नेताजी सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी भाषणों पर रोक : बिहार अभिलेखागार में काम शुरू

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी भाषणों पर रोक : बिहार अभिलेखागार में  काम शुरू

पटना। अंग्रेजों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जिन क्रांतिकारी भाषणों पर रोक लगा दी थी वह अब सामने आने वाले हैं। बिहार अभिलेखागार ने इस पर काम शुरू कर दिया है।

अंग्रेजों ने सन् 1930 की शुरुआत में नेताजी के भाषणों के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी। तत्कालीन बिहार व उड़िसा प्रांत को यह निर्देश जारी किया गया था कि यह दस्तावेज जनता के सामने न जाएं। इन दस्तावेजों में नेताजी के अखबारों में छपे उनके वक्तव्य के अलावा लंदन में एक सम्मेलन में उनका भाषण शामिल है।

बिहार राज्य अभिलेख के निदेशक विजोय कुमार ने बताया कि हम जल्द ही इन दस्तावेजों का प्रकाशन करेंगे और इसके जरिए बिहार से नेताजी के संबंधों को भी बताएंगे। दस्तावेजों को एकत्रित करने का काम लगभग पूरा हा चुका है। यह संग्रह अगले साल मार्च तक लोगों के बीच मौजूद होगा। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों को संग्रह करने दौरान हमने बिहार से नेताजी के संबंधों को सामने लाने पर ज्यादा जोर दिया।subhashchandra

सुभाष चंद्र बोस ने गांधी मैदान में सभाओं को संबोधित किया था। उस समय गांधी मैदान को पटना लॉन कहा जाता था। इसके अलावा नेताजी ने दानापुर व जमेशदपुर में भी जाकर सभा को संबोधित किया था।

अभिलेखागार में इस विषय पर काम कर रहे एक अभिलेखाध्यक्ष ने बताया कि किताब को तैयार करने में नेताजी के पटना प्रवास के बिंदुओं पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। किताब के अनुसार सन् 1940 में कांग्रेस के रामगढ़ सम्मेलन से ठीक पहले नेताजी राजधानी आए थे और पटना सिटी में एक सभा को संबोधित किया था। उस कार्यक्रम में सहजानंद सरस्वती भी मौजूद थे। सभा के बाद सहजानंद को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। वर्ष 1933 में लिखे पत्रों के जरिए मालूम हुआ कि नेताजी को बिहार इलाज कराने लाया गया था। उस समय वह नागपुर की जेल में बंद थे।

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