- January 23, 2019
पथ निर्माण विभाग की समीक्षा
पटना—–:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित लोक संवाद में पथ निर्माण की महत्वपूर्ण योजनाओं की समीक्षा की। पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने मुख्यमंत्री के समक्ष योजनाओं की विस्तृत प्रस्तुति दी।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री द्वारा 10 जनवरी 2019, 16 जनवरी 2019 एवं 17 जनवरी 2019 को बख्तियारपुर- मोकामा 4 लेन पथ, राजेंद्र सेतु के समानान्तर नया 6 लेन गंगा ब्रिज, सिमरिया-खगड़िया 4 लेन पथ, मुंगेर घाट-खगड़िया रोड सह ब्रिज, सुल्तानगंज से अगुवानीघाट पुल, गंडक नदी पर निर्माणाधीन बंगराघाट पुल, सत्तर घाट पुल, बेतिया-गोपालगंज पुल, स्टेट हाईवे-95 एवं इन्डो-नेपाल बॉर्डर सड़क का एरियल सर्वेक्षण किया गया था।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बख्तियारपुर-मोकामा 4 लेन का काम जल्द से जल्द शुरु करें। जिलाधिकारी को भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्या का समाधान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देष दिया। पंडारक से बख्तियारपुर तक तत्काल कार्य प्रारंभ करने का निर्देष दिया गया। राजेंद्र सेतु के समानान्तर नया 6 लेन गंगा ब्रिज के निर्माण में तेजी लाने और पहुंच पथ को ठीक करने को कहा गया।
बेगूसराय जिले में भू-अर्जन की समस्या का हल करते हुये जिन परिवारों को विस्थापित किया जा रहा है, उन्हें संरचना के बदले मुआवजा देने को कहा गया और प्राथमिकता के आधार पर आवास उपलब्ध कराने पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सिमरिया घाट धार्मिक दृष्टिकोण से राज्य का एक महत्वपूर्ण स्थल है, उसे भी बेहतर एवं सुविधायुक्त बनाया जाए।
बैठक में मुंगेर घाट-खगड़िया रोड सह ब्रिज के पहुंच पथ के निर्माण कार्य को भी तेज करने को कहा गया। मुॅगेर घाट रेल ब्रिज में टोपो लैंड पर रह रहे परिवारों की अर्जनाधीन भूमि को विधि सम्मत मुआवजा देने की बात कही गयी। मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी कि भू-अर्जन करके एन0एच0ए0आई0 को जमीन उपलब्ध कराया जा रहा है। जो जमीन अधिग्रहित कर सौंपा गया है, एन0एच0ए0आई0 को तत्काल उस पर काम शुरु करने को कहा गया है।
सुल्तानगंज से अगुवानी घाट पुल का निर्माण कार्य लगभग 30 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है, उसमें भी तेजी लाने का मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया। मार्च 2020 तक इसे पूर्ण करने का लक्ष्य है। यहां बन रहे डॉल्फिन सेंटर से भी इसकी पहुंच सुनिश्चित करने को कहा गया है। मुंगेर-भागलपुर- मिर्जाचैकी 4 लेन पथ पूर्वी बिहार के आवागमन के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण पथ है जिसे जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया गया। बंगराघाट पुल, मुजफ्फपुर जिले के साहेबगंज एवं सारण जिले के लखनपुर के बीच बन रहा है।
इसका निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा करने और एप्रोच रोड का काम शुरु करने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया। सत्तरघाट पुल गोपालगंज जिले के फैजुल्लाहपुर एवं पूर्वी चंपारण जिले के लाला छपरा के बीच बनाया जा रहा है। इसे मई 2019 तक पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया गया है।
मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी कि गंडक नदी पर बेतिया-गोपालगंज पथ पर आवागमन चालू है, इसके एप्रोच रोड को 10 मीटर चैड़ी सड़क बनाने के लिए भू-अर्जन का काम चल रहा है, उसके बाद कार्य को तेजी से पूर्ण किया जाएगा। इंडो-नेपाल बॉर्डर पथ पश्चिम चंपारण के मदनपुर से प्रारंभ होकर किशनगंज के गलगलिया तक जाता है। यह पथ राज्य के सात जिलों से होकर गुजरती है। इन सात जिलों के कुल 365 गांवों में कुल 2894 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है। जमीन अधिग्रहण की ज्यादा समस्या अररिया जिले में है।
मुख्यमंत्री ने अररिया जिले के जिलाधिकारी को तत्काल इस समस्या का समाधान निकालने को कहा है। राज्य सरकार के अनुरोध पर इस योजना को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार ने मार्च 2022 का समय निर्धारित किया है। दिसंबर 2020 तक इसे पूर्ण करने की कोशिश की जा रही है।
स्टेट हाइवे-95 खगड़िया के एन0एच0-31 के मानसी से प्रारंभ होकर सहरसा एवं मधेपुरा जिला होते हुए सुपौल जिलान्तर्गत हरदी चैघड़ा में मिलती है। बैठक में जमीन अधिग्रहण के लिए रेल मंत्रालय से बात करने को कहा गया।
आर0ओ0बी0 के निर्माण के लिए भी सहमति लेने को कहा गया। यह पथ (75 किलोमीटर) चार जिलों- खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा एवं सुपौल को आपस में जोड़ेगा, जिससे आवागमन में सहुलियत होगी।
समीक्षा बैठक में पथ निर्माण मंत्री श्री नंदकिशोर यादव, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, प्रधान सचिव भूमि एवं राजस्व सुधार श्री ब्रजेश मेहरोत्रा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, अध्यक्ष बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड श्री जितेंद्र श्रीवास्तव, सचिव परिवहन श्री संजय अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, एन0एच0ए0आई0 के प्रमुख अधिकारीगण एवं राज्य सरकार के अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 9 जिलों के जिलाधिकारी एवं आयुक्त भी जुड़े हुए थे।