पीपली लाइव का रीयल हीरो कुंजीलाल — रामकिशोर पंवार रोंढावाला

पीपली लाइव का रीयल हीरो कुंजीलाल — रामकिशोर पंवार रोंढावाला

बैतूल (मध्यप्रदेश)—- आपको याद होगी वह घटना जब हर कोई बेहताशा सेहरा गांव की ओर सरपट भागे जा रहा था। उस दिन गांव में जैसा मेला लगा हो और देश भर के टी वी चैनलो की ओवी वैन से भरा पूरा गांव जहां पर आम आदमी को पैर रखने की जगह तक नसीब नहीं हो रही थी उस गांव में एक बार फिर सावित्री और सत्यवान की कहानी चलचित्र की तरह दिमागी पटल पर चल रही थी। अपने घर के आंगन में स्थित हनुमान मंदिर में बैठा वह बुढ़ा इंसान आज भी अपने घर की ओसारी में पड़े लकड़ी के पंलग पर तार – तार हो चुकी कथड़ी और सिरहाने लगी दिवाल पर अपना सिर टिकाये कुछ सोया कुछ जागा हुआ था।

मुझे इस हालत में देख कर उसके एक मात्र पुत्र अनिरूद्ध ने पहले मेरी खबर पुछी और फिर अपना दर्द बताने लगा। यूं तो सेहरा आना – जाना लगा रहता है और आज मई महीने के पहले सप्ताह में चालिस हो रहे तापमान के बीच जब गांव पहुंचा तो पहले खबर ली कुुंजीलाल बाबा कैसे है। गांव की सहकारी समिति के प्रबंधक मनोज ने बताया ठीक है घर में एक कोने में पड़े रहते है। बीच गांव में हनुमान जी के एक छोटे से मंदिर वाले मिटट्ी के मकान में रहने वाले बढ़ई जाति के कुंजीलाल आत्मज स्वर्गीय किशन लाल मालवीय का पुश्तैनी मकान है।

पाण्डव युग की चौसर विद्या का जानकार कुंजीलाल आसपास के गांवो में चौसर के पासो को फेक कर अंक गणित से लोगो का भविष्य बताता था। उसके द्वारा मिलान की गई वर – वधु के गुण – दोष की कुण्डली को झूठा साबित करने की किसी की हिम्मत नहंी होती थी। कक्षा तीसरी तक पढ़ा कुंजीलाल को अपने पिता स्वर्गीय किशन लाल मालवीय से विरासत में मिली विद्या ने उसे गांव के साधारण आदमी से लेकर पीपली लाइव के रीयल हीरो का सम्मान दे दिया है।

पीपली लाइव फिल्म ही नहीं बन पाती यदि उस दिन देश के मशहूर टी वी न्यूज एंकर एवं रिर्पोटर अनुषा रिजवी सेहरा नहीं आती। कुंजीलाल की मौत की घोषणा के अचानक इस गांव की धड़कन बढ़ गई थी। उस दिन जिनके घरो में ब्लेक एण्ड व्हाईट टीवी था वह उसके सामने आंखे फाड़े पल – पल के उस नजारे का जीवित प्रसारण देख रहा था। सबकी निगाहें उस बूढ़े व्यक्ति की ओर थी जो कुछ देर में मरने वाला था। इस घटना को मिर्च मसाला की शक्ल देकर श्रीमति किरण राव ने अनुषा रिजवी की पटकथा पर आमिर खान द्वारा निर्देशित फिल्म पीपली लाइव का निमार्ण किया था। फिल्म के गीतो से लेकर उसकी पटकथा तक के विवादो के बीच भी इस फिल्म ने बॉक्स आफिस पर जमकर धूम मचाई थी । आपको बता दे कि इस फिल्म की स्टोरी ने बैतूल में 13 साल पहले जन्म लिया था ।
जो 24 घंटे टीवी पर था,

आज उसका बेटा टीबी से परेशान

बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसे सेहरा गांव निवासी कुंजीलाल ने से जब मैने आज 4 मई २०१८ को मिलने पहुंचा तब वहां पर कुंजीलाल का बेटा अनिरूद्ध मालवीय अपनी करीब 60 -62 की पूरी हो चली उम्र के बाद उसे ग्राम पंचायत द्वारा वृद्धा पेशंन न मिलने की परेशानी बता रहा था। जिसके घर पर 20 अक्टूबर 2005 टीवी का रैला था आज वहीं टीबी की बीमारी से स्वंय को जुझता दिखाई दे रहा था।

बुढ़े बाप की चिंता को दर किनार कर वह अनिरूद्ध अपनी टीबी की बीमारी से बुरी तरह से टूट चुका था। उसको अपने पिता की नहीं स्वंय की दबे पांव करीब आ रही मौत के अहसास को देख कर डर लगने लगा है। कोने में पड़े कुंजीलाल को जगब मेरे साथ एक उसके ही पड़ौस के गांख खड़ला के मौजीलाल मालवीय के पौत्र दुर्गेश मालवीय ने अपना परिचय दिया तो बरबस कुंजीलाल ने अपने से दस साल बड़े मौजीलाल की सेहत की खबर पुछ ली।

कुंजीलाल को सेहरा में अपने गांव में इस बात की खबर थी कि बचचन में उसे गोदी में खिलाने वाले मौजीलाल बाबा की घर में फिसल जाने के बाद सेहत खराब हो गई है। घर के कोने में टकटकी निगाहो से अपनी मौत का इंतजार कर रहे कुंजीलाल मालवीय के पास उसकी जीवन संगनी भी नहीं रही जो उसके प्राणो की रक्षा कर ले। पूरी तरह से परिवार पर आश्रित कुंजीलाल मालवीय की मौत का लाइव प्रसारण देखने के लिए मौजूद हजारो लोगो की भीड़ अब छट चुकी है। गांव के लोग ही उसे लाइक नहीं करते है। गांव में अब किसी के पास इतनी फुर्सत भी किसी के पास नहीं की लोग कुंजीलाल के पास बैठे उसके सुख – दुख की बाते कर ले। बारह एकड़ जमीन का किसान कुंजीलाल की एक मात्र संतान उसका पुत्र अनिरूद्ध है जिसके दो पुत्र एक पोती और बहुए भी है।

सत्यवान सावित्री की कहानी का दुखद अंत
सावित्री चली गई सत्यवान के कंधो पर

20 अक्टूबर 2005 को करवा चौथ का वृत था संयोग से उस दिन कुंजीलाल को उसके पिता की बताई नसीहत याद आ गई थी कि जब कभी ऐसा अंक योग बने उस दिन पूरे समय भगवान की भक्तिमें लगा देने से आने वाली मौत या किसी प्रकार की विपत्ति टल जाएगी। कुंजीलाल ने यह बात दो दिन पहले ही अपने एक शुभ चिंतक को बता दी थी। गांव में आग की तरह फैली खबर टीवी चैनलो का लाइव टेलीकास्ट के लिए गांव तक खींच लाई थी।

20 अक्टुबर २००५ को पूरे दिन देश भर न्यूज चैनलों की वैन सेहरा गांव से कुंजीलाल की मौत का सीधा प्रसारण करने पहुंची थीं और दिन भर लाइव कवरेज जारी रहा। उस दिन गांव में आपा धापी ऐसी थी कि कोई भजन कीर्तन कर रहा था तो कोई कुंजीलाल बाबा के लिए दुआ । प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर लगभग 24 घंटे रिपोर्टिंग करते नजर खाना पीना तो दूर की बात नींद तक इन संवाददाताओं को नसीब नही हुई थी ।

आज इस सचित्र रिर्पोट को जारी करके के पीछे की बड़ी वजह यह है कि लोग कैसे भूल जाते है उस खबर को जो पूरे दिन पूरे देश को परेशान कर रखी थी। आज सेहरा का कुंजीलाल बाबा अपना ९० वां जन्मदिन मना पाएगें या भी नहीं कोई यकीन के साथ नहीं कह सकता। कुंजीलाल बाबा स्वंय लम्बी सांसे खीचते हुए कहते है क्या पता क्या होगा और वे ऊपर की ओर देखने लगते है। आज से तेरह साल पहले अपनी मौत की भविष्यवाणी करने वाले कुंजीलाल 75 साल के थे लेकिन तब और अब में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। मौजूदा समय में उसकी पत्नि जयवंती बाई उसे अकेला छोड़ कर चली गई। घर के सामने एक कोने में बैठा कुंजीलाल अपने बीते हुए कल की ओर देखता हुआ उन कल में पत्नि को खोजता दिखाई देता है।

।। क्या था कुंजीलाल की मौत के
लाइव टेली कास्ट का पूरा मामला ।।

बैतूल जिले के सेहरा गांव के निवासी कुंजीलाल ने फिल्म की कहानी खुद पर आधारित होने का दावा किया है। उन्होंने पीपली लाइव के निर्माता आमिर खान को एक नोटिस भेजकर एक महीने में फिल्म के कॉपीराइट का करार करने को कहा है। इसके तहत उन्होंने फिल्म से हो रही इनकम में 50 प्रतिशत रॉयल्टी की मांग की है। कुंजीलाल का कहना है कि यह फिल्म उनकी कहानी पर ही आधारित है।

बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसे सेहरा गांव निवासी कुंजीलाल ने 20 अक्टूबर 2005 को अपनी मौत की भविष्यवाणी की थी। उस दिन देश के प्रमुख न्यूज चैनलों की वैन उनके गांव पहुंची थीं और दिन भर लाइव कवरेज किया गया था,लेकिन तय वक्तपर कुंजीलाल की मौत नहीं हुई और उनका दावा झूठा साबित हो गया। लेकिन कुंजीलाल की पत्नि स्वर्गीय जयवंती बाई की उस समय करवा चौथ के वृत की पूजा ने ही कुंजीलाल को मौत के मुँह से बाहर लाया था।

पीपली लाइव की पटकथा को दी चुनौती
लेकिन धन बल के आगे टिक नहीं सका

कुंजीलाल मालवीय के वकील संजय शुक्ला ने बताया कि पीपली लाइव फिल्म में कुंजीलाल के साथ 20 अक्टूबर 2005 को हुए घटनाक्रम को आधार बनाया गया है। शुक्ला का कहना है कि देश में कुंजीलाल ही एक मात्र ऐसी शख्सियत है, जिन्होंने अपनी मौत की भविष्यवाणी की थी और उसका लाइव टेलीकास्ट तमाम टीवी चैनलों पर हुआ। उन्होंने कहा कि पीपली लाइव फिल्म का आधार ही यह है कि एक व्यक्तिमरने की घोषणा करता है और घोषणा के बाद तमाम न्यूज चैनल उसका कवरेज करने गांव की ओर दौड़ पड़ते हैं।

उन्होंने कहा कि अब फिल्म वाले इसी कहानी को आधार बनाकर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। इसलिए इस मुनाफे में कुंजीलाल का भी हक है। कुंजीलाल को मुनाफे में 50 प्रतिशत राशि दी जानी चाहिए। कुंजीलाल के पुत्र अनिरुद्ध का कहना है कि 2005 में जो बदनामी हुई उसे तो हम बर्दाश्त कर गए लेकिन इस फिल्म के बाद हर कोई हमारा मजाक उड़ाता है और रिश्तेदारों में भी हमारा सम्मान कम हुआ है। फिल्म पीपली लाइव की पटकथा लेखिका अनुषा रिजवी भी उन टीवी चैनल के पत्रकारो में शामिल थी जिसने उस संभावित मौत का प्रसारण किया था। बैतूल से 20 किमी दूर। पूंजीलाल उर्फ कुंजीलाल मालवीय का घर। अपनी मृत्यु की तिथि और समय की भविष्यवाणी दो महीने पहले ही कर दी थी। झूठी साबित हुई। तब भारी पुलिस बल और अफसर सिर्फ इसलिए मौजूद थे कि कहीं वे अपनी भविष्यवाणी को सही साबित करने के लिए खुदकुशी न कर लें। कुंजीलाल जीवित रहे तो मजमा भी खत्म हो गया।

आज इस घटना को 13 साल हो गए। 87 साल के मालवीय गांव की गलियों में लाठी टेककर अब चल फिर भी नही पाते हैं। नजर कमजोर हो गई है। घर में बेटा बहू दो पोते व एक पोती है। अपने कारनामे पर वे अजीब तर्क देते हैं। बताते हैं जन्म के समय उनका नाम पूंजीलाल निकला था मगर लोग कुंजीलाल बोलने लगे। इस नाम के फेर ने ही मुझे बचा लिया। बेटे अनिरुद्ध ने कहा पिताजी ने दादा की मौत की भविष्यवाणी भी की थी जो सही साबित हुई। इसलिए उनकी भविष्यवाणी पर इतना बवाल मचा। अब उन्हें भारी पछतावा है। वे कहते हैं कि जिंदा बच गया तो उसकी जगहंसाई हो गई जिसके चलते उसका ज्योतिष परामर्श का पेशा भी चौपट हो गया। पहले कुछ लोग ग्रह दशा जानने आते थे। अब कोई नहीं आता।

कुंजी की बची नहीं पुंजी
आर्थिक संकट के दौर में

बैतूल जिले के इस छोटे से गांव ने पूरे बैतूल जिले को अंतर्राष्ट्रीय खबऱ का केन्द्र बना कर चर्चित कर दिया था। मात्र ढ़ाई हजार की आबादी वाले सेहरा गांव में देश के सबसे तेज न्यूज चैनल आज तक से लेकर देश के ही तथाकथित सबसे ठंडे न्यूज चैनल तक ओबी वैन के माध्यम से आने वाली मौत का लाइव टेलिकास्ट कर रहे थे। आज १३ साल बाद उसी गांव में चैनल वाले तो दूर न्यूज पेपर वाले तक नहीं फटक रहे है। अब तक के इतिहास में विश्व की यह एक मात्र पहली घटना थी जब किसी आदमी की आने वाली मौत के तमाशे का सीधा प्रसारण किया गया हो।

सेहरा गांव का कुंजीजाल बढ़ई कल तक इस गांव का आम आदमी थाए लेकिन आज तो वह देश.दुनिया की ज्योतिष विद्या के तथाकथित पूर्वानुमान को लेकर वाद.विवाद का केन्द्र बना हुआ थाण् गांव के छोटे से किसान किशन लाल बढ़ई के घर 20 अक्टूबर 1930 को जन्मा कुंजीलाल उर्फ पूंजीलाल अपने पिता स्वर्गीय किशनलाल के द्वारा बनाई गई तथाकथित जन्म कुण्डली की वजह से अपने 75 वें जन्मदिन पर अनहोनी घटना को लेकर उत्पन्न जिज्ञासा का केन्द्र बना रहा। कुंजीलाल को आज उसी के गांव वाले भूल गये ,अगर कोई भूले – भटके उस सड़क से गुजरे और किसी से पूछ बैठे कि क्यों भैया कुंजीलाल को जानते हो क्या ? इस सवाल पर लोग उल्टे ही सवाल कर बैठेंगे कि कौन कुंजीलाल ?

चौथी फेल ने तथाकथित पढ़े लिखो को किया मजबूर
देश भर में होने लगी थी बहस मरेगा या नहीं मरेगा !!

उस चौथी क्लास फेल कुंजीलाल ने अपनी तथाकथित मौत की तीथी और समय की पूर्व घोषणा को नया कलेवर देकर अपनी तथाकथित मौत का जबरदस्त तमाशा खड़ा किया था। उसके इस तमाशे से सटोरियों ने जमकर पैसा बनाया, न्यूज चैनलों ने जमकर टीआपी बटोरी, आज उस कुंजीलाल को सब भूल गए हैं! धर्म और अंधश्रद्वा का आपस में काफी गहरा सबंध रहा है, धर्म और आस्था से ही अंधविश्वास का जन्म होता है।

ग्राम सेहरा को रातों- रात ख्याति दिलवाने वाले तथाकथित कलयुग के भीष्म पितामह और आज के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस बने कुंजीलाल ने अपनी तथाकथित मृत्यु की घोषणा करके स्वंय और अपनी अर्धागनी जयवंती बाई को नई पहचान दी। आज भले ही जयवंती बाई इस दुनिया में नहीं है लेकिन कल तक तो वह सत्यवान की सावित्री ही कही जाती थी।

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