पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी से महत्वपूर्ण कोई दूसरी चीज नहीं हो सकती:- मुख्यमंत्री

पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी से महत्वपूर्ण कोई दूसरी चीज नहीं हो सकती:- मुख्यमंत्री

पटना———:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 7 करोड़ 49 लाख रुपये की लागत से निर्मित जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के नवनिर्मित भवन का शिलापट्ट अनावरण कर उद्घाटन किया। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर मुख्यमंत्री ने विधिवत शुभारंभ किया। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर0के0 महाजन ने गुडलक प्लांट भेंटकर मुख्यमंत्री का अभिवादन किया।

संस्थान के नवनिर्मित भवन में लगी फोटो गैलरी का लोकार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री ने इसका अवलोकन किया, जिसमें स्व0 जगजीवन राम के जीवन काल से जुड़ी तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान पर आधारित पुस्तक ‘नया बिहार’ का मुख्यमंत्री ने विमोचन भी किया। इस पुस्तक में वर्ष 2005 से वर्ष 2018 के बीच बिहार में घटित घटनाओं एवं किये गए विकास कार्यों का उल्लेख किया गया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के भवन का निर्माण हो गया। उन्होंने कहा कि 1977 में इस संस्थान की स्थापना हुई थी, उस समय जननायक कर्पूरी ठाकुर की सरकार थी। उस समय उन्होंने इसके लिए एक सरकारी भवन आवंटित किये थे। इसके बाद इस संस्थान को वर्ष 1986 में विंदेश्वरी दुबे की सरकार ने अपनाया और जब हमारी सरकार बनी तो इस संस्थान को ठीक ढंग से चलाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए नियमावली भी बनाई गयी। इस संस्थान का मकसद भी घोषित है।

3 अप्रैल 2015 को एक मीटिंग में इस संस्थान का नया भवन बनाने का निर्णय लिया गया और 11 अगस्त 2015 को इसका शिलान्यास किया गया, जिसका आज उद्घाटन भी हो गया है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान का जो एक छोटा सा ऑडिटोरियम है, वह मेंटेन रहे ताकि दूसरे लोग भी इसका उपयोग कर सकें, इससे संस्थान को आमदनी भी होगी।

मुख्यमंत्री ने संस्थान के निदेशक श्री श्रीकांत को सुझाव देते हुए कहा कि आजादी के बाद जो भी बिहार में काम हुये हैं, घटनाएं घटित हुई है, आजादी की लड़ाई में बिहार के लोगों की जो भूमिका रही है, 1974 के जे0पी0 मूवमेंट, 1917 के चंपारण सत्याग्रह, जननायक कर्पूरी ठाकुर के आरक्षण जैसे अन्य महत्वपूर्ण मामलों का डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए ताकि बिहार विधानमंडल के सदस्य उसे पढ़कर जानकारी हासिल कर सकें।

अगर पर्याप्त डॉक्यूमेंट उपलब्ध नहीं है तो उस समय के लोगों से बात करके उसका डॉक्यूमेंट यहाँ सुरक्षित रखिये और उसे प्रकाशित भी कीजिये। डॉक्यूमेंट संक्षेप में, सहज तरीके से और छोटे-छोटे वाक्यों में लिखा रहेगा तो लोग उसे रूचि से पढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक या अन्य आधार पर जो सर्वे होते हैं और उसके जो नतीजे आते हैं, उसे संकलित कर बिहार विधानमंडल के सदस्यों को उपलब्ध कराने की दिशा में काम होना चाहिए। इससे जो इलेक्टेड जन प्रतिनिधि हैं, वे अपडेट रहेंगे।

उन्होंने कहा कि बहुत सारे काम आप कर रहे हैं, यह खुशी की बात है। समाज सुधार की दिशा में शराबबंदी पर भी संस्थान द्वारा सर्वे किया गया है। विकास के जो काम हुये हंै या हो रहे हैं, उसका जमीन पर क्या इम्पैक्ट है, लोगों की राय लेकर इसका सर्वे स्वतंत्र संस्था द्वारा किया जाता है, इससे कमियाँ उजागर होती हैं और फिर सुधार की दिशा में सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किये जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत के मुताबिक संस्थान में नये पदों को सृजित करें। निदेशक के साथ एक टीम होनी चाहिए। टीम में वैसे लोगों को शामिल करना चाहिए, जिनकी योग्यता और अनुभव के साथ-साथ शोध, अनुसंधान, शैक्षणिक एवं सामाजिक क्षेत्र में परफाॅर्मेंस भी ठीक होनी चाहिए। इसके साथ ही इस टीम में नई पीढ़ी के लोगों को भी शामिल कीजिये। इस संदर्भ में शिक्षा विभाग के साथ परामर्श कर एक टीम तैयार करें। उन्होंने कहा कि नई तकनीक की भी काफी अहम भूमिका है।

हम समझते हैं कि जो अनुसंधान के नतीजे आये उसका सारांश भी सोशल मीडिया पर शेयर करिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढ़े। उन्होंने कहा कि बीमार पड़ने पर कुछ लोग सेवा करने की बजाय सोशल मीडिया पर तस्वीर पोस्ट करते हैं और लोगों से आग्रह करते हैं कि मरीज के लिये ईष्वर से प्रार्थना करें। उन्होंने कहा कि अगर संस्थान के लोग हर चीज के बारे में अध्ययन करने के साथ-साथ फिल्ड में जाकर भी जानकारी लें तो इसका बहुत लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी से महत्वपूर्ण कोई दूसरी चीज नहीं हो सकती। नयी पीढ़ी को इस बारे में बताना बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी में परसेप्शन का इम्पैक्ट है लेकिन तथ्य भी लोगों के पास होनी चाहिए। बिहार म्यूजियम जब बन रहा था तो कुछ इंटेलेक्चुअल लोग कई तरह के सवाल खड़े कर रहे थे, जबकि बिहार म्यूजियम की पूरे देश में और देश के बाहर काफी प्रशंसा हुई है।

उन्होंने कहा कि यह संस्थान दो मंजिली है। अगर आवश्यकता पड़ी तो इसका विस्तार किया जाएगा ताकि सभी प्रकार के डॉक्यूमेंट्स यहाँ सुरक्षित रखे जा सकें। यह संस्थान एसेम्बली के बिल्कुल पास है। बिहार का जो गौरवशाली इतिहास है, उन सब चीजों के बारे डॉक्यूमेंट उपलब्ध होने चाहिए और वह प्रकाशित भी होनी चाहिए।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर0के0 महाजन ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर विधायक श्री महबूब आलम, विधायक श्री सुदामा प्रसाद, विधान पार्षद श्री विजय कुमार मिश्र, पूर्व मंत्री श्री नरेंद्र सिंह, पूर्व विधान पार्षद श्री प्रेम कुमार मणि, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, प्राथमिक शिक्षा के निदेशक श्री अरविंद कुमार वर्मा, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक श्री श्रीकांत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, संस्थान के कर्मीगण एवं अनेक क्षेत्रों से जुड़े प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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