- July 21, 2015
पुर्नमूल्यांकन में गुणवत्ता : विश्ववविद्यालय लागू करें मार्किंग स्कीम – राज्यपाल श्री कल्याण सिंह के र्निदेश
जयपुर – राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह ने राज्य के राजकीय विश्वविद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में पारदॢशता सुनिश्चित करने के लिए कुलपतियों को मार्किंग स्कीम लागू करने के र्निदेश दिये हैं। कुलपतियों को इस सम्बध में सोमवार को राजभवन से पत्र भेजे गये हैं।
पत्र में श्री सिंह ने कहा है कि प्रत्येक प्रश्न का अपेक्षित उत्तर भी प्रश्न पत्र बनाते समय ही पेपर सेटर द्वारा तैयार करना होगा। मार्किंग स्कीम का यह भी हिस्सा होना चाहिए कि किसी प्रश्न के उत्तर में कौनसे व कितने तथ्य एवं स्टेप्स अपेक्षित हैं। इन र्निधारित एवं अपेक्षित तथ्यों और स्टेप्स के अंकित होने पर कितने अंक दिये जाने हैं, इसका भी स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। जो तथ्य और स्टेप्स मिसिंग हो उन पर कितने अंक काटे जाने होंगे यह भी इस मार्किंग स्कीम में बताना होगा।
कुलाधिपति श्री सिंह के र्निदेशों के अनुसार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्याकंन करने वाले परीक्षक को यह स्कीम उपलब्ध कराने के साथ ही परीक्षा समाप्ति पर वेब साइट पर भी र्सावजनिक करनी होगी ताकि छात्र अपने द्वारा दिये गये उत्तर के आधार पर अपने प्राप्तांको को आंकलन कर सके।
कुलाधिपति श्री सिंह का मानना है कि इस प्रक्रिया से परीक्षार्थी को बिना भ्रम में पडें उत्तर पुस्तिकाओं के पुर्नमूल्यांकन कराने के लिए र्निणय लेने में सहूलियत मिलेगी। इस व्यवस्था में परीक्षकों में उत्तरदायित्व की भावना का विकास, मनमानी एवं लापरवाही पर अंकुश तथा छात्रों को भी पुर्नमूल्यांकन में गुणवत्ता के आधार पर आवेदन करने के र्निणय में मदद मिलेगी। इस व्यवस्था से परीक्षाओं में शुचिता स्थापित होगी और विश्वविद्यालय तन्त्र में छात्रों का विश्वास बढ़ेगा। कुलाधिपति श्री सिंंह ने इस व्यवस्था को र्वतमान सत्र से अनिर्वाय रूप से लागू करने के लिये कुलपतियों को र्निदेश दिये हैं।
प्रचलित व्यवस्था में परीक्षकों के पास मूल्याकंन का कोई मॉडल नहीं होता है, प्रत्येक परीक्षक का दृष्टिकोण उत्तर को लेकर अलग-अलग होता है और एक ही प्रकार के उत्तर पर अलग-अलग परीक्षक अपने अपने दृष्टिकोण से अलग अलग माॢकंग कर देते हैं। इससे छात्रों को नुकसान होता है और न्यायसंगत अंक नहीं मिल पाता। अब लागू की जाने वाली माॢकंग स्कीम में परीक्षकों पर अपने एकांगी नजरिये से अंक देने की परम्परा पर अंकुश लग जायेगा और एक समान पैमाने पर अंक दिये जाने से छात्रों को गुणवत्तापरक एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक अंक प्राप्त होंगे।
उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कुलाधिपति श्री सिंह ने एक अभियान शुरू कर रखा है। ‘प-आठ’ के रूप में विश्वविद्यालयों में प्रवेश से लेकर पदक तक के आठ सोपानों के दिशा र्निदेश पहले ही जारी किये जा चुके हैं। कुलाधिपति ने अब इनमें से प्रत्येक पर माइक्रो प्लानिंग की शुरूआत की है। इस कड़ी में उत्तर पुस्तिकाओं का परीक्षण एवं मूल्यांकन उनकी र्सवोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।