- August 3, 2021
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति का मामला
नई दिल्ली ——— प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट पांच अगस्त को सुनवाई करेगा।
इस याचिका में दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी गई है।
यह याचिका अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने 30 जुलाई को दायर की थी। इसमें उनका कहना है कि अस्थाना की नियुक्ति शीर्ष अदालत के जुलाई, 2018 के आदेश का उल्लंघन है। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसी नियुक्तियों के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को उन अधिकारियों पर विचार करना चाहिए जिनका सेवाकाल दो वर्ष का रह गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले हफ्ते जारी अपने आदेश में कहा था कि सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के रूप में कार्यरत राकेश अस्थाना को तत्काल प्रभाव से एक साल के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया जाता है।
गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी अस्थाना ने अगस्त, 2020 में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक का कार्यभार संभाला था।
उन्हें 31 जुलाई को रिटायर होना था।इस बीच, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक एसएस देशवाल को सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
राकेश अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले हुई है। उनका कार्यकाल एक साल का होगा।
वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और गृह मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना मामले की मांग की है।
मनोहर लाल शर्मा ने पीएम मोदी और अमित शाह पर राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने से जानबूझकर इनकार करने का आरोप लगाया।
याचिका में कहा गया है कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके मुताबिक सभी खाली पड़े पदों के बारे में पहले UPSC को सूचित किया जाना चाहिए और 6 महीने से कम नौकरी के दिन बचे होने की स्थिति में किसी भी अधिकारी को डीजीपी नहीं बनाया जाना चाहिए।
राकेश अस्थाना की नियुक्त को लेकर दिल्ली सरकार ने भी मानसून सत्र में प्रस्ताव पास कर नियुक्त रद करने की मांग की है।