- March 27, 2015
पेयजल की समस्या निपटान के लिए राजस्थान को 500 करोड़ की अतिरिक्त राशि
जयपुर -राजस्थान की जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने केन्द्र सरकार से राजस्थान के लिए चालू वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान पेयजल समस्याओं के निराकरण के लिए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की है। उन्होंने राजस्थान के लिए विशेष दर्जा देने की मांग करते हुए केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य को प्रति वर्ष 7,275 करोड़ रुपये के हिसाब से दस वर्षो के लिए 72 हजार 750 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज प्रदान करने का आग्रह भी किया है।
श्रीमती माहेश्वरी ने गुरूवार को नई दिल्ली के कृषि भवन में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह से मुलाकात कर प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और भू-जल एवं सतही जल की चिंताजनक स्थिति से अवगत करवाते हुए यह मांग रखी। इस मौके पर पाली के सांसद श्री पी.पी. चौधरी भी मौजूद थे।
श्रीमती माहेश्वरी ने केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि वर्ष 2014-15 के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी) के अन्तर्गत राजस्थान को आवंटित कुल धनराशि 1348.24 करोड़ में से 1236.89 करोड़ रुपये प्रदान किये गए इनमें से फरवरी 2015 तक 995.95 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है और मार्च 2015 के अंत तक यह खर्च 1200 करोड़ रुपये पहुॅचने का अनुमान है।
इसलिए चालू वित्त वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि प्रदान की जावे। उन्होंने कहा कि राजस्थान को आने वाले वर्षो के दौरान एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी को सुचारू ढंग से चलाने के लिए 4000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान देश के कुल क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत हिस्सा होने के साथ सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन रेगिस्तान प्रधान इस प्रदेश में सतही जल मात्र 1.16 प्रतिशत और भू-जल 1.14 प्रतिशत ही उपलब्ध है। राज्य की 1 लाख 21 हजार में से 23 हजार 956 बस्तियां अल्प गुणवत्ता युक्त और दूषित पानी की समस्या से ग्रस्त है। प्रदेश में देश का 18.40 प्रतिशत पशुधन है। राजस्थान में देश की सबसे ज्यादा खारे पानी और फ्लोराइड की समस्या व्याप्त है।
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