पेट के कैंसर से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 4.2 %

पेट के कैंसर से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 4.2 %
पेसूका (नई दिल्ली) – आज राज्य सभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री श्रीपद येस्सो नाइक ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार मुख कैंसर के लिए पुरुषों और स्तन कैंसर के लिए महिलाओं को अधिक खतरा है। आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार जिन पुरुषों की कैंसर से मृत्यु होती है, उनमें 14.7 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर से होती है। देश में कैंसर से होने वाली मृत्यु में यह सबसे ऊपर है। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 24.1 प्रतिशत और स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु का 16.3 प्रतिशत है। इस तरह महिलाओं में कैंसर से होने वाली मृत्यु में स्तन कैंसर दूसरे नम्बर पर है।

पुरुषों और महिलाओं दोनों को मिलाकर वर्ष 2014 में पेट के कैंसर से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 4.2 प्रतिशत है। महिलाओं और पुरुषों में कैंसर से होने वाली मृत्यु में पेट का कैंसर 6वें स्थान पर है।

भारत में 1990 में 45191 मुख कैंसर के नए मामले और 2013 में 108076 मुख कैंसर के नए मामले प्रकाश में आए हैं। मुख कैंसर किसी भी उम्र के स्त्री-पुरुष को हो सकता है और इससे होने वाली मृत्यु की दर विश्व में सबसे अधिक है।

केंद्र सरकार कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के प्रति राज्य सरकारों के प्रयासों को समर्थन देती है। इस समय राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग एवं हृदयघात कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के तहत चलाया जा रहा है ताकि लोगों में कैंसर, उसकी रोकथाम और उपचार के बारे में जागरुकता पैदा हो। इस कार्यक्रम के तहत स्तन, सर्वाइकल और मुख कैंसर पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकारों को कार्यान्वयन के लिए कैंसर की जांच संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिन मामलों में कैंसर होने की आंशका है उन्हें विभिन्न जांचों के लिए उपयुक्त स्थान पर भेजे जाने की व्यवस्था की गई है।

केंद्र सरकार ने 2013-14 में एनपीसीडीसीएस के तहत “त्रिस्तरीय कैंसर सेवा” योजना मंजूर की है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार देश के विभिन्न भागों में 20 राज्य कैंसर संस्थान (एससीआई) और 50 त्रिस्तरीय कैंसर सेवा केंद्र (टीसीसीसी) बनाएगी। एससीआई के लिए राज्यों के हिस्से को समाविष्ट करते हुए अधिकतम सहायता 120 करोड़ रुपये और टीसीसीसी के लिए 45 करोड़ रुपये है। इसके लिए धन की उपलब्धता और योजना की दिशा-निर्देशों के अनुसार फैसला किया जाएगा।

सरकारी अस्पतालों में कैंसर का उपचार निशुल्क या राजसहायता प्राप्त है। राज्य सरकारों के स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा कैंसर के निदान और उपचार के अलावा केंद्र सरकार के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, सफदरजंग अस्पताल, डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, जेआईपीएमईआर पुदुचेरी, चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान कोलकाता जैसे संस्थानों में भी कैंसर के निदान और उपचार की सुविधाएं दी जाती हैं।

नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत उन्नत किए जाने वाले संस्थानों में कैंसर के विभिन्न पक्षों को ध्यान में रखा जा रहा है। झज्जर (हरियाणा) में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और कोलकाता में चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के दूसरे परिसर की स्थापना को मंजूरी दे दी गई है।

राष्ट्रीय आरोग्य निधि के अंतर्गत गरीबी की रेखा के नीचे के मरीजों को वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके अलावा 2009 में राष्ट्रीय आरोग्य निधि के दायरे में स्वास्थ्य मंत्री कैंसर पीड़ित निधि का गठन किया गया, जबकि 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों को सहायता दी जा रही है ताकि वे बीपीएल कैंसर मरीजों को तुरंत 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान कर सकें।

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