- November 18, 2015
पिछले डेढ़ साल में संसद में कामकाज तो नहीं हुआ ?
बिहार चुनाव की हार से अविचलित केंद्रीय कोयला, बिजली और अक्षय ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल सुधारवादी एजेंडे के साथ पूरी मुस्तैदी के साथ आगे बढऩे को हैं तैयार। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत
राजग सरकार के डेढ़ साल के शासन को कैसे आंकते हैं?
एक तरह से देखा जाए तो यह काफी लंबा अरसा रहा लेकिन अगर आप समस्याओं के पैमाने पर देखें तो यह काफी छोटी अवधि थी। इस डेढ़ साल में हमें लगातार चुनौतियां मिलती रहीं और उन्होंने हमें अवसर दिए और कोई देख सकता है कि हमने कितने अवसरों को नतीजों में बदला है, कितना काम प्रगति पर है और क्या उसकी दिशा सही या गलत है।
लक्ष्य से इतर वृद्धि को आप कैसे देखते हैं?
डेढ़ साल में लोगों को बहुत कुछ होता नहीं दिख रहा हो लेकिन बड़े बदलाव के लिए जमीन तैयार हो रही है। इस तिमाही के आंकड़े शायद बेहतर न हों। मगर आगे अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ेगी। 1 मई तक इसके असर दिखने लगेंगे। ताज्जुब नहीं होगा जो अगले साल 9 या 10 फीसदी की वृद्घि दर हासिल हो जाए।
सरकार इस सत्र में सुधारों को कैसे आगे बढ़ाएगी?
मुझे उम्मीद है कि संसद चलेगी। हम विपक्ष के साथ काम करेंगे। अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो हम बिना विधायी परिवर्तन के काम करने के तरीके तलाशेंगे। एक भूमि विधेयक को छोड़ दें तो हमने छह में से पांच विधेयकों को पारित कराया है।
अध्यादेश तो इस सत्र में भी पारित हो सकते हैं?
अध्यादेशों से निवेशकों का भरोसा नहीं बढ़ता। बालको और हिंदुस्तान जिंक में सरकार का हिस्सा है लेकिन वह सरकार के किसी काम का नहीं। लेकिन अगर हमें अच्छा प्रीमियम मिलता तो हम एक साल पहले ही इनके बारे में फैसला ले लेते।
अगर कारोबारियों से प्रधानमंत्री जोखिम के लिए कह रहे हैं तो सरकार भी जोखिम ले सकती है?
हम जोखिम लेना चाहते हैं। हम भ्रष्टïाचार निरोधक कानून लाए हैं। कारोबारी लाभ के लिए जोखिम लेता है, जबकि सरकारी कर्मचारी को वेतन मिलता है लेकिन जोखिम लेने पर कोई लाभ नहीं होता।
कोयला ब्लॉकों की क्या स्थिति है?
कोयला नीलामी में शानदार पारदर्शिता रही है। बोलीदाताओं की मिलीभगत जांच के बाद ही साबित हो सकती है। इसका विकल्प खुला है। हमने बोली रद्द नहीं की बल्कि पूरी प्रक्रिया खत्म कर दी।
पिछले डेढ़ साल में संसद में कामकाज तो नहीं हुआ?
यह सही नहीं है। हमारा मानना है कि कुछ लोगों में राष्ट्रीय चेतना है। उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं है। यह काफी व्यापक है। हम काफी कुछ कर रहे हैं। कुछ नाजुक चीजें फंसी हुई हैं। विद्युत संशोधन कानून नहीं हुआ है। लेकिन मेरी शुल्क नीति होगी।
उदय में राज्यों पर सारी जिम्मेदारी है और ऐसा लगता है कि यह बैंकों को उबारने की योजना है…
उदय योजना राज्यों, अधिकारियों, बिजली क्षेत्र, वितरण कंपनियों, मुख्यमंत्रियों और वित्त एवं बिजली सचिवों आदि की 70-80 बैठकों के बाद बनी है। उदय असल में ऊर्जा सुरक्षा है। इसी के तहत हमें सभी लोगों को चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध करानी है। सभी राज्य इस पर सहमत हैं। यह वैकल्पिक है। बैंक वितरण कंपनियों के घाटे के लिए कर्ज नहीं देंगे, वहीं राज्यों को भविष्य की हानियों के लिए डिस्कॉम को बजट में अनिवार्य रूप से मदद देनी पड़ेगी।