहा कि पेरिस, विकासशील देशों के कार्यों के बारे में कोई सवाल नहीं उठा रहा है, बल्कि वास्तव में यह विकसित विश्व द्वारा वार्ता के लिए आगे बढ़ने के लिए सवाल उठा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विकसित विश्व ने 100 बिलियन डॉलर (हरित जलवायु कोष) के लिए का वादा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं हुआ है। “अब विकसित विश्व यह कहा रहा है कि उन्होंने 62 बिलियन डॉलर जुटाये है। श्री अरुण जेटली ने उन्हें लीमा में स्पष्ट रूप से कहा था कि दोहरा लेखांकन था और स्वीकार्य नहीं था, इसलिए हम अतिरिक्त नया पूर्वानुमेय वित्त चाहते हैं, जिसे प्राप्त कर लिया जाएगा। श्री जावड़ेकर ने कहा कि मैंने विश्व को बताया कि 100 बिलियन डॉलर जलवायु कार्रवाई की लागत नहीं है। जलवायु कार्रवाई की लागत तो प्रति वर्ष खरबों डॉलर में है।
उन्होंने कहा कि भारत सतत विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन हम और अधिक कार्बन स्पेस चाहते हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि हम जलवायु न्याय के बारे में बात कर रहे हैं, हम इस समस्या का एक हिस्सा नहीं है, जबकि हम इससे पीडि़त है। 60 द्वीप और अन्य छोटे द्वीपीय देश भी इससे पीड़ित हैं, इसलिए हम पर्यावरण न्याय चाहते हैं।
श्री जावड़ेकर ने पर्यावरण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर लोगों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि सबसे अच्छे विचारों को न केवल नकद पुरस्कार दिया जाएगा, बल्कि पुरस्कार विजेताओं को वन्यजीव अभयारण्य की सैर भी कराई जाएगी। इस प्रतियोगिता के तौर-तरीकों के बारे में ‘माईगोव’ मंच पर जल्दी ही घोषणा की जाएगी।
‘माईगोव’ वार्ता निदेशक (सामग्री), ‘माईगोव’ श्री अखिलेश मिश्रा द्वारा संचालित की गई थी। इस पैनल के अन्य सदस्य – ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के उपाध्यक्ष श्री समीर सरन, दैनिक भास्कर के श्री अभिलाष खांडेकर, सोशल मीडिया वायस की सुश्री विवा केरमानी, माईगोव योगदानकर्ता सुश्री दीक्षा कात्याल ने गूगल हैंगआउट के माध्यम से इस वार्ता में शामिल हुए।
‘माईगोव’ वार्ता चीन में बेसिक्स बैठक के अवसर पर आयोजित की गई थी। यह पहला अवसर है कि किसी केन्द्रीय मंत्री ने ‘माईगोव’ के मंच पर एक गूगल हैंगआउट सत्र में भाग लिया।