• November 19, 2020

पीएमसी बैंक घोटाला के बाद लक्ष्मी विलास बैंक से जमा पैसा निकालने की सीमा तय— :

पीएमसी बैंक घोटाला के बाद लक्ष्मी विलास बैंक से जमा पैसा निकालने की सीमा तय— :

केंद्र सरकार ने लक्ष्मी विलास बैंक से जमा पैसा निकालने की सीमा तय कर दी है. 16 दिसंबर 2020 तक बैंक के खाताधारक एक खाते से अधिकतम 25 हज़ार रुपये निकाल सकते हैं.

लक्ष्मी विलास बैंक के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की जगह रिज़र्व बैंक ने एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की है. केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला रिर्ज़व बैंक की सिफ़ारिश पर लिया है.

रिज़र्व बैंक के मुताबिक़, “लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड की आर्थिक स्थिति में लगातार गिरावट हुई है. बीते तीन साल से ज़्यादा से बैंक को लगातार घाटा हो रहा है. इससे इसकी नेटवर्थ घटी है. किसी सक्षम रणनीतिक योजना के अभाव और बढ़ते नॉन परफ़ॉर्मिंग एसेट के बीच घाटा जारी रहने की संभावना है.”

बैंक डिपॉज़िट पर पाँच लाख रुपये की है सुरक्षा गारंटी

इससे पहले साल 2019 में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के खाताधारकों को भी इसी तरह के संकट से जूझना पड़ा था.

सवाल उठता है कि आख़िर बैंकों में जमा पैसा कितना सुरक्षित है?

आपके बैंक में अगर पाँच लाख से ज़्यादा पैसे जमा हैं तो बैंक के डूबने की सूरत में आपको पाँच लाख रुपये ही वापस मिलेंगे.

इसी साल से बजट में इसका प्रावधान किया गया है. DICGC यानी डिपॉज़िट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की ओर से ग्राहकों को बैंक डिपॉज़िट पर पाँच लाख रुपये की ही सुरक्षा गारंटी दी जाती है. आपकी जमा राशि पर पाँच लाख रुपये का ही बीमा होता है.

भारत सरकार के पूर्व राजस्व सचिव राजीव टकरू कहते हैं कि अमूमन बैंक आपके घर के नज़दीक है और सर्विस अच्छी देता है तो आप उस बैंक में खाता खोल लेते हैं. लेकिन हमेशा ऐसा करना फ़ायदेमंद नहीं होता.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कुछ एक बुनियादी बातें बताई हैं, जिनकी मदद से आप किसी भी ऐसी आपात स्थिति से बच सकते हैं.

सरकारी बैंक बनाम प्राइवेट बैंक

सरकारी बैंक प्राइवेट बैंक के मुक़ाबले ज़्यादा सुरक्षित होते हैं.ये धारणा आम है.

राजीव टकरू कहते हैं इसके पीछे एक लॉजिक है. अगर बैंक को फ्लोट करने वाला कोई प्राइवेट व्यक्ति है तो उसकी अपनी सीमाएँ होती हैं. अगर बैंक को किसी भी सूरत में घाटा होता है तो उसकी भरपाई के लिए उसके पास सीमित संसाधन होते हैं.

लेकिन सरकारी बैंक है तो सरकार पूरी कोशिश करती है कि उनके द्वारा चलाया जा रहा बैंक दिवालिया ना हो, ये किसी भी सरकार के लिए साख का सवाल होता है. इसलिए सरकारी बैंकों को ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है. सरकार के पास कई रास्ते होते हैं घाटे की भरपाई के लिए. सरकार बैंक में इक्विटी डालती है, जिसकी वजह से बैंकों को घाटे से उबारने में मदद मिलती है.

लक्ष्मी विलास बैंक के लिए रिर्ज़व बैंक ने डीबीएस बैंक इंडिया लिमिडेट के विलय की योजना तैयार की है.

बैंकों में जमा पैसे को सुरक्षित करने का एक उपाय ये भी है कि आप पैसा एक बैंक के बजाय कई बैंकों में रखें. लक्ष्मी विलास बैंक या पीएमसी बैंक के खाताधारकों के साथ जो हुआ, उस सूरत में ऐसा करने के कुछ फ़ायदे भी हैं.

बैंक बाज़ार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक़ एक से ज़्यादा बैंकों में खाता खोलना का विकल्प भी कई मायनों में बेहतर होता है. ये परिवार के अलग-अलग लोगों के नाम भी हो सकता है. अगर एक बैंक में पैसे निकालने की सीमा आरबीआई तय भी करती है तो ऐसा करने पर आपके पास पैसा निकालने के दूसरे विकल्प मौजूद होंगे.

राजीव टकरू तीसरी सलाह देते हुए कहते हैं, “आप जिस किसी बैंक में भी खाता खोलना चाहते हों, पहले बैंक की माली हालत का पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसका पता बैंक की बैलेंसशीट देखकर लगाया जा सकता है. लेकिन अक्सर बैंक की बैलेंसशीट आम आदमी के समझ के परे होती है. ऐसी सूरत में आप बैलेंसशीट की समझ रखने वाले किसी से सलाह ले सकते हैं.”

इससे ये पता लगाया जा सकता है कि बैंक की लायबलिटी कितनी है, इनका पैसा कहाँ-कहाँ फँसा है, नॉन परफ़ॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) कितना है.

आदिल शेट्टी के मुताबिक़ समय-समय पर बैंक का मूल्यांकन करें. अपने बैंक से जुड़ी हर ख़बर पर नज़र रखना ज़रूरी है, ताकि समय रहते आप सावधान हो सकें. बैंक के एनपीए, बैंक का स्टॉक मार्केट में परफॉर्मेंस ये कुछ ऐसे पैमाने हैं, जिनको देखकर बैंक की सेहत का पता चलता है. हाल ही में पीएमसी बैंक और यस बैंक के मामलों में यही देखने को मिला है.

बैलेंसशीट देखने से पता चलता है कि आप जिस बैंक में पैसा जमा करना चाहते हैं वो काम कैसे कर रहा है.

आमतौर पर जब कभी आप बैंक में पैसा सेविंग एकाउंट या फिर फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में डालते हैं तो आप ये सोच कर ऐसा करते हैं कि आप अपने पैसे को सुरक्षित कर रहे हैं. लेकिन असलियत में ऐसा होता नहीं है. बैंकिंग प्रणाली में ऐसा नहीं माना जाता.

असल में आप पहले दिन से बैंक को पैसा क़र्ज़ के तौर पर देते हैं, जिसके एवज़ में आपको बैंक से ब्याज़ मिलता है. आप बैंक में पैसा जमा करते हैं, आप बैंक को इस बात की इजाज़त देते हैं कि आपका पैसा बैंक मार्केट में निवेश कर सके और आगे कमाई कर सके. लेकिन जब निवेश किए पैसे से बैंक कमाई नहीं कर पाते तो बैंकों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है.

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का काम है कि हर साल बैंकों का बही-खाता देख कर इस बात का हिसाब रखे कि कहीं किसी बैंक में कोई गड़बड़ी तो नहीं है.

जहाँ कहीं आरबीआई को गड़बड़ी की आशंका होती है, वहाँ वो चेक और बैलेंस लगाते हैं. मामला नहीं सुधरने पर बैंक का कंट्रोल कुछ दिन के लिए अपने हाथ में ले लेते हैं.

थोड़ी सी छानबीन करके आप ऐसे बैंकों की लिस्ट इंटरनेट पर देख सकते हैं, जिनकी ‘स्ट्रेस्ड बैंक’ कहा जाता है. अगर आपका बैंक ऐसी सूची में है, तो तुरंत पैसा निकालना फ़ायदे का सौदा होगा.

(BBC HINDI SERVICE)

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