• November 22, 2020

न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन संभव — 10 लाख रूपये खर्च— प्रो0 अजय शर्मा

न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन  संभव — 10 लाख रूपये खर्च— प्रो0 अजय शर्मा

335 वर्ष पुराने न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन संभव इसके लिए कुछ प्रयोगों की जरूरत । प्रयोगो पर लगभग 10 लाख रूपये खर्च होंगे।

न्यूटन के तीसरे नियम की खामी यह है कि यह वस्तु के आकार की अनदेखी करता है ।

हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट के चेयरमैन प्रो. वीर सिंह रांगड़ा के अजय को उत्साहित किया । वे प्रयोगों को सुपरवाइज करेंगे।

1 अगस्त, 2018 को अजय शर्मा ने रिसर्च पेपर को अमेरिकन एसोसिएसन ऑफ फिजिक्स टीचर्स की कान्फ्रेंस में प्रस्तुत किया था। तब एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा था

“अजय अगर आप प्रयोगों में न्यूटन की खामी को सिद्ध करते है तो भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा।

“ कांऊंसिल आफ साइंटिफिक एंड इन्डस्ट्रियल रिसर्च की नेशनल फिजिक्स लैबोरेटरी, नई दिल्ली डाइरेक्टर और सीनियर प्रिनसिपल साइंटिस्ट डाक्टर ए वी अवाना नई दिल्ली ने भी अक्तूबर 2019 को प्रयोगों द्वारा न्यूटन के तीसरे नियम की खामी को सिद्ध करने की सलाह दी थी। अजय के प्रॉजेक्ट को सीसआइआर (CSIR) के डाइरेक्टर जनरल ने मूल्याकन के लिए भेजा था

यह रिसर्च कब शुरू हुई ?

1982 में, 19 साल की उम्र में अजय शर्मा ने ऊना के एस.वी.ऐस.डी. कोलेज भटोली में न्यूटन, आइंस्टीन और आकिमिडीज के नियमों में संशोधन की बात की थी। उस समय के बी.एस.सी सैकिंड यीयर के विद्यार्थी थे। आज 38 वर्ष बाद अजय शर्मा संघर्ष, मेहनत, नकारात्मकता और अवसाद के दौरों से गुजर चुके हैं। पर वे विज्ञान के भगवान न्यूटन के तीसरे नियम के संशोधन बहुत नजदीक है। विश्व के वैज्ञानिक और वैज्ञानिक संस्थाए उन्हें प्रयोगों द्वारा तीसरे नियम में ‘आकार के प्रभाव ‘ को सिद्ध करने की सलाह दे रहे है। नौकरी से रिटायरमेंट की दहलीज पर अजय शर्मा के लिए यही एक आशा की किरण है।

पहाड़ के समान संघर्ष और नकारात्मकता के चलते वे सेब का बगीचा लगा चुके है। साथ में वे फागू में छोटा होटल बनाने की ओर आगे बढ़ रहे है। इस वजह यही थी कि विज्ञान में नाकामी और खालीपन हावी ना हो . यह ( होटल का) काम भी किसी स्कीम के अन्तर्गत लोन (कर्ज) मिलने पर ही संभव होगा।

335 वर्ष पुराने न्यूटन के नियम का क्यों संशोधन होना चाहिए ?

टकराती हुई वस्तुओं में वस्तु का आकार मह्त्व पूरण है । न्यूटन का तीसरा नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। प्रयोगों में वस्तु का आकार महत्वपूर्ण है। अरबों-खराबों लोगों ने न्यूटन का नियम पढ़ा होगा। पर थ्योरिटीकल (सिद्धांत) रूप में न्यूटन के नियम की खामी को अजय ने जग जाहिर किया है। वैज्ञानिक जगत अजय की खोज को सही एवं तर्क संगत मान कर कुछ प्रयोगों की सलाह दे रहे हैं। यह अद्भुत बात है।

नियम के अनुप्रयोग (अप्लीकेसन) तीसरे नियम के अनुसार हर क्रिया (ऐक्सन) के समान और विपरीत प्रतिक्रिया ( रैक्सन) होती है। नियम के अनुप्रयोग (अप्लीकेसन), वस्तुओं के टकराने से लेकर अतिशबाजी और रॉकेट लांचिंग तक होते है. पर अजय शर्मा ने फर्श से टकराने वाली वस्तुओं का आलोचनात्मक अध्ययन किया है. गोल गेंद नीचे गिरती है, फिर रैक्सन के कारण उपर उठती है . इसी अवलोकन से न्यूटन का तीसरा नियम , (क्रिया (ऐक्सन) और प्रतिक्रिया ( रैक्सन) बराबर और विपरीत होते है ; सही माना जाता है। यही बच्चो को स्कूल में पढ़ाया जाता है .

संशोधन दर्शाने वाले प्रयोग

अब रबड़ की गेंद (वस्तु) के कई आकार हो सकते है। जैसे गोल, अर्धगोल, त्रिभुज, शंकु, वर्ग, लम्बी पाइप, फ्लैट, अनियमित आकार आदि -2. न्यूटन का नियम परिमाणात्मक (कवांटीटेटिव) तौर पर किसी भी आकार की वस्तु के लिए सिद्ध नहीं किया गया है। लेकिन यह सभी आकारों के लिए सही माना जाता है। बिना प्रयोगों के न्यूटन के तीसरे नियम को सभी आकारों के लिए क्यों बिना प्रयोगों के सही माना जा रहा है ? यह तर्कसंगत नही है । यह प्रश्न अजय शर्मा ने उठाया है।
अजय शर्मा कहते हे कि भिन्न-2 आकार की वस्तुओं के लिए तीसरा नियम मोटे-तौर पर दैनिक प्रयोगों में सही प्रतीत नहीं होता है। इसे संवेदनशील प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया जा सकता है। इस अवस्था में न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन लाजिमी है।

335 वर्ष पुराने तीसरे नियम में संशोधन

न्यूटन के नियम के अनुसार क्रिया (ऐक्सन) और प्रतिक्रिया (रैक्सन) बराबर और विपरीत होते हैं.
संशोधित नियम के अनुसार क्रिया (ऐक्सन) प्रतिक्रिया (रैक्सन) के बराबर, कम या ज्यादा भी हो सकती है। इस तरह तीसरे नियम में एक कोफिसियन्ट आ जाता हैं जो वस्तु के आकार को समायोजित करता है। इस तरह न्यूटन के नियम में संशोधन संवेदनशील प्रयोगों द्वारा सही ठहराया जा सकता है।

सरकार से प्रार्थना

अजय शर्मा (वर्तमान में उप जिला शिक्षा अधिकारी शिमला) ने यह प्रोजेक्ट शिक्षा निदेशक के माध्यम से सैकरेटरी ऐजूकेसन को ग्रांट हेतू भिजवाया है हैं । यह ग्रांट (10 लाख रुपये) हि०प्र० विश्व विद्यालय के फिजिक्स डिपारटमैंट के चेयरमैन प्रो. वीर सिंह रांगड़ा को दी जाए ताकि वे प्रयोगों को सुपरवाइज कर सके।

अजय शर्मा ने माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर, शिक्षा मंत्री श्री गोविन्द सिंह ठाकुर एवं शहरी विकास मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज जी से प्रार्थना की है कि वे अपनी शर्तों पर ग्रांट भौतिक विज्ञान के डिपारटमैंट के चेयरमैन को दे। वे ही प्रयोगों को सूपरवाइज़ करेगें . शर्मा ने सरकार का धन्यवाद किया कि उनके सहयोग से ही वे यहां तक पहुंचे है। अब भारत को विश्व पटल पर ले जाना चाहते हैं।

Ajay Sharma
Deputy Distt Education Officer , Shimla
Former Lecturer Physics ,
DAV College Chandigarh
Moble 94184 50899
Email ajoy.plus@gmail.com

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